OMG: आपकी चाय में मिले हैं कीड़े-मकौड़ों के DNA, वैज्ञानिकों के खुलासे जान उड़ जाएंगे होश
OMG: आपकी चाय में मिले हैं कीड़े-मकौड़ों के DNA, वैज्ञानिकों के खुलासे से उड़ जाएंगे होश
नई दिल्ली। सुबह की चाय के बिना आपकी नींद नहीं खुलती, चाय पिएं बिना आप अपने दिन की शुरुआत नहीं कर पाते, एक प्याली चाय की खुशबू आपको तरोताजा कर देती है, लेकिन आज हम चाय के बारे में कुछ ऐसा बताने जा रहे हैं, जिसके बाद आपकी चाय की प्याली आपके होश उड़ा देगी। एक रिसर्च में चाय को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है, जिसे जानकर आपके होश उड़ जाएंगे। आपको जानकार हैरानी होगी कि आपकी चाय में कई कीड़े मकौड़ों के डीएनए है। ये दावा किया है ट्रियर यूनिवर्सिटीज के इकोलॉजिकल जेनेटिसिस्ट हेनरिक क्रेहेनविंकेल ने।
चाय में मिले हैं कीड़े मकौड़ों के डीएनए
सुबह
की
चाय
बनाते
वक्त
आप
चाय
की
पत्तियां
नहीं
उबाल
रहे
बल्कि
चाय
की
पत्तियों
के
साथ
कई
कीड़ों-मकौड़ों
के
डीएनए
को
भी
उबाल
रही
है।
आप
ये
मत
सोचिए
कि
आप
महंगी
चाय
लेती
हैं
तो
आपकी
चाय
में
ऐसा
कुछ
नहीं
है।
आप
चाहे
डिब्बाबंद
चाय
ले
रही
हो
या
टी
बैग,
आपकी
चाय
के
साथ
कीड़े-मकौड़े
के
डीएनए
हैं।
जर्मनी
की
ट्रियर
यूनिवर्सिटीज
के
वैज्ञानिकों
की
टीम
ने
इस
बात
का
खुलासा
किया
है।
दरअसल
ट्रियर
यूनिवर्सिटी
के
वैज्ञानिक
और
उनकी
टीम
किसी
और
चीज
की
खोज
और
रिसर्च
कर
रही
थी,
लेकिन
उन्हें
ये
जानकारी
हाथ
लग
गई।
द
साइंटिस्ट
नाम
की
वेबसाइट
ने
अपनी
रिपोर्ट
में
इस
रिसर्च
के
बारे
में
विस्तार
से
लिखा
है।
क्या कहता है रिसर्च
ट्रियर यूनिवर्सिटीज के इकोलॉजिकल जेनेटिसिस्ट हेनरिक क्रेहेनविंकेल ने अपनी रिसर्च में कहा है कि चाय में कीड़े-मकौड़ों का डीएनए मौजूद होता है। यहां कीड़े-मकौड़े का मतलब समझाते हुए हेनरिक ने कहा कि हर प्रजाति के जीव का खास एनवायरमेंटल डीएनए होता है, जिसे वो पानी या हवा में छोड़ देते हैं। इसी एनवायरमेंटल डीएनए से पता चलता है कि वो जीव किस प्रजाति से, किस इलाके से है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट को बायोलॉजी लेटर्स में प्रकाशित किया है।
खोज रहे थे कुछ और मिला कुछ और
हेनरिक और उनकी टीम सूखे पौधों की उस प्रजाति की खोज कर रही थी, जो एनवायरमेंटल डीएनए या ईडीएनए छोड़़ती है। जिसके दौरान उन्होंने चाय पर भी रिसर्च शुरू किया और पाया कि चाय में आर्थोपोड्स के डीएनए पाए जाते हैं। उन्होंने कई बड़े ब्रांड्स से लेकर छोटे ब्रांड़्स के टी बैग्स खरीदे और सबकी अलग-अलग स्टडी की तो पाया कि हर चाय में आथ्रोपोड मौजूद है। उन्होंने बताया कि आखिर उन्होंने चाय को ही क्यों चुना, जिसका जबाव देते हुए उन्होंने कहा कि चाय की पत्तियां ऐतिहासिक एनसाइक्लोपीडिया होती हैं जिनमें सालों-साल जानकारियां छिपी होती हैं।
कीड़ों में हुए बदलाव को समझा जरूरी
वैज्ञानिक हेनरिक क्रेहेनविंकेल ने इसके बारे में बात करते हुए कहा कि उनकी टीम 35 सालों से अलग-अलग इकोसिस्टम में काम कर रही है। उन्हें अपने इस रिसर्च के लिए एक टाइम सीरीज की जरूरत थी जिससे कीड़ों में हुए बदलाव को समझा जा सके। उन्होंने इसके लिए पेड़ों-पौधों की पत्तियों के सैंपल बैंक बनाया है गए हैं।
क्यों चुनी चाय की पत्तियां
उन्होंने कहा कि हमारे लिए मुश्किल हो रहा था कि हम सूखे पौधों में जीवों का कैसे पता लगाए, जिके बाद हमारा ध्यान चाय की पत्तियों पर गया। ये पत्तियां सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली पत्तियां है। हेनरिक ने हार्बेरियम रिकॉर्ड्स को जांच में शामिल किया और चाय की पत्तियों को सूखे और अंधेरे इलाके में रखा , जांच के दौरान उनमें कीड़ों के डीएनए पाए गए हैं।
1 बैग चाय में सैकड़ों कीड़े-मकौड़ों का डीएनए
वैज्ञानिक हेनरिक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उन्होंने पाया कि एक ही चाय के बैग में सैकड़ों कीड़ों के eDNA हैं। उन्होंने पाया कि चाय की 100 या 150 मिलिग्राम सूखी पत्तियों से डीएनए मौजूद है। जबकि ग्रीन टी बैग में 400 प्रजातियों के कीड़ों का डीएनए है। उन्होंने कहा कि इन नतीजों से हम बहुत हैरान थे।
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