7th Pay Commission : सरकार ने नहीं मानी ये मांग तो चुनाव ड्यूटी का बहिष्कार करेंगे सरकारी कर्मचारी
नई दिल्ली। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत न्यूनतम वेतन से असंतुष्ट कर्मचारी अब सरकार के खिलाफ प्रदर्शन पर उतर आएं हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उन्हें आश्वासन दिया था कि उनकी मांग पर गौर किया जाएगा, लेकिन 2 सालों में कर्मचारियों को सरकार की ओर से कोई सकारात्मक कदम नहीं दिखा, जिसके बाद अब पूरे देश में कर्मचारियों ने प्रदर्शन की धमकी दी है। वहीं उत्तर प्रदेस के कर्मचारियों की मांग इससे अलग है। यूपी के सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने की मांग कर रहे हैं, जिससे 2005 में प्रदेश से खत्म कर दिया गया था।
सरकार के सामने रखी शर्तें
यूपी के सरकारी कर्मचारी लगातार पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने की मांग कर रहे हैं। कर्मचारियों की मांग हैं कि पुरानी पेंशन व्यवस्था को दोबारा से लागू की जाए। कर्मचारियों का कहना है कि नई पेंशन योजना (NPS) को अपनाने के लिए कोई राज्य बाध्य नहीं है। इसके लिए अब यूपी के लाखों कर्मचारी विरोध प्रदर्शन पर उतर आएं हैं।
चुनाव ड्यूटी के बहिष्कार की धमकी
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सरकार पेंशन मसले को लोकसभा चुनाव 2019 से पहले-पहले सुलझाए। अगर चुनाव से पहले उनकी मांग नहीं पूरी की गई तो वो लोकसभा चुनाव ड्यूटी का बहिष्कार करें। वहीं कर्मचारियों ने एनपीएस के तहत बने पेंशन योजना कोष को परमानेंट रिटायरमेंट एकाउंट नंबर में ट्रांसफर किया जा रहा है,जबकि 9 साल पहले शुरू हुई एनपीएस की प्रक्रिया अभी अधूरी है।
विरोध प्रदर्शन पर उतरे कर्मचारी
कर्मचारी संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दी है। यूपी के 15 जिलों से विरोध प्रदर्शन गुजरेगा। लाखों कर्मचारी इस विरोध प्रदर्शन में सामिल होंगे। 14 दिसंबर को यह यात्रा लखनऊ लौटेगी और 20 दिसंबर 2018 को लाखों कर्मचारी यूपी की राजधानी लखनऊ में विशाल जनसभाकर सरकार तक अपनी बात पहुंचाएंगे। कर्मचारियों ने साफ किया है कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वो चुनाव ड्यूटी का बहिष्कार करेंगे। आपको बता दें कि केंद्रीय कर्मचारी 7वे वेतन आयोग की सिफारिशों से अधिक न्यूनतम वेतन बढ़ोने की मांग कर रहे हैं। कर्मचारियों की मांग है कि मिनिमम बेसिक सैलरी को 18000 रुपए से बढ़ाकर 26000 रुपए किया जाए।