तो क्या वित्तमंत्री की आर्थिक योजनाओं में कुछ नया नहीं है, जानिए क्या है सच्चाई?
तो क्या वित्तमंत्री की आर्थिक योजनाओं में कुछ नया नहीं है, जानिए क्या है सच्चाई?
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत स्कीम के तहत अपनी चौथी किस्त में 8 सेक्टर के लिए बूस्टर डोज का ऐलान किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोनावायरस महामारी से उबरने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से आत्मनिर्भर भारत के तहत 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की चौथी किस्त शनिवार को साझा की, जिसमें कोल, डिफेंस, मिनरल, सिविल एविएशन, स्पेस, पावर सेक्टर के लिए बड़े रिफॉर्म का एलान हुआ। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कुल 8 सेक्टर के लिए बूस्टर डोज की घोषणा की गई, लेकिन इन घोषणाओं में पुराने सुधार प्रस्तावों को नया पुश दिया गया या पहले के निर्णयों का एकत्रीकरण किया गया है। एक नजर डालते हैं वित्त मंत्री के आत्म निर्भर भारत की चौथी किस्त की घोषणाओं पर...
कोल सेक्टर का निजीकरण
वित्त मंत्री ने अपनी घोषणाओं में कोयला खनन क्षेत्र में निजी सेक्टर को मौका मिलने की बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार कोल सेक्टर में बड़े सुधार (reforms) करने जा रही ह, इससे इस क्षेत्र में सरकार का एकाधिकार खत्म होगा। वहीं कॉमर्शियल कोल माइनिंग को बढ़ावा दिया जाएगा। कोल सेक्टर में कमर्शियल माइनिंग को मंजूरी दी जाएगी। कोल को गैस में कनवर्ट करने पर इंसेंटिव दिया जाएगा और रेवेन्यू शेयरिंग बेसिस से इस सेक्टर का रिफॉर्म होगा। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक कोल सेक्टर को दिए गए इस बूस्टर डोज में दो साल पुराने प्रस्तावों की रीपैकजिंग दिखी। कॉमर्शियल माइनिंग का प्रस्ताव दो साल पुराना है। कोल माइंस (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 और खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 के प्रावधानों के तहत कोयले की बिक्री के लिए कोयला खदानों / ब्लॉकों की नीलामी करने का एक तरीका है जिसे साल 2018 की शुरुआत में सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया था। वहीं 27 फरवरी, 2018 को एक आदेश जारी किया गया। इसके बाद कोलया मंत्रालय ने कहा था कि उन्होंने 15 बड़े कोल ब्लॉकों की पहचान की है, जिसे पायलट राउंड के लिए दिसंबर 2019 में बिडिंग के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
वाणिज्यिक खनन के लिए शर्तों के साथ दी गई ढील
इस
साल
जनवरी
में,
मंत्रिमंडल
ने
कोल
सेक्टर
में
वाणिज्यिक
खनन
के
द्वार
खोलने
के
लिए
दो
कानूनों
में
शर्तों
में
ढील
देने
के
लिए
आवश्यक
संशोधनों
का
प्रस्ताव
दिया
था।
सरकार
ने
कहा
था
कि
कोयला
गैसीकरण
और
द्रवीकरण
को
राजस्व
हिस्सेदारी
में
छूट
के
माध्यम
से
प्रोत्साहित
किया
जाएगा
लेकिन
परियोजना
रोलआउट
पहले
ही
शुरू
हो
गया।
आपको
बता
दें
कि
फर्टिलाइजर
कॉरपोरेशन
ऑफ
इंडिया
लिमिटेड
की
तालचर
इकाई
का
पुनरुद्धार
ज्वाइंट
वैंचर
विशेष
प्रयोजन
वाहनों
के
नामांकित
पीएसयू
कोलया
गैसीकरण
के
जरिए
यूरिया
निर्माण
को
पिछले
साल
दिसंबर
में
ही
मंजूरी
मिल
गई
थी।
वहीं
राष्ट्रीय
रसायन
और
उर्वरक
लिमिटेड
(RCF),
गैस
अथॉरिटी
ऑफ
इंडिया
लिमिटेड
(GAIL)
और
कोल
इंडिया
लिमिटेड
(CIL)
ने
PDIL
को
कोयला
गैसीकरण
के
जरिए
अमोनिया
के
उत्पादन
की
रिपोर्ट
सौंपी।
वहीं
अन्य
खनिजों
के
लिए
घोषित
उदारीकरण
पर,
नियमानुसार,
सभी
रियायतें
ई-नीलामी
के
माध्यम
से
संबंधित
राज्य
सरकारों
द्वारा
प्रदान
की
जानी
हैं।
जबकि
खनिज
सूचकांक
एक
नया
प्रस्ताव
प्रतीत
होता
है,
लीजहोल्ड
और
फ्रीहोल्ड
क्षेत्रों
में
खनिजों
के
लिए
और
राज्यों
के
हिसाब
से
भंडार
के
लिए
डेटा
भारतीय
खान
ब्यूरो
द्वारा
संकलित
स्वैच्छिक
राष्ट्रीय
खनिज
इन्वेंटरी
(एनएमआई)
के
पास
पहले
से
ही
उपलब्ध
है।
रक्षा क्षेत्र में FDI बढ़ा
वित्त मंत्री ने ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड का निगमीकरण उनके कामकाज में सुधार के लिए रक्षा क्षेत्र में एफडीआई में बढ़ोतरी की घोषणा की। डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में ऑटोमैटिक रूट्स के जरिए FDI की सीमा को 49 से बढ़ाकर 74 फीसद किया करने की घोषणा की। वर्तमान में वर्तमान में, स्वचालित मार्ग के तहत एफडीआई की अनुमति 49 प्रतिशत से अधिक और सरकारी मार्ग के माध्यम से 49 प्रतिशत से अधिक है। हालांकि, इनफ्लो निराशाजनक है। आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर, 2019 तक रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र में 79 कंपनियों द्वारा साल 2014 के बाद रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र में केवल 1834 करोड़ रुपए का एफडीआई प्रवाह दर्ज है।
सिविल एविएशन सेक्टर में घोषणाएं
वित्त मंत्री ने अपनी घोषणा में एयरस्पेस बढ़ाने का फैसला किया है। अब तक केवल 60 फीसदी एयरस्पेस खुला है। एयरस्पेस बढ़ाने से सरकार को 1000 करोड़ की कमाई होगी। 6 एयरपोर्ट की नीलामी की जाएगी। साथ ही पीपीपी मॉडल से एयरपोर्ट का विकास किया जाएगा। देश में एक भी एयरक्रॉफ्ट मेंटिनेंस सेंटर नहीं है ऐसे में प्लेन को बाहर मेंटिनेंस के लिए ले जाना पड़ता है, जिससे खर्च भी बढ़ता है और रोजगार के मौके भी जाते हैं। भारत को एयरक्रॉफ्ट मेंटिनेंस, रीपेयर ऐंड ओवरहॉल (MRO) का हब बनाया जाएगा। आपको बता दें कि सिविल एविएशन क्षेत्र में सुधार के लिए की गई घोषणाएं अधिकांश 1 मई को ही कवर कर ली गई थी जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नागरिक उड्डयन मंत्री और अधिकारियों के साथ बैठक की थी, जिसमें सिविल एविएशन को सबल बनाने के लिए रणनीतियों की समीक्षा की थी। इस बैठक में किया गया था कि भारतीय एयर स्पेस का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाए। इस तरह से इस्तेमाल किया जाए कि उड़ान का समय कम हो जाता है, जिससे यात्रा करने वाले यात्रियों को फायदा मिले और साथ ही साथ एयरलाइंस के खर्च में भी कटौती हो। इसके लिए एविएशन मंत्रालय सैन्य मामलों के विभाग के साथ ताल-मेल बिठाकर रणनीति तय करे। शनिवार को वित्त मंत्री द्वारा की गई घोषणाओं के तहत एविएशन सेक्टर में 1000 करोड़ की बचत होगी, वहीं उड़ान के समय में भी बचत होगी। भारत सरकार के मुताबिक भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को निजीकरण वाले हवाई अड्डों पर कार्य करने वाली पार्टी द्वारा राजस्व के बंटवारे के भुगतान में 2,300 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होगा।
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MRO को लेकर घोषणा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एयरक्रॉफ्ट मेंटिनेंस, रीपेयर ऐंड ओवरहॉल (MRO) का हब बनाने को लेकर घोषणा की। आपको बता दें कि ये घोषणा साल जुलाई 2019 में मोदी सरकार ने अपने बजट 2019-20 में की थी। MRO सेक्टर को लेकर नई घोषणाओं के बारे में रेवेन्यू सेक्रेटरी अजय भूषण पांडे ने कहा कि भारत के पास बेहतरीन सिविल सेक्टर है, जिसकी वजह से हम चाहते हैं कि MRO इंडस्ट्री को भारत में बढ़ावा मिले। इसके लिए सरकार की ओर से भी कोशिश की गई है। सरकार ने जीएसटी की दर 18 प्रतिशत से घटाकर पूर्ण इनपुट-टैक्स क्रेडिट के साथ 5 प्रतिशत हो गई थी। यह MRO उद्योग को बहुत प्रतिस्पर्धी बना देगा। इसी तरह से वित्त मंत्री ने निजी निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सामाजिक बुनियादी ढाँचे के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (VGF) की घोषणा की - इस वर्ष के बजट में इसी तरह के उपायों की रूपरेखा तैयार की गई। केंद्र सरकार ने फरवरी में आयुष्मान भारत के तहत कवरेज में सुधार के लिए वीजीएफ विंडो को अस्पतालों को पीपीपी मोड में स्थापित करने की घोषणा की थी।