Bank Merger: PNB में इन दो बैंकों के विलय से क्या खतरे में बैंक कर्मचारियों की नौकरी? पंजाब नेशनल बैंक के CEO ने दिया जवाब
नई दिल्ली। Bank Merger के जरिए केंद्र सरकार बैंकों के एनपीए( NPA) को कम करने की कोशिश कर रही हैं। इसी क्रम में पंजाब नेशनल बैंक( Punjab National Bank) में दो सरकारी बैंकों का विलय किया जा रहा है। ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (OBC) और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ( United Bank of India) का विलय पंजाब नेशनल बैंक में हो रहा है। बैंकों के विलय से सबसे विलय से सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या PNB में OBC बैंक और यूनाइडेट बैंक ऑफ इंडिया के विलय से इन बैंकों के कर्मचारियों की नौकरी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं? इसका जवाब पंजाब नेशनल बैंक के एमडी और सीईओ एसएस मल्किकार्जुन राव ने दिया है।
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पंजाब नेशनल बैंक नें इन दो बैंकों का विलय
केंद्र सरकार के आदेश के बाद पंजाब नेशनल बैंक( PNB) में यूनाइडेट बैंक ऑफ इंडिया( United Bank of India) और यूको बैंक ( UCO Bank) का विलय को मंजूरी दे दी। इस फैसले के बाद अब यूको बैंक और यूनाइडेट बैंक ऑफ इंडिया PNB में शामिल हो जाएगा। ऐसे में बैंकों के विलय से कर्मचारियों की चिंता बढ़ी हुई है। उन्हें आसंकता है कि बैंकों के विलय से उनकी नौकरी खतरे में आ जाएगी और बैंकों में कर्मचारियों की छंटनी होगी। इन सब आशंकाओं और कर्मचारियों की चिंता को लेकर पंजाब नेशनल बैंक के एमडी और सीईओ एसएस मल्किार्जुन ने सफाई दी है।
नहीं होगी कर्मचारियों की छंटनी
पंजाब
नेशनल
बैंक
के
एमडी
और
सीईओ
ने
कहा
है
कि
बैंकों
के
विलय
के
बाद
किसी
भी
कर्मचारी
की
नौकरी
नहीं
जाएगी।
न्यूज
एजेंसी
ANI
से
एसएस
मल्लिकार्जुन
राव
के
हवाले
से
ट्वीट
करते
हुए
लिखा
PNB
में
ओरिएंटल
बैंक
ऑफ
कॉमर्स
और
यूनियन
बैंक
ऑफ
इंडिया
के
कामकाज
का
विलय
होने
से
किसी
भी
कर्मचारी
की
छंटनी
नहीं
की
जाएगी।
आपको
बता
जें
कि
PNB
में
इन
दोनों
बैंकों
का
विलय
1
अप्रैल
2020
से
लागू
हो
गया
है।
इस
विलय
के
बाद
पीएनबी
देश
का
दूसरा
सबसके
बड़ा
देश
बन
गया
है।
इन 4 बैंकों को निजी हाथों में सौंप सकती है सरकार
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक सरकार ने पंजाब एंड सिंध बैंक( Punjab and Sind Bank), बैंक ऑफ महाराष्ट्र( Bank od Mharashtra), यूको बैंक( UCO Bank) और आईडीबीआई( IDBI Bank) बैंक में अपनी हिस्सेदारी को बेचने का फैसला कर लिया है। सरकार ने इसके लिए प्रक्रिया को तेज करने का आदेश दिया है। सरकार चाहती है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के आने से पहले ये प्रक्रिया पूरी हो जाए।