Pics: भारत में मिली गिरगिट की तरह रंग बदलने वाली मछली, छूते ही हो सकती है इंसान की मौत!
नई दिल्ली। भारत में मछलियों की कई प्रजातियां पाई जाती है, लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों को इस बार बेहद ही दुर्लभ प्रजाति की ऐसी मछली मिली है, जिसके बारे में शायद ही आप जानते हैं। इस मछली के बारे में बेहद ही कम लोग जानते हैं, वहीं वैज्ञानिकों का दावा है कि पहली बार भारत में मछली की ये दुर्लभ प्रजाति मिली है। सेंट्रल मरीन फिशरीज इंस्टीट्यूट (CMFRI) के वैज्ञानिकों ने इस रहयस्यमयी मछली को खोज निकाला है।
भारत में मिली रंग बदलने वाली मछली
सेंट्रल मरीन फिशरीज इंस्टीट्यूट ने स्कॉर्पियनफिश (Scorpionfish) नाम की अद्भुत मछली खोल निकाली है। इस मछली की तस्वीर CMFRI ने अपने ट्विटर पेज पर शेयर की है। भारतीय रिसर्चर को यह मछली मन्नार की खाड़ी में मिली। सीएमएफआरआई के मुताबिक यह दुर्लभ मछली समुद्री घास में छिपकर रहने वाली हैं और बैंडटेल स्कॉर्पियनफिश प्रजाति है। वैज्ञानिकों के मुताबिक भारत में पहली बार इस प्रजाति की जिंदा मछली मिली है।
4 सेकेंड में बदलती है रंग
इस स्कॉर्पियनफिश की खासियत है कि यह गिरगिट की तरह रंग बदल सकती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक स्कॉर्पियनफिश हर 4 सेकेंड में अपना रंग बदल सकता है। CMFRI के वैज्ञानिक डॉ जेयाबास्करन के मुताबिक इस मछली के भीतर रंग बदलने की क्षमता है। वो खुद को सुरक्षित रखने के लिए रंग बदलती है। जैसे ही उसे किसी खतरे का अहसास होता है वो अपने आसपास की चीजों के रंग के मुताबिक खुद का रंग बदल लेती है। स्कॉर्पियनफिश अपनी रीढ़ की हड्डी में जहर स्टोर करके रखती है। जरूरत पड़ने पर वो इसका इस्तेमाल अपने रंग को बदलने के लिए करती है।
बेहद जहरीली है स्कॉर्पियनफिश
वैज्ञानिकों के मुताबिक स्कॉर्पियनफिश बेहद जहरीली होती है। उसके शरीर में जहर होता है। इस मछली के सेंसरी ऑर्गन पूंछ में होते हैं जो बहुत ही तेज होते हैं। इसका नाम स्कॉर्पिनोस्पिसिस नेगलेक्टा नाम के वैज्ञानिक के नाम पर रखा गया है। इस मछली के पहली बार जिंदा मिलने पर वैज्ञानिक बेहद उत्साहित है। अब इस मछली के बारे में उन्हें और अधिक जानकारी पाने में मदद मिलेगी।
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Providing yet another proof of the diversity of Indian #marine resources, ICAR-CMFRI has found rare #bandtail #scorpionfish that changes and carries neurotoxic venom in its spines off #Sethukarai coast in the #GulfofMannar pic.twitter.com/enKpG1tqqQ
— CMFRI -Central Marine Fisheries Research Institute (@CMFRI_Kochi) June 1, 2020