अथाह सागर में इस 'रहस्यमयी द्वीप' पर क्या है, दिखने के बाद क्यों गायब हो जाता है ?
नई दिल्ली, 6 मई: गहरे समुद्र के बीच करीब 250 वर्षों से एक द्वीप वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बना हुआ है। कई बार यह दिखाई पड़ता है और कई बार नक्शे से भी गायब हो जाता है। अब वैज्ञानिक थोड़े-थोड़े इससे जुड़ी संभावनाओं तक पहुंच पाने की उम्मीद लगा रहे हैं। हालांकि, अभी तक भी पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। क्योंकि, बीते एक दशक में भी इस द्वीप की वजह से वैज्ञानिक कई बार धोखा खा चुके हैं। क्योंकि, कई बार यह द्वीप की शक्ल में नजर आता है और कई बार सुंदर नीला सागर दिखाई देता है। आइए इसके बारे में जानते हैं।
सैंडी आइलैंड या भूतिया द्वीप !
दक्षिण प्रशांत महासागर में एक 'विचित्र द्वीप' है, जिसने वैज्ञानिकों को हैरान कर रखा है। कहने वाले इसे 'भूतिया द्वीप' भी कहते हैं। कम से कम एक दशक से अथाह सागर में जमीन का यह एक ऐसा टुकड़ा है, जो गूगल मैप समेत कई मैप में शामिल किया गया है, लेकिन इसका रहस्य उलझा ही रहा है। इसे सैंडी आइलैंड के नाम से जानते हैं। गूगल अर्थ पर यह एक गहरे धब्बे की तरह नजर आता है, जो कि ऑस्ट्रेलिया और न्यू कैलेडोनिया के बीच है और अपने आसपास के दूसरे द्वीपों से अलग है।
क्यों रहस्यमयी है सैंडी आइलैंड ?
यह रहस्यमयी द्वीप वैज्ञानिकों को इसलिए वर्षों से परेशान कर रहा है, क्योंकि यह कई तरह के समुद्री मैप और मरीन चार्ट में Yr मौजूद है, लेकिन जब वैज्ञानिक जहाज लेकर उस जगह पर पहुंचते हैं तो उन्हें समुद्र की सिर्फ नीली लहरें नजर आती हैं। वह जो कुछ सोचकर वहां पहुंचते हैं, वैसा वहां कुछ भी नहीं होता। करीब 10 साल पहले की बात है, 26 नवंबर 2012 को गूगल ने अपने गूगल मैप सर्विस से इस तथाकथित सैंडी आइलैंड को हटा ही दिया। लेकिन, आसमानी उपकरणों की मदद से सैटेलाइट के जरिए नजर रखने वालों का कहना है कि उन्होंने समुद्र में उस स्थान के पास कुछ देखा है।
1776 में ब्रिटिश खोजकर्ता ने देखा था
डेली एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सैकड़ों वर्षों पहले ब्रिटिश खोजकर्ता कैप्टन कुक ने ऑस्ट्रेलिया के उत्तर-पूर्वी किनारे पर 'सैंडी आई' को अपने चार्ट में शामिल किया था और जब गूगल अर्थ के यूजर्स को उसमें 'भूतयिया आइलैंड' का जिक्र मिला तो वे दंग रह गए। कुक की यह खोज 1776 में उनकी 'चार्ट ऑफ डिसकवरीज इन द साउथ पेसिफिक ओशन' में प्रकाशित हुई थी। 100 साल से भी ज्यादा वक्त बाद 1895 में यह द्वीप फिर से देखा गया था, जिसके बारे में अनुमान था कि वह करीब 24 किलोमीटर लंबा और लगभग 5 किलोमीटर चौड़ा था।
'यह बड़ा ही विचित्र है'
22 नवंबर, 2012 को गूगल मैप से हटाए जाने के ठीक चार दिन पहले ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने द्वीप वाली जगह पर समुद्र के पानी अलावा कुछ नहीं पाया था। वैज्ञानिकों ने महासागर की गहराई भी नापी थी, जो कि 4,300 फीट से ज्यादा थी। यानी वहां समुद्र के नीचे उस तरह की भूमि की कोई संभावना नहीं नजर आई, जो कि पहले कई बार देखी जा चुकी थी। सिडनी यूनिवर्सिटी के मारिया सेटॉन ने एएफपी से कहा, 'हम जांच करना चाहते थे, क्योंकि जहाज के नैविगेशन चार्ट में उस जगह पानी की बहुत ज्यादा गहराई दिखाई गई थी, 1,400 मीटर (4,620 फीट) से अधिक। 'उनके मुताबिक, 'यह गूगल अर्थ और दूसरे नक्शों में दिखाई देता था, इसलिए हम जांच करने के लिए गए थे और वहां कोई भी द्वीप नहीं है।' 'सही में हम बहुत ही हैरान हैं, यह बड़ा ही विचित्र है।'
सैंडी आइलैंड का सच ये तो नहीं ?
इस बात की अभी तक कोई आधिकारिक व्याख्या नहीं की गई है कि सैंडिंग आइलैंड पहले कई बार कैसे देखा जा चुका है। अभी इसको लेकर सबसे ज्यादा दावा यह किया जा रहा है, दरअसल यह पानी के अंदर ज्वालामुखी से निकले हुए पदार्थों का वह अवशेष हो सकता है, जो समुद्र की सतह पर तैर रहा हो या फिर कोस्टर सबएरियल इरप्शन हो सकता। इस तरह के राफ्ट या बेड़ा कई बार समुद्र में हजारों मील तक तैर कर पहुंच सकते हैं और संभव है कि कैप्टन कुक ने जो देखा था वह भी इसी तरह का तैरता हुआ विशाल झावां हो, जो प्रशांत महासागर में तैरता हुआ नजर आया होगा। 19.22°दक्षिण और 159.93°पूर्व में आप भी उस रहस्यमयी भूमि की तलाश कर सकते हैं, जिसे कथित तौर पर सैंडी आइलैंड कहा जाता है। (पहली तस्वीर सौजन्य-विकिपीडिया और बाकी प्रतीकात्मक)