कुदरत के कहर का राज खोल सकती है ये 'जादुई गुफा', बनावट को लेकर वैज्ञानिक भी हैरान
नई दिल्ली। मेघालय की एक गुफा को लेकर एक ऐसी जानकारी सामने आई है जिससे जलवायु परिवर्तन के कई राज खुल सकते हैं। दरअसल वैज्ञानिकों की मानें तो इस गुफा की बनावट कुछ ऐसी है कि इसकी मदद से बाढ़ और सूखे का अनुमान लगाया जा सकता है। अगर ऐसा संभव होता है तो इसे एक बड़ी खोज कहा जाएगा।
क्या कहते हैं माव्मलु गुफा के भीतर टपकने वाले चूना-पत्थर
दरअसल अमेरिका में वंडेरबिल्ट यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने पिछले 50 साल में मेघालय में माव्मलु गुफा के भीतर टपकने वाले चूना-पत्थर (स्ट्लैग्माइट) के बढ़ते ढेर का अध्ययन किया है। इस अध्ययन में उन्होंने पाया कि इस गुफा की छत के टपकाव से फर्श पर जमा हो जाने वाले चूना पत्थर के स्तंभ की तलछटी की मदद से सूखे, बाढ़ और मानसून के पैटर्न के बारे में अनुमान लगाया जा सकता है।
भारत की जलवायु और प्रशांत महासागर में खास संबंध
साइंटिफिक रिपोर्ट में प्रकाशित हुई एक रिसर्च के अनुसार पूर्वोत्तर भारत में सर्दी की बारिश और प्रशांत महासागर में जलवायु की स्थिति का असमान्य संबंध देखने को मिला है। इसमें बताया गया कि माव्मुल गुफा और आस पास के इलाके में चूना पत्थर का ढेर घटनाओं की पुनरावृत्ति, पिछले कुछ हजार सालों में भारत में सूखे का संकेत देते हैं।
वैश्विक पर्यावरण तंत्र को समझने में मददगार हो सकती है गुफा
दरअसल मेघालय दुनिया में सबसे अधिक वर्षा के क्षेत्र वाला माना जाता है। मानसूनी क्षेत्रों में चूना पत्थर के स्तंभ वैश्विक पर्यावरण तंत्र को समझने में मददगार हो सकते हैं। साथ ही ये पर्यावरण में होने वाले परिवर्तन को भी दिखाते हैं। यूनिवर्सिटी में पीएचडी कर रहे एली रॉनी ने कहा कि गुफा के अंदर हवा के साथ जल के प्रवाह से सुष्क मौसम में टपकने वाले चूने के ढेर को बढने में मदद मिलती है।
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