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सर्वे: कोरोना महामारी के चलते हर 3 में से एक उद्योग बंद होने की कगार पर

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नई दिल्ली। कोरोना महामारी ने ने भारत समेत पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाया है। कोविड 19 के चलते करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं। ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन द्वारा किए गए एक सर्वे के मुताबिक, देश में एक तिहाई से अधिक स्व-नियोजित छोटे और मध्यम उद्योगों में रिकवरी का कोई आधार नजर नहीं आ रहा है। ये उद्योग बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं। ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने यह सर्वे नौ अन्य उद्योग निकायों के साथ मिलकर किया है।

35% रोजगार की वापसी मुश्किल

35% रोजगार की वापसी मुश्किल

ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने इस सर्वे में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम , स्व-नियोजित, कॉर्पोरेट सीईओ और कर्मचारियों की 46,000 प्रतिक्रियाओं को शामिल किया है। इस सर्वे को 24 मई से 30 मई के बीच ऑनलाइन किया गया था। सर्वे के मुताबिक 35 फीसदी एमएसएमई और 37 फीसदी स्व-नियोजित रोजगार से जुड़े लोगों ने कहा कि उनके उद्योग को वापस पटरी पर लाना बहुत मुश्किल है। 32 फीसदी एमएसएमई ने कहा कि उनके उद्योगों को वापस पटरी पर लाने में छह महीने से अधिक का समय लगेगा। जबकि महज 12 फीसदी ने कहा कि तीन महीने से भी कम वक्त में उनके उद्योग की स्थिति संभल जाएगी। सर्वे में कहा गया है कि, तीन महीने में रिकवरी की उम्मीद करने वाले कॉरपोरेट सीईओ की प्रतिक्रिया में कारोबार के लिए धारणा अधिक आशावादी है।

कोरोना महामारी इन उद्योगों के लिए ताबूत में आखिरी कील साबित हुई

कोरोना महामारी इन उद्योगों के लिए ताबूत में आखिरी कील साबित हुई

एआईएमओ के पूर्व अध्यक्ष केई रघुनाथन ने कहा कि , उद्योगों के संचालन में कमी, भविष्य के बारे में अनिश्चितता छोटे और मध्यम उद्योगों से संबंधित प्रमुख कारकों में एक है। मगर उद्योगों को बंद करने का कारण पूरी तरह से कोरोना महामारी नहीं हो सकती। उद्योग पहले से ही विभिन्न परेशानियों का सामना कर रहे हैं। चाहे नोटबंदी हो या जीएसटी, पिछले तीन वर्षों में अर्थव्यवस्था में मंदी के कारण उद्योगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। लेकिन कोरोना महामारी इन उद्योगों के लिए ताबूत में आखिरी कील साबित हुई।

आजादी के बाद उद्योगों को हुई सबसे बड़ा घाटा

आजादी के बाद उद्योगों को हुई सबसे बड़ा घाटा

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से इस तरह बड़े पैमाने पर व्यापार का विनाश कभी देखने को नहीं मिला। भारत ने दुनिया में सबसे कठोर लॉकडाउन में से एक को देखा है। 17 मई को समाप्त होने वाले तीसरे चरण के लॉकडाउन के बाद आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू में छूट दी गई। लेकिन महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और दिल्ली सहित राज्यों में बढ़ते कोविड मामलों ने आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने की चुनौती खड़ी कर दी है।

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English summary
AIMO survey more than a third of self employed and small and medium businesses close to winding up
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