PNB,इलाहाबाद बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र के खाताधारक ध्यान दें,सरकार उठाने जा रही है बड़ा कदम
नई दिल्ली। मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में 6 सहयोगी बैंकों का विलय किया गया, उसके बाद देना बैंक, विजया बैंक का विलय बैंक ऑफ बड़ौदा में किया गया। अब मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में एक और बड़े बैंक में कुछ बैंकों के विलय की तैयारी की जा रही है। केंद्र में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में बैंकों के विलय को लेकर तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार बैंकों के विलय पर तेजी से कदम उठाने की दिशा में काम कर रही है।
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विलय होंगे ये तीन बैंक
सीएनबीसी आवाज की रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब नेशनल बैंक के साथ बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इलाहाबाद बैंक का मर्जर हो सकता है। माना जा रहा है कि जल्द ही इसे लेकर कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जा सकता है। इसके अलावा ओबीसी, यूनियन बैंक और बैंक ऑफ इंडिया के विलय पर भी विचार किया जा रहा है। विलय के बाद बैंक के ग्राहकों पर भी असर होगा, हालांकि उनकी जमांपूजी और कर्ज की ब्याज दर पर कोई असर नहीं होगा।
क्या होगा ग्राहकों पर असर
बैंकों के विलय का असर बैंक के खाताधारकों पर होगा। खाताधारकों की जमा पूंजी पूरी तरह सुरक्षित रहेगी। बैंक के विलय के बाद कर्ज की ब्याज दर पर सेविंग की ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं होगा। विलय के बाद कागजी काम बढ़ जाएंगे। एक तो चेकबुक और पासबुक फिर से इश्यू करानी पड़ेगी। बैंक का एटीएम कार्ड फिर से इश्यू कराना पड़ेगा। बैंकों के विलय होने से ग्राहकों की कागजी कार्रवाई बढ़ जाती है। नए बैंक का KYC को फिर से प्रोसेस करना पड़ेगा।
क्यों विलय का रास्ता अपना रही है सरकार
बैंकों पर बढ़ते एनपीए के बोझ को कम करने के लिए और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सेहत सुधारने के लिए सरकार बैंकों के विलय पर विचार कर रही है। छोटे और कमजोर सरकारी बैंकों का आपस में विलय कर उन्हें मजबूत बनाया जा रहा है। बैंकों के विलय से बैंकों का खर्च को कम करने में मदद मिलेगी।