55,000 करोड़ के फंड मैनेजर का दावा, राहत पैकेज के प्रचार से मोदी सरकार को नुकसान
नई दिल्ली- मुंबई के दलाल स्ट्रीट के एक फ्रंटलाइन फंड मैनेजर का कहना है कि कोरोना लॉकडाउन की वजह से मोदी सरकार ने जो 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान किया और उसका जिस तरीके से जोरदार प्रचार किया गया, उससे उसे नुकसान हुआ है। उनके मुताबिक यह आर्थिक पैकेज उद्योंगों और अर्थशास्त्रियों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले 14 मई को कोरोना लॉकडाउन संकट से उबरने के लिए देश के लगभग हर सेक्टर के लिए 20 लाख करोड़ रुपये की राहत पैकेज की घोषणा की थी और उसे देश की जीडीपी के 10 प्रतिशत के बराबर बताया था। बाद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई चरणों में अलग-अलग सेक्टर के लिए उस पैकेज से आर्थिक मदद दिए जाने का विस्तृत ब्योरा दिया था।
'राहत पैकेज के प्रचार से मोदी सरकार को नुकसान'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज के ऐलान के साथ ही 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' के आगाज की भी घोषणा कर दी थी। लेकिन, इकोनॉमिक टाइम्स में छपी एक खबर के मुताबिक जब इस अभियान का ब्योरा देने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आईं और उन्होंने उद्योग और बाजार जगत के लिए जिस तरह की सरकारी सहायता के वादे किए, उससे कारोबारी जगत के एक वर्ग में मायूसी हुई। यह कहना है बजाज एलायंज लाइफ इंश्योरेंस के चीफ इंवेस्टमेंट ऑफिसर संपत रेड्डी का, जिस कंपनी ने डोमेस्टिक मार्केट में 55,000 हजार करोड़ का फंड लगा रखा है। उनके मुताबिक 'अगर उन्होंने भारी-भरकम संख्या 20 ट्रिलियन की घोषणा नहीं की होती और उसकी जगह सावधानी से योजनाओं की घोषणाएं की होतीं और चीजों को सही तरीके से मैनेज किया होता तो इतनी ज्यादा निराशा नहीं होती।'
पैकेज अच्छा है, लेकिन फिगर देखने की वजह से निराशा-रेड्डी
रेड्डी का कहना है कि 'प्रधानमंत्री ने जो 20 लाख करोड़ रुपये का फिगर दिया था, उस आधार पर आर्थिक पैकेज देखने की वजह से निराशा हुई। नहीं तो वह बहुत ही अच्छा है। ' बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राहत पैकेज का जो विस्तृत ब्योरा दिया था, उसमें सभी क्षेत्रों को संकट से उबारने की जानकारी थी। मसलन, इसमें एनबीएफसी, एमएफआई और एमएसएमई सेक्टर की लिक्विडिटी बढ़ाने, छोटे-मोटे कारोबारियों को आर्थिक राहत देने, प्रवासी मजदूर, कृषि क्षेत्र के अलावा खनन क्षेत्र और रक्षा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा बढ़ाने के साथ-साथ सभी दूसरे सेक्टर को निजी क्षेत्र के लिए खोलने जैसी घोषणाएं शामिल थीं। हालांकि, वित्त मंत्री के लिए इन सबको समेटना भी आसान नहीं था, क्योंकि उन्हें इकोनॉमी के सारे पैरामीटर्स पर भी ध्यान देना था।
पैकेज में बहुत सारे महत्वपूर्ण उपाय-रेड्डी
सच ये है कि वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने पिछले हफ्ते भारत को निवेश ग्रेड के सबसे निचले स्तर पर रखा है। बुधवार को एक और ग्लोबल रेटर फिच ने भारत के सॉवेरेन रेटिंग को 'BBB- माइनस 'में रखा है और ये भी निवेश का निम्नतम ग्रेड है, इस वादे के साथ कि अगर सरकार वित्तीय घाटा कम करने का प्रबंध करती है तो इसे अपग्रेड किया जा सकता है। हालांकि, रेड्डी का कहना है कि, 'राहत पैकेज का सरकारी राजकोष पर बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है, लेकिन फिर भी उन्होने एक अच्छे पैकेज की घोषणा की है, जिससे कि अर्थव्यवस्था के संकटग्रस्त हिस्से में लिक्विडिटी का फ्लो सुनिश्चित हुआ है। इनमें से बहुत सारी घोषणाएं क्रेडिट और क्रेडिट गारंटी के रूप में थीं। ये महत्वपूर्ण उपाय हैं। '
एक और राहत पैकेज के ऐलान की उम्मीद
हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई है कि साल के अंत में जब अर्थव्यस्था में और तेजी आएगी तो सरकार एक और राहत पैकेज का भी ऐलान कर सकती है। उनका कहना है कि जब लोग घरों में बैठे हैं तो आर्थिक पैकेज का कोई मतलब नहीं है। जब अर्थव्यस्था खुलेगी, लोग काम पर निकलेंगे तब लोगों को काम देना सही है। बता दें कि मार्केट शेयर के आधार पर बजाज एलायंज भारत की पांचवीं सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी है।
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