Bank Privatisation: इन दो सरकारी बैंकों का हो सकता है निजीकरण, जानिए क्या है प्लान
Bank Privatisation: इन दो सरकारी बैंकों का हो सकता है निजीकरण, जानिए क्या है प्लान
नई दिल्ली, अप्रैल 14: मोदी सरकार ने बजट घोषणा के दौरान सरकारी बैंकों के निजीकरण का ऐलान किया था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट के दौरान दो और सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की, जिसे लेकर काफी विरोध हो रहा है। सरकार विरोध के बावजूद इन बैंकों की निजीकरण की तैयारी में जुट गई है। उच्च अधिकारी बैंकों के निजीकरण का रोडमैप तैयार कर रहे हैं। बैंक प्राइवेटाइजेशन के लिए बैठकों का दौर जारी है।
इन दो बैंकों का निजीकरण
सरकार ने बैंकों के निजीकरण की तैयारी शुरू कर दी है। पहली प्रक्रिया में कम से कम दो सरकारी बैंकों के निजीकरण का फैसला लिया जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो सरकार बैंकों के निजीकरण के लिए संभावित बैंकों को शॉर्टलिस्ट करन के लिए 14 अप्रैल को वित्त मंत्रालय के उच्च अधिकारियों, नीति आयोग और भारतीय रिजर्व के बीच अहम बैठक हुई है, जिसमें बैंकों के प्राइवेटाइजेशन से संबंधित कई अहम फैसले लिए गए हैं।
कौन-कौन से बैंक शामिल
आपको बता दें कि सरकार ने दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा बजट के दौरान की थी। वहीं बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक नीति आयोग की ओर से 4 बैंकों के नाम का सुझाव दिया गया है। इन चार नामों में से दो नामों को शॉर्टलिस्ट किया जाना है, जिन्हें सरकार निजी हाथों में सौंप सकती है। नीति आयोग की ओर से बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ इंडिया , सेंट्रल बैंक के नाम दिए गए, जिनमें से दो नामों को चिन्हित किया जाना है।
इन दो बैंकों का हो सकता है निजीकरण
मान जा रहा है कि बैंकों के निजीकरण के पहल चरण में सरकार बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडियन ओवरसीज बैंक का प्राइवेटाइजेशन कर सकती है। आपको बता दें कि वर्तमान में देश में 12 सरकारी बैंक है। सरकार ने बैंकों के बढ़ते एनपीए को देखते हुए उनके निजीकरण का फैसला लिया है।