अरुण जेटली बोले- राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पाने के लिए नहीं चाहिए RBI का पैसा
नई दिल्ली। देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि सरकार चालू वित्त वर्ष में 3.3 प्रतिशत राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर कायम रहेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पाने के लिए सरकार को आरबीआई या किसी अन्य संस्था से धन लेने की जरूरत नहीं है। अरुण जेटली ने कहा कि आरबीआई की स्वायत्तता को कोई भी खतरा नहीं है। देश की सरकार चुनी हुई होती है और उसे जनता को जवाब देना होता है। जेटली ने कहा कि आरबीआई को जनता को जवाब नहीं देना होता है।
बोले-देश में कोई बैंकिंग क्राइसिस नहीं
इंडिया टुडे ग्रुप के कार्यक्रम में पहुंचे अरुण जेटली ने कहा कि सरकार ने जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसे हासिल करने के प्रति आश्वस्त है। उन्होंने कहा कि बजट और सरकार के काम-काज के लिए उन्हें आरबीआई से एक रुपया भी नहीं चाहिए। जेटली ने सवाल किया कि आखिर आरबीआई को कितना रिजर्व चाहिए। इस पैसे का और क्या इस्तेमाल हो सकता है। क्या इस पैसे का इस्तेमाल देश के गरीबों के लिए किया जा सकता है।
'आरबीआई के पास 28 फीसदी धन रिजर्व'
उन्होंने कहा कि इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए केंद्र और आरबीआई ने एक कमेटी गठित की ताकि ये तय किया जा सके कि आरबीआई देश की अर्थव्यवस्था में कितना पैसा डाल सकता है। उन्होंने कहा कि अधिकांश केंद्रीय बैंक 8 फीसदी तक धन रिजर्व रखते हैं। आज आरबीआई के पास 28 फीसदी धन रिजर्व है। वित्त मंत्री ने कहा कि लिक्विडिटी बनी रहे, बाजार के लिए ये अच्छा होता है।
'आरबीआई से नहीं चाहिए एक भी पैसा'
आर्थिक मुद्दे पर बात करते हुए जेटली ने कहा कि कुछ चुनौतियां वैश्विक अर्थव्यवस्था में है। उन्होंने कहा कि कुछ क्षेत्रों में ऐतिहासिक चुनौतियां भी हैं। इसके बावजूद देश की अर्थव्यवस्था तेज गति से चल रही है। उन्होंने कहा कि सरकारी घाटा पहले काबू में नहीं था लेकिन अब पूरी तरह इसपर लगाम लगा लिया गया है। किसानों की कर्ज माफी के मुद्दे पर वित्त मंत्री ने कहा कि अगर राज्य इस हालत में हैं तो वे ऐसा कर सकते हैं।