इन्फोसिस के 74 कर्मचारी बने करोड़पति, लेकिन कंपनी के चेयरमैन ने नहीं ली सैलरी
नई दिल्ली। कोरोना काल में जहां कई कंपनिया घाटे के चलते अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रही हैं वहीं, भारत की दूसरी बड़ी आईट कंपनी इंफोसिस से एक अच्छी खबर सामने आई है। वित्त वर्ष 2019-20 में इस कंपनी में करोड़पति कर्मचारियों के क्लब बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पिछले साल 64 करोड़पति के मुकाबले इस वर्ष इस क्लब में करोड़पति कर्मचारियों की संख्या 74 हो गई है। बता दें कि इन्फोसिस सालाना रिपोर्ट करोड़पति क्लब की लिस्ट जारी करता है।
इस साल 74 कर्मचारी बने करोड़पति
इस लिस्ट में कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट और सीनियर वाइस प्रेसिडेंट स्तर अधिकारी शामिल हैं। इन्फोसिस की वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 2020 में इन कर्मचारियों के मुआवजे में जबरदस्त उछाल आया था। उन्हें मिलने वाले स्टॉक इन्सेंटिव की वैल्यू में भी बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक इंफोसिस के चेयरमैन नंदन नीलेकणी पिछले एक साल से अपनी स्वेच्छा से कोई वेतन नहीं लिया है।
वेतन पैकेज में 39 फीसद का इजाफा
पिछले साल इन्फोसिस के बोर्ड ने अपने कर्मचारियों को करोड़ों रुपये के शेयर देने के प्लान को आगे बढ़ाया था। रिपोर्ट के मुताबिक इन्फोसिस के सीईओ सलिल पारेख की सैलरी पैकेज में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। 2019-20 में लगभग 39 फीसद की बढ़ोतरी के साथ उनका वेतन पैकेज 34.27 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। इसके पहले साल 2018-19 के वित्त वर्ष में सलिल पारेख का पैकेज 24.67 करोड़ रुपए था। कर्मचारियों के स्टॉक इंसेंटिव मिलने से उनके करोड़पति संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है।
कर्मचारियों को दिए कोरोड़ों रुपये के शेयर
रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी के बड़े-बड़े अधिकारियों को मिलने वाले सैलरी पैकेज में रिटायरमेंट पर मिलने वाले बेनिफिट, फिक्स पे, वेरिएबल पे और स्टॉक ऑप्शन शामिल हैं। कंपनी में लीडरशिप लेवल के स्टाफ का वेतन पैकेज समान है और पिछले वर्ष 2019 में इस पद पर कार्यरत कर्मचारियों के वेतन में कोई प्रमोशन नहीं मिला था। बता दें कि इन्फोसिस के बोर्ड ने पिछले वर्ष अपने कर्मचारियों को कोरोड़ों रुपये के शेयर देने के अभियान को गति दी है।
परफॉर्मेंस के आधार पर दिए जाते हैं स्टॉक
इस प्लान के तरह कर्मचारियों को परफॉर्मेंस के आधार पर उन्हें इंसेंटिव के नए प्रोग्रम के तहत शेयर दिए जाएंगे। बता दें कि यह योजना इन्फोसिस ने साल 2015 में शुरू की थी। पहले कर्मचारियों को समय के आधार पर शेयर दिया जाता था लेकिन अब नियमों में बदलाव कर इसे रफॉर्मेंस के आधार पर दिए जाने की योजना बनाई गई है। शेयरधारकों की मंजूरी के बाद स्टॉक ऑनरशिप प्रोग्राम लागू हुआ।
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