84 साल बाद एक वक्त की सबसे बड़ी ब्रैंड Olympus ने कैमरा बनाना छोड़ा
नई दिल्ली- कैमरे की दुनिया में एक वक्त के मार्केट लीडर Olympus ने कैमरे के कारोबार से निकलने का फैसला कर लिया है। यह कंपनी 84 साल से कैमरा बना रही थी, लेकिन स्मार्टफोन की दुनिया में अब इसके कारोबार को आगे चला पाना मुमकिन नहीं हो पा रहा था। कंपनी ने भारी मन से कहा है कि बहुत कोशिशों के बावजूद डिजिटल कैमरा मार्केट में बने रहना अब फायदे का सौदा नहीं रहा। कंपनी के इस फैसले से पुराने जमाने के शौकिया और प्रोफेशनल फोटोग्राफर भी बहुत ही आहत हुए हैं और वह यही मान रहे हैं कि शायद वक्त को यही मंजूर था।
84 साल बाद Olympus ने कैमरा बनाना छोड़ा
कैमरा बिजनेस छोड़ने की घोषणा करते हुए Olympus ने कहा है कि स्मार्टफोन आने के चलते अलग से कैमरे की मांग नहीं के बराबर रह गई थी और इस बिजनेस से निकलने का यह एक बहुत बड़ा कारण रहा है। बीबीसी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन साल से कंपनी घाटे में चल रही थी। बता दें कि यह जापानी कंपनी माइक्रोस्कोप के निर्माण में दशकों से है और इसने 1936 में पहला कैमरा बनाया था। एक वक्त जापान में इस कंपनी के कैमरे की इतनी डिमांड थी कि इसके खास मॉडल खरीदने के लिए लोगों को महीनों की सैलरी लगानी पड़ जाती थी। 40 के दशक के बाद से कंपनी लगातार कैमरे के कारोबार में ऊपर चढ़ती गई और मार्केट शेयर के हिसाब से एक वक्त में सबसे बड़ी कैमरा कंपनी बन गई थी।
इस दशक में कैमरे की मांग 84% से ज्यादा गिर गई
अमैच्योर फोटोग्राफर मैगजीन के एडिटर निगेल अथर्टॉन कहते हैं, 'एक समय तो Olympus से बहुत ही ज्यादा लगाव होता था।' वो कहते हैं कि 70 के दशक में बड़ी-बड़ी सेलिब्रिटीज टेलीविजन पर इसका प्रचार करने आते थे। उन्होंने कहा, 'वे कैमरे क्रांतिकारी थे - वे बहुत छोटे थे, बहुत ही हल्के थे, वे खूबसूरती से डिजाइन किए गए थे, वास्तव में अच्छी गुणवत्ता वाले लेंस होते थे।' डिजिटल कैमरे आने के बाद भी कंपनी ने टेक्नोलॉजी में बदलाव किए। जैसे कि ऑटोफोकस पर ध्यान दिया। लेकिन, फिर स्मार्टफोन ने तो पूरा बेड़ा ही गर्क कर दिया। अथर्टॉन का कहना है, 'स्मार्टफोन ने बहुत ही जल्दी पूरे बाजार को निगल लिया और फिर उसमें से निकलने का मौका भी नहीं दिया।' एक अनुमान के मुताबिक स्टैंडअलोन कैमरे की मांगों में 2010 से 2018 के बीच में नाटकीय ढंग से 84% की गिरावट आ गई।
वीडियो की दुनिया में पिछड़ गई कंपनी
अथर्टॉन जैसे कैमरे के जानकार मानते हैं कि बाद के दिनों में कंपनी ने उन जैसे लोगों को बहुत ही निराश किया है। मसलन, उनका मानना है कि पिछले कुछ वर्षों से वे लगातार गलत फैसले करते गए हैं, जिसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। मसलन, कंपनी ने वीडियो के क्षेत्र में खास प्रगति करने की कोशिश नहीं की, जबकि बाकियों ने समय के साथ खुद को बदला और आगे बढ़ीं। एक जानकारी और मिली है कि 2011 में कंपनी को एक बड़े वित्तीय घोटाले का भी सामना करना पड़ा, जिसमें उसके बड़े अधिकारी भी शामिल थे। अब कंपनी चाह रही है कि कैमरे के बिजनेस से निकलकर वह अपनी दूसरी ब्रैंड जैसे कि Zuiko लेंस के लिए किसी दूसरी कंपनी के साथ हिस्सेदारी करके ब्रैंड को जिंदा रखे। कंपनी ने अपने बयान में कहा कि 'हमारा मानना है कि यह ब्रैंड की विरासत को संरक्षित करने के लिए सही कदम है।'
माइक्रोस्कोप और दूसरे उपकरण बनाती रहेगी कंपनी
हालांकि, कंपनी ने शुभचिंतकों को भरोसा दिया है कि वह इमेजिंग बिजनेस में बनी रहेगी और फोटोग्राफी के शौकीनों को नई बुलंदियों पर ले जाएगी। गौरतलब है कि कंपनी ने कभी भी माइक्रोस्कोप बनाना बंद नहीं किया है और अपने ऑप्टिकल टेक्नोलॉजी को दूसरे वैज्ञानिक और मेडिकल उपकणों जैसे कि एंडोस्कोप बनाने में बखूबी इस्तेमाल किया है।