PNB महाघोटाला के बाद पंजाब नेशनल बैंक ने किए ये 5 बड़े बदलाव
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नई दिल्ली। हीरा कारोबारी नीरव मोदी के 11,500 करोड़ रुपए के घोटाले के बाद पंजाब नेशनल बैंक ने सख्त रुख अपनाने का फैसला किया है। कंपनी अपने Swift नेटवर्क में 5 महत्वपूर्ण बदलाव करने जा रही है। बैंक की ओर से मुहैया कराई गई जानकारी के अनुसार Swift नेटवर्क को अब सिर्फ अधिकारी ही देखेंगे। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि अब Swift की जानकारी क्लर्क स्तर के अधिकारियों को नहीं होगी। गौरतलब है कि नीरव मोदी मामले में अब तक 2 बैंक कर्मचारियों समेत 10 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। आइए आपको बताते हैं कि पीएनबी ने अपने Swift सिस्टम में कौन से बड़े बदलाव किए हैं ताकि आगे से ऐसे फ्रॉड को अंजाम ना दिया जा सके।
Swift पर बड़ा फैसला
- बैंक ने Swift पर बड़ा फैसला लिया है। गौरतलब है कि बीते दिनों खबर आई थी कि Swift में लेवल 5 तक के पासवर्ड नीरव मोदी की टीम के पास थे। ऐसे में अब फैसला लिया गया है कि इसकी जानकारी सिर्फ अधिकारियों के पास होगी। क्लर्क्स को इसकी जानकारी नहीं दी जाएगी।
- अब फैसला लिया गया है कि Swift के संदेश की जांच पहले सिर्फ 2 अधिकारी करते थे, अब इसलिए 3 अधिकारी तैनात किए जाएंगे।
- बैंक ने फैसला लिया है कि अब Swift के जरिए किए जाने वाले ट्रांजैक्शन के दौरान अफसर की लिमिट तय करने का फैसला लिया है। यह सारी जानकारी बैंक ने 17 फरवरी को अपनी सभी शाखाओं को भेजा है। समचार एजेंसी रायटर्स का दावा है कि उनके पास 17 फरवरी को भेजे गए बैंक नोट की कॉपी है।
- पीएनबी ने मुंबई में एक ट्रेजरी डिवीजन भी बनाई है। जिसका काम होगा कि बैंक की ओर से भेजे गए स्विफ्ट मैसेजस की दोबारा जांच करें।
- अगर मैसेज किसी भी परस्थिति में रिजेक्ट हो जाए तो उसे ऑडिट के लिए रिकॉर्ड में रखा जाएगा।
Swift से रकम की लिमिट
एक ट्रेजरी डिवीजन भी बनाई
ये है Swift
SWIFT यानि Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunications, जिसमें दुनियाभर के बैंक 'एक कोड सिस्टम' के जरिए वित्तीय लेनदेन का सुरक्षित आदान प्रदान करते हैं। न्यूज वेबसाइट 'द मिंट' में पब्लिश एक आर्टिकल में तमल बंदोपाध्याय लिखते हैं कि SWIFT के जरिए किसी एक पूरे बैंक को धराशाही किया जा सकता है। मैकर, चैकर और वेरिफायर SWIFT में बहुत बड़ा रोल प्ले करते हैं। मैकर सिस्टम में मैसेज डालता है, चैकर उन मैसेजस की जांच करता है और वेरीफायर इन दोनों प्रक्रियाओं की जांच कर वेरीफाय करता है।
ये था प्रॉसेस
अब इस SWIFT मैसेज को विदेशी बैंक (जिस बैंक से लोन लेना है) के पास भेजा जाता है, विदेशी बैंक उसे वेरिफाय करने बाद, SWIFT मैसेज को वापस पहले वाले बैंक के एक सक्षम अधिकारी के पास भेजता है, जो मैकर, चैकर और वेरिफायर से अलग होता है। विदेशी बैंक से जो SWIFT मैसेज आता है, बहुत ज्यादा सीक्रेट होता है। अब इस फ्रॉड से पता चलता है कि नीरव मोदी के मामले में SWIFT की पूरी प्रक्रिया पीएनबी के डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी अकेले ने ही निभाई थी।