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बुलंदशहर के रहने वाले थे कर्नल आशुतोष शर्मा, हंदवाड़ा में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद

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बुलंदशहर। जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हो गई। मुठभेड़ में भारत ने अपने पांच बहादुर जवानों को खो दिया। हंदवाड़ा एनकाउंटर में भारतीय सेना के कर्नल, मेजर, दो जवान और एक जम्मू-कश्मीर पुलिस का जवान शहीद हो गए। हालांकि, उन्होंने दो आतकंवादियों को मौत के घाट उतार दिया। एनकाउंटर में शहीद जवानों में कर्नल आशुतोष शर्मा का नाम भी शामिल है, जिनकी अगुआई में भारतीय सुरक्षाबलों ने आतंकियों के खिलाफ कई ऑपरेशनों को अंजाम दिया है। बता दें कि कर्नल आशुतोष शर्मा बुलंदशहर जिले के मूल निवासी थे।

बुलंदशहर जिले के मूल निवासी थे कर्नल आशुतोष शर्मा

बुलंदशहर जिले के मूल निवासी थे कर्नल आशुतोष शर्मा

कर्नल आशुतोष शर्मा बुलंदशहर जिले के खानपुर थाना क्षेत्र के गांव परवाना के मूल निवासी है। आशुतोष शर्मा वर्तमान में परिवार के साथ जयपुर में रहते थे। हालांकि उनका काफी समय बुलंदशहर में ही बीता और यहां डीएवी कॉलेज में उन्होंने पढ़ाई पूरी की थी। गांव के साथ उनका एक मकान बुलंदशहर के राधा नगर इलाके में भी था, जिसे बेचकर करीब 20 साल पहले वह जयपुर चले गए थे और फिलहाल वहीं रह रहे थे। रविवार की सुबह जैसे ही उनके शहीद होने की खबर जिले वासियों को मिली तो शोक की लहर दौड़ गई।

पैतृक गांव में दौड़ पड़ी शोक की लहर

पैतृक गांव में दौड़ पड़ी शोक की लहर

आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में कर्नल आशुतोष शर्मा की शहीद होने की खबर मिलते ही खानपुर के गांव परवाना में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। गांव वालों ने बताया कि शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा 15 साल पूर्व माता-पिता संग जयपुर में जाकर बस गए थे। शहीद कर्नल के चचेरे भाई सुनील पाठक ने बताया कि बुलंदशहर के पैतृक गांव में ही उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनका बचपन भी यहीं बीता है। चचेरे भाई सुनील पाठक ने बताया कि बुलंदशहर प्रशासन ने उन्हें एक पास जारी किया है, वो अब जयपुर रवाना होंगे। वहीं, डीएम रविंद्र कुमार ने बताया कि कर्नल आशुतोष शर्मा के पार्थिव शरीर बुलंदशहर आने के बारे में उन्हें कोई अधिकारिक जानकारी नहीं मिली है।

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दो बार वीरता पुरस्कार से नवाजे जा चुके है आशुतोष शर्मा

दो बार वीरता पुरस्कार से नवाजे जा चुके है आशुतोष शर्मा

21 राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर रहे कर्नल आशुतोष अपने आतंक रोधी अभियानों में साहस और वीरता के लिए दो बार वीरता पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं। सेना के अधिकारियों के मुताबिक, कर्नल आशुतोष शर्मा काफी लंबे समय से गार्ड रेजिमेंट में रहकर घाटी में तैनात थे और वह आतंकवादियों के खिलाफ बहादुरी के लिए दो बार सेना मेडल से सम्मानित किए जा चुके हैं। आतंकियों को सबक सिखाने के लिए वह जाने जाते थे।

वीरता मेडल से भी किया जा चुका है सम्मानित

वीरता मेडल से भी किया जा चुका है सम्मानित

अधिकारियों के मुताबिक, शहीद आशुतोष शर्मा को कमांडिंग ऑफिसर के तौर पर अपने कपड़ों में ग्रेनेड छिपाए हुए आतंकी से अपने जवानों की जिंदगी बचाने के लिए वीरता मेडल से सम्मानित किया जा चुका है। दरअसल, जब एक आतंकी उनके जवानों की ओर अपने कपड़ों में ग्रेनेड लेकर बढ़ रहा था, तब शर्मा ने बहादुरी का परिचय दिया था और आतंकी को काफी नजदीक से गोली मारकर अपने जवानों की जान बचाई थी।

ये भी पढ़ें:-जम्मू-कश्मीर: हंदवाड़ा एनकाउंटर में कर्नल आशुतोष शर्मा समेत 5 जवान शहीद, सेना ने खोया कमांडिंग ऑफिसर

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English summary
Colonel ashutosh sharma from Bulandshahr martyrdom while fighting with terrorists in Handwara
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