मत कीजिए ऐप पर भरोसा, हो जाएंगी प्रेग्नेंट
शोधकर्ताओं के मुताबिक टेक्नोलॉजी पर ज़्यादा भरोसा परेशानी बढ़ा सकता है.
गर्भ धारण करने से बचने के लिए फ़र्टिलिटी ट्रैकिंग ऐप्स के असर को लेकर यौन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अभी इस पर और रिसर्च की ज़रूरत है. इस ऐप के ज़रिए मासिक धर्म को लेकर चेतावनी आती है. इसे गर्भनिरोधक के तौर पर इस्तेमाल करने की बात कही गई.
2015 की क्लिनिकल स्टडी से साफ़ है यह ऐप किसी गर्भनिरोधक गोली की तरह प्रभावी था. यह ऐप महिला के शरीर के तापमान, अंडाणु परीक्षण के नतीजे और मासिक धर्म की तारीख़ के आधार पर काम करता है.
यह ऐल्गरिदम (समस्या को सुलझाने के लिए स्थापित एक नियम जिसे कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर से संचालित किया जाता है) के माध्यम से निर्धारित करता है कि उस दिन महिला में प्रजनन की क्या स्थिति है.
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इससे असुरक्षित सेक्स करने को लेकर फ़ैसले लेने में मदद मिलती है. यौन विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि फर्टिलिटी एवेयरनेस ऐप से गर्भनिरोधक चुनाव का प्रसार बढ़ेगा. गुरुवार को तीन संस्थाओं ने चेतावनी दी है कि इस मेडिकल डिवाइस की कोई गारंटी नहीं है कि वह गर्भ धारण की प्रक्रिया को प्रभावी रूप से रोक दे.
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सेक्शुअल हेल्थ चैरिटी एफपीए, फैकल्टी ऑफ़ सेक्शुअल ऐंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ ऑफ रॉयल कॉलेज ऑफ ऑब्स्ट्रटिशन ऐंड गाइनोकॉलजिस्ट (एफएसआरएच) और यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑक्सफोर्ड ऐंड फर्टिलिटी यू के डॉक्टर सिसिलिया पाइपर का कहना है कि इस तरह के ऐप्स के अक्सर जटिल निर्देश होते हैं और ये प्रभावी होते हैं तो उन्हें सख्ती से पालन करना होता है.
नैचुरल साइकल्स की सह-संस्थापक डॉ. एलिना बर्गलुंड ने कहा, ''दुनिया भर की महिलाएं नॉन हार्मोनल गर्भनिरोधक उपायों की तलाश कर रही हैं. हमारी उच्चस्तरीय क्लिनिकल स्टडीज के मुताबिक़ हमलोग महिलाओं को हर जगह गर्भनिरोध के लिए एक विकल्प मुहैया करा सकते हैं.''
लेकिन क्या प्राकृतिक गर्भनिरोध ही अनचाहे गर्भ से बचने के लिए सबसे बेहतर उपाय है? यह बहुत महत्वपूर्ण है जब महिला गर्भनिरोध के बारे में सोचती है तो उसे नॉन-हॉर्मोनल गर्भनिरोध को लेकर भटकाया नहीं जाए क्योंकि आईयूडी, कॉन्डम और प्रजनन जागरूकता हमेशा से हॉर्मोनल गर्भनिरोध के मुकाबले बेहतर विकल्प रहा है.
फैमिली प्लानिंग एसोसिएशन का कहना है कि हॉर्मोनल गर्भनिरोध में साइड-इफ़ेक्ट और सेहत से जुड़े ख़तरों की आशंका रहती है. इसमें मासिक धर्म में ब्लीडिंग को रोकने में मदद मिल सकती है. इससे पीएमएस के लक्षणों को कम करने और मुहांसे पर काबू पाने में भी मदद मिलती है.
फ़र्टिलिटी यूके की डॉक्टर सिसिलिया पाइपर ने कहा कि फ़र्टिलिटी रिसर्च पर अभी और शोध की ज़रूरत है. अभी सैकड़ों फ़र्टिलिटी ऐप्स और पीरियड ट्रैकर हैं, लेकिन इनमें मूल्यांकन करने वाली टेक्नोलॉजी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि इनमें से ज़्यादातर ऐप्स व ट्रैकर महिलाओं के प्रजजन के दिनों को लेकर बेख़बर होते हैं.
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