1 महीने में 10 हजार डॉलर लुढ़का BitCoin, 24 घंटे में डूबे 6.5 लाख करोड़
नई दिल्ली। दुनिया भर में प्रचलित सभी क्रिप्टोकरेंसी (आभासी मुद्रा) में बीते डेढ़ महीने से गिरावट का दौर जारी है। इसका सबसे ज्यादा असर सबसे मशहूर क्रिप्टोकरेंसी, बिटकॉइन पर भी देखने को मिल रहा है। मार्केट इनसाइडर के मुताबिक बुधवार को बिटकॉइन में 12 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली और इसकी कीमत 10 हजार अमेरिकी डॉलर से नीचे लुढ़ककर 9,936 डॉलर पर आ गया। वहीं अगर अन्य क्रिप्टोकरेंसी की बात की जाए तो इथेरिय भी 16 प्रतिशत लुढ़ककर 884 डॉलर पर आ गया है। वहीं रिपल में भी 10 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है।
6.5 लाख करोड़ डूबे
हालांकि बिटकॉइन इसके बाद भी अपनी पिछले साल की कीमत से 1100 प्रतिशत ज्यादा है। यानी कि एक साल पहले बिटकॉइन में पैसा लगाने वाले को अभी भी 1100 प्रतिशत का फायदा मिल रहा है। बता दें कि बीते साल दिसंबर में बिटकॉइन की कीमत 19,800 डॉलर तक पहुंच गई थी। हालांकि उसके बाद से ही इसमें लगातार गिरावट जारी है। बीते 24 घंटों की बात की जाए तो बिटकॉइन में निवेश करने वालोंं के 6.5 लाख करोड़ रुपये डूब गए हैं। जानकार इसे 'खूनी खेल' की सज्ञा दे रहे हैं।
क्यों आई बिटकॉइन की दाम में गिरावट?
बिटकॉइन के दामों में गिरावट के पीछे रूस का बड़ा हाथ है। दरअसल, हाल ही में रूस के राष्ट्रपति ब्लादमिर पुतिन ने बिटकॉइन समेत सभी क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ कानून बनाने की बात कही थी। जानकारों को कहना है कि पुतिन के इस बात से बिटकॉइन में पैसा लगाने वाले कई निवेशक डर गए और उन्होंने पैसे वापस निकाल लिए जिससे ये लुढ़क कर 10 हजार डॉलर के नीचे पहुंच गया।
भारत ने भी बताया गैरकानूनी
विटक्वाइन को भारत सरकार ने भी गैरकानूनी घोषित कर रखा है। केंद्रीय वित्त मंत्री, अरुण जेटली ने संसद में इस बारे में बोलते हुए कहा कि भारत सरकार बिटकॉइन को कानूनी मान्यता नहीं देती है। इस बीच ऐसी खबरें सामने आ रही हैं भारत में भी लोग बिटकॉइन की गिरती कीमतों से परेशान हैं और पैसा डूबने के दर से इसे बेचने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या है बिटकॉइन
बिटकॉइन एक वर्चुअल करेंसी (क्रिप्टो करेंसी) जैसी है जिसे एक ऑनलाइन एक्सचेंज के माध्यम से कोई भी खरीद सकता है। इसकी खरीद-फरोख्त से फायदा लेने के अलावा भुगतान के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। इसे 2009 में एक अनजान इन्सान ने एलियस सतोशी नाकामोटो के नाम से क्रिएट किया था। इसके जरिए बिना बैंक को माध्यम बनाए लेन-देन किया जा सकता है। हालांकि भारत में इस मुद्रा को न तो आधिकारिक अनुमति है और न ही इसे रेग्युलेट करने का कोई नियम बना है।