इस गांव के हर घर से है कोई ना कोई फौज में, 117 बेटों ने दी है देश के लिए कुर्बानी
Bulandshahr News, बुलंदशहर। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में एक ऐसा गांव है जिसके हर घर से कोई ना कोई फौज में रहकर देश सेवा कर रहा है। इस गांव के 117 जवान अब तक शहीद हो चुके हैं जबकि गांव के बच्चे-बच्चे के अंदर देश सेवा का जज्बा देखने को मिलता है।
आज हम बुलंदशहर जिला मुख्यालय से करीब 40 किलो मीटर दूर बीबीनगर इलाके के एक गांव है सैदपुर का जिक्र इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि इस समय पूरा देश गणतंत्र दिवस 2019 (Republic Day 2019 ) मना रहा है। 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू होने के उपलब्ध में शनिवार को देशभर में 70वां गणतंत्र दिवस (70th republic day) समारोह मनाया जाएगा। आईए गणतंत्र दिवस 2019 के मौके पर जानते हैं सर्वाधिक फौजी और शहीद देने वाले गांव सैदपुर (Saidpur Village) के बारे में।
सैदपुर गांव की आबादी करीब 25 से 30 हजार है। पुराने फौजी बताते हैं कि सैदपुर बटालियन आर्मी में काफी प्रसिद्ध है। गांव में बहुत से शहीदों की मूर्तियां लगी हुई हैं। स्थानीय निवासी कुशलपाल सिंह बताते हैं कि इस गांव के हर घर से कोई ना कोई फौज में है। कुछ घरों से तो सभी लोग फौज में हैं। बड़ी संख्या में लड़कियां भी आर्मी का हिस्सा हैं।
विश्वयुद्ध
में
लिया
था
भाग
सैदपुर
गांव
में
शौर्य,
साहस
और
मातृभूमि
के
लिए
जान
तक
न्यौछावर
करने
की
परंपरा
पुरानी
है।
यही
वजह
है
कि
यहां
हर
परिवार
फौजी
का
परिवार
है।
बात
अंग्रेसी
हुकूमत
काल
करें
तो
विश्वयुद्ध
के
दौरान
1914
में
यहां
के
155
सैनिक
जर्मनी
गए
थे।
इनमें
से
29
जवान
शहीद
हो
गए
और
करीब
100
जवान
वहीं
बस
गए।
जिस
जगह
ये
लोग
रहने
लगे
उस
जगह
का
नाम
जाटलैंट
रख
दिया।
सैदपुर
में
सिरोही
और
अहलावट
जाट
रहते
हैं।
सेना
इस
गांव
के
लिए
स्पेशल
भर्ती
का
भी
आयोजन
करती
है।
हर
युद्ध
में
निशान
1962
का
युद्ध
हो
या
1965
का,
या
फिर
71
और
कारगिल
का
युद्ध
हो,
हर
युद्ध
में
सैदपुर
की
वीरता
के
किस्से
बिखरे
हुए
हैं।
65
के
युद्ध
में
कैप्टन
सुखबीर
सिरोही
वीरगति
को
प्रप्त
हुए
तो
खुद
इंदिया
गांधी
उनका
अस्थि
कलश
लेकर
गांव
पहुंची
थीं।
71
के
युद्ध
में
एक
ही
दिन
गांव
के
दो
सिरोहियों
ने
शहादत
दी।
1965
की
लड़ाई
में
सैदपुर
के
सुखबीर
सिंह
सिरोही
को
परमवीर
चक्र
मिला
था।
इसके
अलावा
सैदपुर
की
आंचल
में
शौर्य
एवं
साहस
के
लिए
देश-प्रदेश
से
मिले
दर्जनों
मेडल
है।