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भाई जूता फटा, पंक्चर हुआ, भूख लगी, टेंशन मत ले, सब जुगाड़ "नुक्कड़ पे है"

By योगेंद्र कुमार
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-नुक्कड़ के कामगारों के लिए बन रही अनोखी एप
-युवा उद्यमी स्टार्टअप इंडिया के तहत नुक्कड़ के कामगारों को दिला रहे ऑनलाइन पहचान
-बाहरी राज्यों के लोगों और छात्रों को मिलेगी नुक्कड़ पर मौजूद कामगारों की जानकारी
-एप के जरिये मोची, दर्जी, पनवाड़ी, फूलवाले, चाय वाले, चाभी वाले, पंक्चर वाले जूस वाले, मैकेनिक, कारपेंटर, प्लम्बर, पेंटर, स्ट्रीट फूड आदि को जोड़ा जा रहा है
नई दिल्ली। यार मेरा नया जूता फट गया, तुरंत कहा जाऊं। यार मेरी ब्रांडेड टी-शर्ट चिर गयी, एकदम कहाँ ठीक होगी। भाई में आधे रास्ते मे हूँ और टायर पंक्चर हो गया, कहाँ लगेगा अभी। हमारी ज़िंदगी मे कई बार ऐसी छोटी लेकिन गंभीर घटनाएं होती हैं जिनसे हमें बहुत परेशानी होती है। देश के दो युवा उद्यमियों ने ऐसे सभी सवालों के जवाब अपने नए एप "नुक्कड़ पे है" के ज़रिए देने का सफर शुरू कर दिया है। ये दोनों स्टार्टअप इंडिया अभियान के तहत न सिर्फ नुक्कड़ के कामगारों को नई पहचान दिलाने, बल्कि इन्हें एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म भी मुहैया कराने का प्रयास कर रहे हैं।

All Big Solutions Nukkad Pe Hai

ये युवा उद्यमी हैं अतुल सक्सेना और वैभव बादल। अतुल और वैभव बताते हैं कि उन दोनों के ज़ेहन में आज भी धारावाहिक नुक्कड़ की यादें बसी हुई हैं। उसमें जिस तरह नुक्कड़ के कामगारों के संघर्ष, परेशानियां और बदहाली दिखाई गई थी, वो स्थिति आज लगभग तीन दशक के बाद भी वैसी ही है। उनके पास हुनर है और अपना रोज़गार भी है, फिर भी वे अपनी पहचान ढूंढते नज़र आते हैं। उनके आसपास बड़े -बड़े शोरूम खुल गए हैं, शॉपिंग मॉल बन गए, जिससे उनका संघर्ष और ज़्यादा बढ़ गया।

ये बताते हैं कि इन्ही सब को ध्यान में रखते हुए उन्हें लगा कि क्यों न नुक्कड़ के कामगारों के लिए कुछ किया जाए। उसी का नतीजा अब 'नुक्कड़ पे है' एप के रूप में सबके सामने है। इस एप के ज़रिए वे नुक्कड़ पर बैठे कामगारों को ऑनलाइन जोड़ रहे हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि जिसके पास भी ये एप होगा वे अपनी छोटी जरूरतों का बड़ा जुगाड़ नुक्कड़ पे ही खोज सकेंगे।

इन दोनों के मुताबिक भले ही नुक्कड़ के कामगार छोटे दर्जे पर काम करते हैं लेकिन इनका कोई तोड़ नहीं है। मसलन आप बढ़िया जूते खरीद तो कहीं से भी लेंगे, आप स्टाइलिश कपड़े कहीं से भी खरीद सकते हैं, आप बढ़िया गाड़ी कहीं भी खरीद सकते हैं, लेकिन इनकी मरम्मत हर जगह नहीं, सिर्फ नुक्कड़ पे हो सकती है। आप पार्टी के लिए वाइन तो कहीं भी खरीद सकते हैं लेकिन जब बात पान या सिगरेट की तलब की हो तो वो हर जगह पूरी नहीं हो सकती। आप खाना तो होटल या ढाबे में कहीं भी खा सकते हैं, लेकिन स्ट्रीट फूड की कमी नुक्कड़ पे ही हो सकती है। छोटी-छोटी जरूरतों के समाधान आपको सिर्फ नुक्कड़ पे ही मिल सकते हैं।

अतुल और वैभव कहते हैं कि वे 'नुक्कड़ पे है' एप के जरिये अलग-अलग शहरों में जाकर नुक्कड़ के कामगारों को ऑनलाइन जोड़ रहे हैं। इसकी शुरुआत उन्होंने दिल्ली-एनसीआर से की है। फिलहाल नोएडा, ग़ाज़ियाबाद और दिल्ली के नुक्कड़ों के कामगारों को एप से जोड़ा जा रहा है। सितंबर के अंत तक दिल्ली एनसीआर के नुक्कड़ की लिस्टिंग पूरी कर ली जाएगी। साथ ही सितंबर के अंत तक ही दिल्ली एनसीआर में 'नुक्कड़ पे है' एप और वेबसाइट को लॉन्च किया जाएगा। इसके बाद वे 25 अन्य शहरों में भी नुक्कड़ एप पर कामगारों को जोड़ने का काम शुरू करेंगे।

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English summary
All Big Solutions 'Nukkad Pe Hai. Read all about this App.
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