क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

कोरोना वायरस हमेशा के लिए बदल देगा मनोरंजन की दुनिया?

कोरोना वायरस संक्रमण के बीच फ़िल्मकारों ने ही नहीं, दर्शकों ने भी मनोरंजन के नए साधन खोज लिए हैं.

By वंदना
Google Oneindia News
सिनेमा का भविष्य
Nikita Deshpande/BBC
सिनेमा का भविष्य

लॉकडाउन लगने और हटने के बीच, भारत के सबसे लोकप्रिय टीवी शो में से एक 'कौन बनेगा करोड़पति' अपनी पंचलाइन 'लॉक किया जाए' के साथ लोगों का मनोरंजन करने की तैयारी में है.

कोरोना वायरस और उससे जुड़ी पाबंदियों के बीच सोनी ने टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर इसकी तैयारी शुरू कर दी है.

इस बार प्रतियोगी टीवी चैनल की ऐप के ज़रिए ऑडिशन देंगे और पहले दौर का इंटरव्यू वीडियो कॉल से होगी.

इसका प्रोमो आपने शायद देखा होगा जो अमिताभ बच्चन के घर पर उन्होंने अपने कैमरे से शूट कर भेजा है.

फ़िल्में हों, थिएटर हो, या फिर टीवी और संगीत हो, आने वाले समय में मनोरंजन का ऐसा ही नया चेहरा देखने को मिलेगा.

डिजिटल और ओटीटी

किसी भी सिनेमाप्रेमी के लिए अपने पसंदीदा हीरो, हीरोइन या डायरेक्टर की फ़िल्म सिनेमाघर में देखने जाने का रोमांच अलग ही होता है- ख़ासकर फ़र्स्ट डे फ़र्स्ट शो का रोमांच.

लेकिन पिछले हफ़्ते जब अमिताभ बच्चन की फ़िल्म गुलाबो सिताबो रिलीज़ हुई तो थिएटर के बाहर लाइन में कोई नहीं था. लोगों ने फ़िल्म रात को 12 बजे एमेज़न प्राइम पर घरों पर बैठकर देखी.

मैंने भी इसका रिव्यू रात को 12 बजे फ़िल्म देखकर घर पर बैठकर ही लिखा. कोरोना वायरस के दौर में सिनेमाघर कब खुलेंगे, कुछ ठीक नहीं है. गुलाबो सिताबो की तरह कई और फ़िल्में ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लैटफ़ॉर्म पर ही रिलीज़ की जा रही हैं.

जल्दी ही विद्या बालन की फ़िल्म शकुंतला एमेज़न प्राइम पर रिलीज़ होगी. तमिल-तेलुगू फ़िल्म पेंग्विन शुक्रवार को ही एमेज़न पर रिलीज़ हुई है.

एमेज़न प्राइम वीडियो के कॉन्टेन्ट हेड (भारत) विजय सुब्रमण्यन का कहना है कि अपने ग्राहकों के रुझान को समझकर उसी हिसाब से रणनीति बनाई जा रही है और मक़सद ये है कि ग्राहक को उसके घर की दहलीज़ के अंदर ही सिनेमा का बेहतरीन अनुभव दे सकें.

ये भी पढ़ें: कोरोना संकट से कैसे बचेगी फ़िल्म इंडस्ट्री?

सिनेमा का भविष्य
Nikita Deshpande/BBC
सिनेमा का भविष्य

नेटफ़्लिक्स पार्टी: दूर रहकर भी साथ-साथ

भारत में फ़िल्में शायद मनोरंजन का सबसे बड़ा ज़रिया हैं. थिएटर में साथ-साथ जाना, किसी कॉमेडी सीन पर लोगों का एक साथ हंसना, किसी उदास कर देने वाले सीन पर सिनेमा हॉल के अंधेरे में चुपके से रोना... एक हॉल में कितने ही अनजाने लोग एक साथ, एक ही तरह के जज़्बात से गुज़रते हैं.

लेकिन अब कोरोना वायरस संक्रमण के बीच फ़िल्मकारों ने ही नहीं, दर्शकों ने भी मनोरंजन के नए साधन खोज लिए हैं.

21 साल की हर्षिता कोरोना वायरस के बाद हुए लॉक़डाउन में दिल्ली में फँस गईं.

सिनेमाहॉल बंद पड़े हैं और वो अपने दोस्तों के साथ फ़िल्में देखने जाना मिस करती हैं, लेकिन अब हर्षिता कुछ-कुछ वैसा ही माहौल नेटफ़्लिक्स पार्टी पर बनाने की कोशिश करती हैं.

नेटफ़्लिक्स पार्टी किसी भी सबस्क्राइबर को ये सुविधा देता है कि कुछ दोस्त मिलकर कोई फ़िल्म या शो एक ही वक़्त साथ-साथ अपने घरों पर देख सकते हैं. फिर वो अलग-अलग जगहों, शहरों में ही क्यों न हों. साथ में लाइव चैट की सुविधा भी है.

हर्षिता कहती हैं कि ये किसी दोस्त या परिवार के साथ बैठकर फ़िल्म देखने वाले अनुभव जैसा तो नहीं है लेकिन इस तरह नेटफ़्लिक्स पार्टी पर साथ-साथ फ़िल्में देखने से उसे अपने दोस्तों की कमी कम महसूस होती है.

पहले वो दोस्तों के साथ उनकी मौजूदगी में हँसती थीं, अब वो किसी कॉमिक सीन लाइव चैट में स्माइली डालकर हँसती हैं, जिसका जवाब दूर बैठी उनकी दोस्त भी स्माइली से ही देती हैं.

मनोरंजन का नया दौर

गुलाबो सिताबो के निर्देशक शूजित सरकार इसे मनोरंजन के नए दौर का आगाज़ बताते हैं.

हालाँकि ये सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या ओटीटी पर रिलीज़ होने वाली फ़िल्में उस तरह का हाइप और क्रेज़ पैदा कर पाएँगी जो थिएटर में फ़िल्म रिलीज़ करने से होता है? और फिर कमाई का हिसाब कैसे होगा?

फ़िल्म समीक्षक शुभ्रा गुप्ता ने ट्विटर पर लिखा था ये 'ब्रेव न्यू बॉलीवुड है'. एक अन्य फ़िल्म समीक्षक नम्रता जोशी अपने ट्वीट में सवाल करती हैं कि क्या कोरोना वायरस के बीच आने वाले समय में वाकई 'डिजिटल मनोरंजन' मल्टीप्लेक्स की दुनिया बदल देगा?

धीरे-धीरे मनोरंजन 'सामाजिक अनुभव' से एक 'निजी अनुभव' बनता जा रहा है, जहाँ सब कुछ आपके मोबाइल या लैपटॉप में क़ैद है. मनोरंजन का चेहरा बदल तो रहा है. लेकिन ये अच्छे के लिए है या बुरे के लिए, यह तो भविष्य ही बताएगा.

सिनेमा का भविष्य
Nikita Deshpande/BBC
सिनेमा का भविष्य

शूटिंग के बदलते नियम

सिनेमाघर के मालिक भी ऐसे भविष्य के लिए ख़ुद को तैयार कर रहे हैं, जहाँ सीमित संख्या में ही लोग फ़िल्म देखने आ पाएँगे. सिनेमा हॉल को डिसइन्फ़ेक्ट करने की लंबी-चौड़ी प्रक्रिया होगी, और शायद टिकट सिर्फ़ ऑनलाइन मिले.

कोरोना वायरस के बीच फ़िल्मों और टीवी से जुड़े लोग भी शूटिंग शुरू होने के इंतज़ार में हैं. उनके काम करने और शूट करने के तरीक़े में भी बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे.

मसलन, दक्षिण अफ़्रीका में लॉकडाउन के दौरान लॉकडाउन हाइट्स नाम का ऑनलाइन सीरियल शूट किया गया है. सभी एक्टर्स ने अपने-अपने सीन अपने फ़ोन पर घर में शूट किए और बाद में उन्हें एडिट कर सीरियल बनाया गया. ये सीरियल काफ़ी लोकप्रिय भी हुआ.

बॉलीवुड में भी नए नियमों पर बात चल रही है, जिनमें संभवत 33 फ़ीसदी क्रू सदस्यों को ही आने दिया जाएगा. एक्टर अपने साथ छोटी टीम ही ला पाएँगे, मेकअप आर्टिस्ट को पीपीई किट पहनकर ही मेकअप करना होगा. रियलिटी शो तो होंगे लेकिन उनमें तालियाँ बजाने वाले दर्शक नहीं होंगे.

इसकी एक झलक हमें अक्षय कुमार के ताज़ा विज्ञापन मे देखने को मिली जहाँ सेट पर सब मास्क पहने हुए हैं. सेट सैनेटाइज़ किया जा रहा है और सबका तापमान चेक हो रहा है.

ये भी पढ़ें: कोरोना: फ़िल्मों और सीरियल की शूटिंग शुरू मगर डरे हुए हैं कलाकार

सिनेमा का भविष्य
Nikita Deshpande/BBC
सिनेमा का भविष्य

मनोरंजन के पुराने तरीक़े

कोरोन वायरस संक्रमण जैसे हालात जब आते हैं तो इससे निपटने के लिए नए-नए तरीक़े भी आते हैं. और कई बार पुराने नुस्ख़े भी काम आ जाते हैं.

मसलन अमरीका में जब लॉकडाउन में मूवी हॉल बंद हो गए तो ड्राइव-इन सिनेमाहॉल का चलन फिर से शुरू हो गया.

भारत में दशकों से इस तरह खुले में बैठकर सिनेमा देखने का चलन रहा है.

अमरीका में लोग फ़िज़िकल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए अपनी अपनी कार में आकर बैठते हैं और खुले मैदान में फ़िल्म दिखाई जाती है. हाल के दिनों में ये चलन ख़ूब बढ़ा है.

सिनेमा का भविष्य
Nikita Deshpande/BBC
सिनेमा का भविष्य

संगीत की दुनिया

कोरोना वायरस के कारण म्यूज़िक कॉन्सर्ट करने वाले कलाकार भी ख़ासे प्रभावित हुए हैं. कई कॉन्सर्ट कैंसल हो चुके हैं और दोबार कब होंगे ये भी पता नहीं है.

तो संगीत प्रेमियों के लिए मनोरंजन कैसे बदल सकता है?

चिंतन उपाध्याय परिक्रमा बैंड के संस्थापकों में से एक हैं संगीत की दुनिया के जाने-माने नाम भी.

ताज़ा हालात के बावजूद, चिंतन को उम्मीद है कि कोरोना वायरस से पैदा हुए हालात में कलाकार और संगीत प्रेमी के बीच नया और बेहतर रिश्ता बनेगा.

वो कहते हैं, "तकनीकी स्तर पर एक्सपेरिमेंट चल रहे हैं कि कैसे वर्चुअल रियलिटी का इस्तेमाल कर दर्शकों को घर बैठे असल कॉन्सर्ट का एहसास दिलाया जाए. हालाँकि भारत में ऐसा होने में वक़्त लग सकता है."

चिंतन कहते हैं, "दूसरी बात ये है कि अभी कलाकारों को अपनी कला पर काम करने के लिए ज़्यादा वक़्त मिल रहा है. कलाकार और संगीत प्रेमी का एक सीधा रिश्ता बन पा रहा है. संगीत प्रेमी डिजिटल कॉन्सर्ट का आनंद भी ले सकते हैं. न कलाकार को और न दर्शक को एक से दूसरे शहर भागना पड़ेगा."

जहाँ तक कलाकारों को होने वाली कमाई की बात है तो साउंडक्लाउड जैसे माध्यम ये सुविधा दे रहे हैं कि कलाकार अपने प्रोफ़ाइल पेज पर एक बटन लगा सकें, जहाँ फ़ैन्स सीधे कलाकारों को आर्थिक योगदान दे सकते हैं.

जीओ सावन अपने फ़ेसबुक पेज पर कलाकारों को लाइवस्ट्रीम कर रहा है, जिसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग से होने वाली कमाई वो कलाकारों को देगा.

ये भी पढ़ें: अमिताभ बच्चन की 'गुलाबो सिताबो' पर क्यों मचा है हंगामा?

सिनेमा का भविष्य
Nikita Deshpande/BBC
सिनेमा का भविष्य

थीम पार्क और मास्क में सेल्फ़ी

सिनेमा और संगीत के अलावा लोग मनोरंजन के लिए थीम पार्क में जाते हैं, ख़ासकर बच्चे.

कोरोना संक्रमण के कारण तीन महीने बंद रहने के बाद मई में शंघाई डिज़नीलैंड पार्क मई में दोबारा खुला. वहां सिर्फ़ 24000 लोगों को आने दिया गया.

कुछ महीनों बाद भारत में भी शायद थीम पार्क लोगों के लिए खुल जाएँ लेकिन चीन की तरह यहाँ भी फ़िज़िकल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना होगा.

डिज़्नी में लोग मिकी माउस के साथ मास्क में सेल्फ़ी खिंचाते दिखे जो अपने अपने में एक अजीब सा दृश्य था. लेकिन शायद मनोरंजन का यही नया चेहरा है.

पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त!

कोविड-19 पर केपीएमजी की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, टीवी, डिजिटल और ओटीटी प्लैटफ़ॉर्म पर इस हालात में ज़बरदस्त विकास हो रहा है जबकि सिनेमाघर और थीम पार्क खाली पड़े हैं.

भारत में कोरोना संक्रमण के साथ-साथ मज़दूरों को लेकर एक मानवीय समस्या खड़ी हो गई है. स्वास्थ्य सुविधों की हालत ख़राब है. ऐसे में मनोरंजन पर बात करना ग़ैर-ज़रूरी लग सकता है. लेकिन ये बात भी सच है कि जो लोग अपने-अपने घरों में महफ़ूज़ हैं, सुविधाओं से लैस हैं, उनके पास अगर लॉकडाउन में फ़िल्मों, हॉटस्टार, नेटफ़्लिक्स या एमेज़न जैसे प्लैटफ़ॉर्म का सहारा न होता तो उनका लॉकडाउन कैसा होता?

यहाँ मुझे एक क़िस्सा याद आता है जो ब्रिटेन के विवादित प्रधानमंत्री चर्चिल से जुड़ा है.

जब विश्व युद्ध के दौरान चर्चिल को कला के क्षेत्र में फ़ंडिंग काटने को कहा गया तो उन्होंने कहा था, "जब कला ही नहीं होगी तो हम आख़िर लड़ किसके लिए रहे हैं" ?

इसलिए मनोरंजन जगत तो रहेगा सिर्फ़ उसकी शक्लो-सूरत कुछ-कुछ बदल सी जाएगी क्योंकि वो कहते हैं ना: पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त!

(इलस्ट्रेशन: निकिता देशपांडे)

BBC Hindi
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Will the coronavirus change the entertainment world forever
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X