मई में -3.21 प्रतिशत रही मुद्रास्फीति की वार्षिक दर, सरकार ने जारी किए आंकड़े
नई दिल्ली: लॉकडाउन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था पर काफी बुरा असर पड़ रहा है। मासिक (थोक मूल्य सूचकांक) पर आधारित मुद्रास्फीति की वार्षिक दर मई 2020 के लिए -3.21 प्रतिशत रही, जबकि पिछले साल इस महीने में ये दर 2.79 प्रतिशत थी। ये आंकड़े भारत सरकार ने सोमवार को जारी किए। लॉकडाउन के चलते उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग अप्रैल के आंकड़ों को इकट्ठा नहीं कर पाया था। जिस वजह से इसे एक महीने के लिए निलंबित किया गया था। अब फिर से इस आंकड़े को जारी कर दिया गया है।
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क्या
है
मुद्रास्फीति
दर?
मुद्रास्फीति
का
मतलब
जब
किसी
अर्थव्यवस्था
में
सामान्य
कीमत
स्तर
लगातार
बढ़े
और
मुद्रा
का
मूल्य
कम
हो
जाए।
आसान
भाषा
में
कहें,
तो
मुद्रास्फीति
की
दर
नए
निश्चित
अवधि
में
मूल्यों
की
उपलब्ध
मुद्रा
के
सापेक्ष
वृद्धि
मुद्रास्फीति
या
महंगाई
कहलाती
है।
उदाहरण
के
तौर
पर
आपने
कोई
सामान
आज
100
रुपये
का
खरीदा
है।
इसके
बाद
मुद्रास्फीति
की
दर
10
प्रतिशत
रहती
है,
तो
आप
उस
सामान
को
अगले
साल
110
रुपये
में
खरीदेंगे।
The annual rate of inflation, based on monthly WPI (Wholesale Price Index), stood at -3.21% (provisional) for May 2020 (over May 2019) as compared to 2.79% during the corresponding month of the previous year: Government of India pic.twitter.com/9DTd4g3wGj
— ANI (@ANI) June 15, 2020
लोन मोरेटोरियम: 3 दिन के अंदर ब्याज पर होगा फैसला, SC ने RBI को दिया आदेश
पहले
की
रिपोर्ट
से
RBI
चिंतित
कोरोना
संकट
में
आपूर्ति
में
रुकावटों
के
बाद
उछाल
देखा
गया
और
खाद्य
मुद्रास्फीति
में
नरमी
आई।
अप्रैल
महीने
के
मुकाबले
यह
मार्च,
2020
में
7.8
प्रतिशत
से
बढ़कर
8.6
प्रतिशत
हो
गई।
भारतीय
रिजर्व
बैंक
के
गवर्नर
शक्तिकांत
दास
ने
उस
दौरान
कहा
था
कि
कोविड-19
महामारी
के
प्रकोप
के
कारण
मुद्रास्फीति
का
दृष्टिकोण
बेहद
अनिश्चित
है
और
दालों
की
बढ़ी
कीमतें
चिंता
का
विषय
है।