जानिए क्यों हुई है 28 फरवरी को देश के सरकारी बैंकों में हड़ताल, 10 लाख कर्मचारियों ने काम किया बंद
ऑल इंडिया बैंक एम्पलॉयीज एसोसिएशन ने 28 फरवरी, 2017 को देश भर के बैंकों में हड़ताल का आयोजन किया है।
चेन्नई। ऑल इंडिया बैंक एम्पलॉयीज एसोसिएशन ने 28 फरवरी, 2017 को देश भर के बैंकों में हड़ताल का बुलाई है। पर इस हड़ताल के पीछे की वजह क्या आपको मालूम है? एआईईबीईए के मुताबिक यह हड़ताल उन्होंने बैंको के फंसे हुए कर्ज को वसूलने और विलफुल डिफॉल्टरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने को लेकर की है। एसोसिएशन का कहना है कि फंसे हुए कर्ज की वसूली के लिए अलग से कोई प्रक्रिया अपनाने के बजाय ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
एआईईबीईए के महासचिव सी.एच.वेंकटाचलम ने कहा कि इंडियन बैंकिंग इंडस्ट्री को सबसे ज्यादा नुकसान बेड लोन और विलफुल डिफॉल्टर से हो रहा है। ऐसे लोगों की जवाबदेही तय करनी चाहिए। उन्होंने कहा बेड लोन की रिकवरी के लिए बेड बैंक की जरूरत नहीं है। बल्कि इसके जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह यूनियन, यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियनस की एक बॉडी है और जोकि अन्य नौ यूनियनों का हिस्सा है।
सी.एच.वेंकटाचलम ने कहा कि इस बैंक हड़ताल में करीब 10 लाख बैंक कर्मचारी शामिल हुए हैं। आपको बताते चले कि देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने वित्त वर्ष 2016-17 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया था। इसमें एनपीए का खत्म करने को लेकर बेड बैंक की स्थापना की बात कही गई थी। केंद्र सरकार को चाहिए कि कड़े निर्णय लेते हुए इस तरह से कर्ज का खत्म किया जाए।
सी.एच.वेंकटाचलम ने कहा यह विचार कुछ नहीं है बल्कि एक सरकारी संस्था से दूसरी सरकारी संस्था को बेड लोन ट्रांसफर करने का विचार भर है। उन्होंने कहा यह आइडिया किसी काम का नहीं है। ऐसे में बेड लोन को कंपनियां बहुत ही छूट मिल रहे दाम पर खरीदती हैं और कई वर्षों में पैसा चुकाती हैं।
आईडीबीआई बैंक का उदाहरण देते हुए कहा कि कुछ वर्षों पहले आईडीबीआई बैंक ने 9000 करोड़ रुपए का बेड लोन एसएसएफ को ट्रांसफर किया था। पर आज आईडीबीआई का कर्ज बढ़कर 20,000 करोड़ हो गया है।
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