10 आंखें और 10 पैर वाला जानवर जिसका खून है इंसान के लिए 'संजीवनी' जैसा
नई
दिल्ली।
न्यू
मून
(शुक्लपक्ष)
के
दौरान
समुद्र
के
तट
पर
हेलमेट
आकार
के
जानवरों
का
जमावड़ा
हो
जाता
है।
इन
समुद्री
जीवों
को
अगर
आप
दूर
से
देखेंगे
तो
यह
गोले
की
तरह
गोले
चमकते
दिखेंगे
और
आपके
कानों
में
उन
जंतुओं
के
कानाफूसी
की
मधुर
आवाज
सुनाई
देगी।
ये
केकड़े
देखने
में
घोड़े
की
नाल
की
तरह
दिखते
है।
न्यू
मून
के
दौरान
जब
ये
समुद्री
जीव
बाहर
आते
हैं
तब
ज्वारा
भाटा
हाई
होता
है।
ये
जीव
मई
और
जून
माह
में
अपने
अंडों
को
समुद्र
तट
पर
दफनाने
के
लिए
बाहर
आते
हैं।
मानव जीवन के लिए है संजीवनी
10 पैर और 10 आंखों वाला होर्शु क्रैब एक विचित्र जानवर है जो धीरे-धीरे अब विलुप्त होता जा रहा है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इस जंतु ने अपने रक्त से अनगिनत मानव जीवन को बचाया है और आपके जीवन को भी बचा सकता है। होर्शु क्रैब के रक्त का रंग गहरा नीला होता है क्योंकि इसमें कॉपर आधारित श्वसन रंग वर्णक होता है जिसे हैमोक्यिनिन कहा जाता है। होर्शु क्रैब के रक्त का प्रयोग मेडिकल जगत में कई प्रकार के ड्रग्स बनाने में पिछले कई सालों से किया जा रहा है।
विलुप्त
होने
के
कगार
पर
होर्शु
क्रैब
लेकिन
ये
जंतु
अब
संकट
में
है।
प्रकृति
का
इन
पर
बहुत
बुरा
प्रभाव
पड़
रहा
है
।
और
इन्हें
बचाने
के
लिए
जीवविज्ञानियों
को
इनके
जीवन
चक्र
को
समझने
की
जरूरत
है
और
यह
पता
लगाना
जरूरी
है
कि
यह
लुप्त
होती
प्रजाति
अब
आखिर
बची
कितनी
है।
हालांकि
कई
सारे
रिसर्चर्स
इस
प्रजाति
पर
काम
कर
भी
रहे
हैं
और
पूरी
तरह
से
विलुप्त
होने
से
पहले
इनकी
गणना
में
भी
लगे
हैं।
ऐसा
मैंने
जाता
है
कि
जब
धरती
पर
जानवरों
का
अस्तित्व
ही
नहीं
था
तब
से
होर्शु
क्रैब
सेक्स
के
लिए
रात
को
समुद्र
के
तट
पर
आते
थे
और
यह
एक
सुंदर
और
समझी
विकासवादी
रणनीति
है।
इसके रक्त से वैक्सीन बनाया जा रहा है
इस जानवर की कोशिकाओं को निचोड़ कर लिम्यूलस अंबोबाइट लाइसेट (एलएएल) का उपयोग हर वैक्सीन, सर्जिकल और चिकित्सा उपकरण से मानव शरीर में पहुंचाया जा रहा है। और आपको जानकर ताज्जुब होगा कि यह चिकित्सकीय प्रणाली पिछले 47 सालों से चल रही है। इस वैक्सीन से निमोनिया और ई. कोलाई (E. coli) जैसे इन्फेक्शन से मरने वाले अनगिनत लोगों की जान को बचाया जा चुका है। इस जानवर के खून में सबसे ज्यादा रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि आज दिन तक दुनिया भर के वैज्ञानिक इसे अपने लैब में फिर रिप्रोड्युश नहीं कर पाएं है।
एक रहस्य की तरह है होर्शु क्रैब
दशकों से इस होर्शु क्रैब पर वैज्ञानिक स्टडी कर रहे हैं लेकिन आज भी एक रहस्य की तरह ही है। वैज्ञानिकों के अनुसार ये जंतु किसी खास समुद्र के बाहर ही अपने अंडों को रेत में दफनाने के लिए बाहर आते हैं। होर्शु क्रैब अब महासागरों में कितने बचे हैं यह वैज्ञानिक अभी भी सही ढंग से पता नहीं लगा पाएं है। फिर भी वैज्ञानिकों का मानना है कि अटलांटिक महासागर में करीब 4 से 12 मिलियन हो सकते हैं वहीं इस जंतु की तीन प्रकार की प्रजातियां प्रशांत महासागर में हो सकती है।