मिनिमम बैलेंस न रखने पर बैंकों ने वसूला 5000 करोड़ का जुर्माना, SBI सबसे आगे
मुंबई। बैंक अकाउंट में मिनिमम बैलेंज न रखने वाले जुर्माना वसूलने में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) सबसे आगे है। साल 2017-2018 में बैंकों ने मिनिमम बैंलेंज न रखने वाले खाताधारकों से 5000 करोड़ रुपए की जुर्माना वसूला। इनमें अकेले एसबीआई ने 2,434 करोड़ रुपए का जुर्माना वसूला है। एसबीआई समेत सार्वजनिक क्षेत्र के कुल 21 बैंकों और निजी क्षेत्र के 3 प्रमुख बैंकों ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान मिनिमम बैलेंस नहीं रख पाने के चलते यह जुर्माना राशि वसूल की है। इस प्रकार से कुल 24 बैंकों ने ग्राहकों से 4,989.55 राशि वसूल की है।
प्राइवेट बैंकों ने भी ग्राहकों से वसूली मोटी रकम
एसबीआई के अलावा एचडीएफसी बैंक ने 590 करोड़, ऐक्सिस बैंक ने 530 करोड़, आईसीआईसीआई बैंक ने 317 करोड़ और पंजाब नैशनल बैंक 211 करोड़ रुपए जुर्माना वूसला है। यह आंकड़ा चौंकाने वाला इसलिए भी है, क्योंकि मोदी सरकार आने के बाद व्यापक स्तर पर जन-धन खाते खोले गए। इन खातों में मिनिमम बैलेंस न रखने पर कोई जुर्माना नहीं है। अब तक करीब 30 करोड़ जन धन खाते जाने की बात कही जा रही है। इसके बाद भी मिनिमम बैंलेंस न रखने पर करीब 5000 करोड़ का जुर्माना वसूलने की बात सामने आना, वाकई अश्चर्यजनक है।
एसबीआई के खाताधारकों को मेट्रो सिटी में कम से कम रखना होता है 300 रुपए बैलेंज
जहां तक मिनिमम बैंलेंस की बात है तो एसबीआई के खाताधारकों को मेट्रो सिटीज में कम से कम 3000 रुपए अकाउंट में रखने होते हैं। अगर इन खातों में मिनिमम बैलेंस 2,999 से 1500 तक रहता है तो एसबीआई 30 रुपए का जुर्माना लगाता है। अगर मिनिमम अकाउंट बैलेंस 1499 से 750 के बीच रहता है तो एसबीआई के अकाउंट होल्डर्स पर 40 से 50 रुपए का जुर्माना लगाया जाता है।
आम आदमी से इस प्रकार जुर्माना वसूलना अन्याय: जयंतीलाल भंडारी
मिनिमम अकाउंट बैलेंस न रखने पर जुर्माना लगाए जाने की खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए आर्थिक जानकार जयंतीलाल भंडारी ने कहा कि जो लोग खाते में न्यूनतम राशि नहीं रख पा रहे हैं, उनमें ज्यादातर लोग आर्थिक रूप से कमजोर हैं। नीरव मोदी जैसे घोटालेबाज बैंकों का पैसा लेकर भाग रहे हैं-ऐसे माहौल में आम आदमी पर न्यूनतम राशि न रख पाने के लिए जुर्माना लगाना, बड़ा ही अन्यायपूर्ण है। हालांकि, बैंक न्यूनतम राशि न रख पाने पर जो जुर्माना वसूल रहे हैं, वह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइडलाइन के अनुसार ही है। आरबीआई के नियमों के अनुसार बैंकों को सेवा-अन्य शुल्क वसूलने का अधिकार है।