समुद्र में मछुआरों के हाथ लगा 'दुलर्भ खजाना', तैरती मिली व्हेल की उल्टी और बन गये करोड़पति
नई दिल्ली, जून 17: यमन में मछुआरों के एक समूह की रातों रात किस्मत बदल गई, जब उनके हाथ समुद्र में 'तैरता सोना' लग गया। युद्धग्रस्त देश यमन में जीविकोपार्जन के लिए यहां के लोग का एक मात्रा साधन समुद्र से मछली पकड़ना है। यमनी मछुआरे फारेस अब्दुलहकीम और उसके दोस्त भी उस दिन मछली पकड़ने के लिए समुद्र में निकले थे, लेकिन उन्हें कहां पता था कि ,आज उनकी किस्मत बदलने वाली है। उसके हाथ समुद्र का काला सोना लगने वाला है।
मरी व्हेल ने बदली किस्मत
अब्दुलहकीम ने बताया कि फरवरी में अदन के दक्षिणी शहर के तट से लगभग 26 किलोमीटर उन्हें मरी हुए व्हेल तैरती दिखी। उन्होंने कहा कि इसके बाद में मरी हुई व्हेल को वापस किनारे पर खींच लाए। जब हमने मरी हुई व्हेल को खोला तो मुझे उसमें से तैरता हुआ सोना यानि एम्बरग्रीस (व्हेल की उल्टी) मिला। व्हेल के पाचन तंत्र में बनने वाला एक दुर्लभ पदार्थ जिसका उपयोग इत्र बनाने में किया जाता है।
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मिला 127 किलो का टुकड़ा
मछुआरे व्हेल को तट पर लेकर गए और उन्होंने जब इसका पेट काटा तो उन्हें 127 किलो वजनी दुर्लभ 'वॉमिट गोल्ड' हासिल हुआ, जिसकी कीमत 11 करोड़ रुपये से अधिक है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक में रहने वाले कई लोगों के लिए एक अकल्पनीय राशि है। इस राशि का कुछ हिस्सा समुदाय में जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए दान कर दिया गया , जबकि बाकी को मछुआरों के समूह में बांट दिया गया।
कई लोगों की बदल गई किस्मत
अब्दुलहकीम ने बताया कि मैं हर दिन समुद्र में मछली पकड़ने जाता था। रोज के दिन की तरह हमें उस दिन मरी व्हेल मिली। जो पूरी तरह से एम्बरग्रीस भरी हुई थी। एक पल से दूसरे पल में ही हमारी जिंदगी बदल गई। उसमें से कुछ ने नावें खरीदीं, दूसरों ने अपने घर बनाए। मैंने भी अपना घर बनाया। इस समूह में शामिल मछुआरों ने कहा कि, इस खोज ने हमारी किस्मत बदल दी। हम भगवान को धन्यवाद देते हैं।
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एम्बरग्रीस के होते हैं कई इस्तेमाल
इसका इस्तेमाल परफ्यूम इंडस्ट्री में किया जाता है। इसमें एक बिना गंध का ऐल्कोहॉल मौजूद होता है। जिसका इस्तेमाल परफ्यूम की गंध को लंबे वक्त तक बरकरार रखने के लिए किया जाता है। वैज्ञानिकों ने इसे तैरता हुआ सोना भी कहा है। इससे पहले नारिस नाम के एक मछुआरे को 24 लाख पाउंड (लगभग 25 करोड़ रुपये) की एम्बरग्रीस का 100 किलो का टुकड़ा मिला था।वह अब तक पाया गया एम्बरग्रीस का सबसे बड़ा टुकड़ा था
क्या कहते हैं वैज्ञानिक
वैज्ञानिकों के मुताबिक व्हेल मछली की उल्टी से बनने वाला ये खास पत्थर एक तरह का अपशिष्ट होता है। जिसे व्हेल पचा नहीं पाती और कई बार अपने मुंह से ही उगल देती है। इन्हें वैज्ञानिक भाषा में एम्बरग्रीस भी कहा जाता है। इसका रंग काले रंग का या फिर भूरे रंग का होता है। ये मोम जैसा ज्वलनशील पदार्थ है। आम तौर इसका वजह से 15 ग्राम से 50 किलोग्राम तक हो सकता है।