हॉलमार्क ज्वेलरी की ही करें खरीददारी, जानें कैसे करें इसकी पहचान और क्या हैं फायदें
हॉलमार्क ज्वेलरी की ही करें खरीददारी, जानें कैसे करें इसकी पहचान और क्या हैं फायदें
बेंगलुरु। करवाचौथ, दीपावली या ईद पर अगर आप भी सोने के गहनें खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो ये जरूर जान लें कि अब सरकार ने सोने की ज्वेलरी में हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया है। अगर आपके स्वर्ण आभूषणों में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) वाले हॉलमार्क नहीं है तो उसके शुद्धता संदिग्ध होती है। इसके बावजूद ज्वेलर्स ग्राहकों को चूना अभी भी आसानी से लगा रहे हैं, क्योंकि ग्राहकों को ज्वेलरी में हॉलमार्किंग की पहचान नहीं कर पाते हैं। आइए जानते हैं कि सोने की ज्वेलरी की शुद्धता का पता लगाने का सही तरीका क्या है और कैसे चेक करेंगे कि जो ज्वेलरी खरीदने जा रहे है सोना कितने कैरेट का है?
सोने की हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी है
सरकार ने 15 जनवरी, 2021 तक सोने की हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी है और उसके बाद बिना हॉलमार्क वाले सोने की वैल्यू कम हो गई है, अगर अब आप बिना हॉलमॉर्क का सोना बेचते हैं तो उसकी औने-पौने कीमत मिलेंगी। इसलिए गोल्ड ज्वेलरी खरीदते वक्त सबसे पहले उसकी शुद्धता का पता लगाएं। 24 कैरेट सोना सबसे शुद्ध होता है , लेकिन आपको बता दें कभी भी 24 कैरेट गोल्ड की ज्वेलरी नहीं तैयार की जाती है। इसके पीछे वजह है कि प्योर गोल्ड बहुत मुलायम होता है। सामान्य तौर पर सोने के आभूषण बनाने के लिए 22 कैरेट सोने का प्रयोग किया जाता है।
जानिए क्या होता है कैरेट
कैरेट वह मानक है जिसे सोने में मिश्रित धातुओं (जिंक, निकेल आदि) की मात्रा का पता चलता है। चूंकि शुद्ध सोना 24 कैरेट का होता है, लेकिन आभूषण बनाने के लिए ज्वैलर्स सोने में जिंक, निकेल और चांदी का इस्तेमाल करते हैं। 22 कैरेट गोल्ड ज्वैलरी में 91.66 फीसदी सोना होता है। इसके अतिरिक्त सर्राफा बाजार में 20 कैरेट और 18 कैरेट के भी आभूषण बिकते हैं। 22 कैरेट गोल्ड में 2 कैरेट कोई अन्य मेटल मिक्स किया होता है और 18 कैरेट की ज्वैलरी में 6 कैरेट कोई और मेटल मिला होता है। विशेषज्ञों के अनुसार सोने में निवेश के लिहाज से अगर आप गोल्ड ज्वेलरी खरीद रहे हैं तो बेहतर होगा कि 22 कैरेट के ही आभूषण खरीदें।
ऐसे करें हॉलमार्क की पहचान?
सोने के आभूषणों की शुद्धता से संबंधित हॉलमार्क से जुड़े 5 तरह के निशान ज्वेलरी में होते हैं। इसमें से एक कैरेट को लेकर लेकर होता है. अगर 22 कैरेट की ज्वेलरी होगी तो उसमें 916, 21 कैरेट के आभूषण पर 875 और 18 कैरेट की ज्वैलरी पर 750 लिखा होता है वहीं अगर ज्वेलरी 14 कैरेट की होगी तो उसमें 585 लिखा होगा। इस निशान को देखकर आप चंद सेकेन्ड में पहचान कर सकेंगे कि जो आप ज्वैलरी खरीद रहें हैं वो कितने कैरेट की है और वो कितनी शुद्ध है।
ये होता है असली हॉलमार्क का निशान
ज्वैलर्स 18 कैरेट सोने को भी 22 कैरेट का बताकर ग्राहकों को चूना अभी आसानी से लगा रहे थे माना जा रहा था कि आभूषणों में हॉल मार्किंग अनिवार्य होने के बाद ज्वैलर्स ऐसा नहीं कर पाएंगे लेकिन अभी भी कई ज्वेलर्स बिना जांच प्रकिया पूरी किए ही हॉलमार्क लगा रहे हैं। इसके लिए आपको हॉलमार्क के असली हॉलमार्क की पहचान होनी जरुरी है। भारतीय हॉलमार्क पर भारतीय मानक ब्यूरो का तिकोना निशान होता है और ये सोने की कैरेट की शुद्धता के निशान के बगल में होता है। सोने के आभूषण पर निर्माण का वर्ष और उत्पादक का लोगो भी अंकित होता है।
जानिए क्या होता है हॉलमार्क
बीआईएस का हॉलमार्क सोने के साथ चांदी की शुद्धता को प्रमाणित करने का माध्यम है। बीआईएस का यह चिह्न प्रमाणित करता है कि गहना भारतीय मानक ब्यूरो के स्टैंडर्ड पर खरा उतरता है। हॉलमार्किंग में किसी उत्पाद को तय मापदंडों पर प्रमाणित किया जाता है। हॉलमार्किंग स्कीम भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम के तहत संचालन, नियम और विनियम का काम करती है । इसलिए सोने खरीदने से पहले सुनिश्चित करें कि आभूषणों में बीआईएस हॉलमार्क है। यदि सोने के गहनों पर हॉलमार्क है तो इसका मतलब है कि उसकी शुद्धता प्रमाणित है।
ओरिजनल बिल अवश्य लें
हॉलमार्किंग वाला आभूषण खरीदने के बाद ज्वैलर्स से ओरिजनल बिल अवश्य लें और जिसमें लिखा हो कि आप जो ज्वेलरी खरीद रहे हैं, उसकी शुद्धता क्या है जैसे अगर आपने 22 कैरेट सोने की ज्वैलरी खरीदी है तो बिल में अंकित होना चाहिए कि 22 कैरेट। ऐसा इसलिए कि अगर भविष्य में जब आप उसे बेचे तो उसकी प्योरिटी और उसके वजन को लेकर कोई भी समस्या न हो। ये बिल भी ग्राहक को हमेशा ज्वैलरी के साथ संभाल कर रखना चाहिए।