कितना सुरक्षित है मेन्स्ट्रुअल कप का इस्तेमाल
मेन्स्ट्रुअल कप भी सैनिटरी पैड और टैम्पून्स की तरह ही सुरक्षित हो सकते हैं. उनमें ख़ून लीक होने का ख़तरा नहीं होता. ये कहना है सैनेटरी उत्पादों पर पहला बहुत बड़ा अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों का. मेन्स्ट्रुअल कप खून को इकट्ठा करते हैं न कि सोखते हैं. ये वैजाइना में फिट हो जाते हैं और दुबारा इस्तेमाल हो सकते हैं.
मेन्स्ट्रुअल कप भी सैनिटरी पैड और टैम्पून्स की तरह ही सुरक्षित हो सकते हैं. उनमें ख़ून लीक होने का ख़तरा नहीं होता.
ये कहना है सैनेटरी उत्पादों पर पहला बहुत बड़ा अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों का.
मेन्स्ट्रुअल कप खून को इकट्ठा करते हैं न कि सोखते हैं.
ये वैजाइना में फिट हो जाते हैं और दुबारा इस्तेमाल हो सकते हैं. लेकिन, टैम्पून का फिर से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
मेन्स्ट्रुअल कप का इस्तेमाल जरूर बढ़ रहा है फिर भी इसे लेकर जागरुकता बहुत कम है.
यह शोध लैंसेट पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित किया गया है. इसमें 43 अध्ययन किए गए हैं जिनमें 3300 अमीर और गरीब लड़किय़ां व महिलाएं शामिल थीं.
इसमें पाया गया कि मेन्स्ट्रुअल कप को लेकर ज़्यादातर समस्या यही थी कि इसे इस्तेमाल करने में दर्द होता है और निकालने में मुश्किल आती है. साथ ही लीकेज और त्वचा से रगड़ने की दिक्कत भी होती है.
हालांकि, इसे लेकर महिलाओं और लड़कियों को बहुत बड़ी समस्याएं नहीं थीं.
13 अध्ययनों में पाया गया कि 70 प्रतिशत महिलाएं मेन्स्ट्रुअल कप इस्तेमाल करना चाहती है.
चार अध्ययनों में करीब 300 महिलाओं में मेन्स्ट्रुअल कप और डिस्पोजेबल कप या टैम्पून्स में होने वाली लीकेज के बीच तुलना की गई.
तीन अध्ययनों में लीकेज एक जैसी थी लेकिन एक अध्ययन में मेन्स्ट्रुअल कप में कम लीकेज पाई गई.
कैसे काम करता है मेन्स्ट्रुअल कप
मेन्स्ट्रुअल कप मुलायम और लचीले मटीरियल जैसे रबड़ या सिलिकॉन से बने होते हैं.
वैजाइना में जाने के बाद मेन्स्ट्रुअल कप इस तरह फैल जाता है कि उससे खून बाहर नहीं आता.
इनमें टैम्पून्स या सेनेटरी पैड्स के मुकाबले ज़्यादा ख़ून इकट्ठा होता है लेकिन इसे नियमित तौर पर खाली करने और साफ करने की जरूरत होती है.
ये दो प्रकार के होते हैं- एक घंटी के आकार का वैजाइनल कप जो वजाइना में नीचे की तरफ़ फिट किया जाता है और दूसरा सरविकल कप जो थोड़ा ऊपर इस्तेमाल होता है.
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कैसे करें इस्तेमाल
अपने शरीर के मुताबिक सही आकार का कप चुनें. इसके आकार का महिलाओं में होने वाले रक्तस्राव की मात्रा से कोई संबंध नहीं होता.
हालांकि, इस बात का ध्यान रखें कि इस्तेमाल करने से पहले कप साफ और सूखा हो.
कप को मोड़ें और वैजाइना में डालें. अंदर जाकर कप खुल जाएगा और आसपास की जगह कवर करते हुए लीकेज नहीं होने देगा.
इसे निकालने के लिए कप को नीचे से दबाएं और फिर नीचे की ओर खीचें.
उसके अंदर जमा हुए खून को टॉयलेट में खाली करें और अच्छी तरह धो लें. एक बार पीरियड्स में इस्तेमाल होने के बाद कप को उबाल लें.
अपने लिए सही कप चुनें
बाज़ार में मेन्स्ट्रुअल कप के कई ब्रांड उपलब्ध हैं लेकिन ये हर किसी के लिए नहीं होता. इसे इस्तेमाल में सहजता आने में समय लगता है.
विशेषज्ञ कहते हैं कि महिलाएं क्या इस्तेमाल करती हैं ये उनकी पसंद है लेकिन इसका फैसला लेने के लिए उन्हें अच्छी सलाह और जागरुकता की ज़रूरत है.
अध्ययन में शामिल एक लेखक प्रोफेसर पेनेलोप फिलिप्स-हावर्ड ने कहा, ''दुनियाभर में 1.9 अरब महिलाएं माहवारी की उम्र में हैं, वो अपने साल के 65 दिन माहवारी में बिताती हैं लेकिन फिर भी बहुत कम ऐसे अध्ययन हैं जिनमें सैनिटरी उत्पादों का अध्ययन किया गया हो.''
क्या ये टैम्पून या सेनेटरी पैड से सस्ते हैं
एक मेन्स्ट्रुअल कप की क़ीमत 15 पाउंड (लगभग 1280 रूपये) से 25 पाउंड (लगभग 2134 रूपये) है, जो टैम्पून के एक बॉक्स के मुक़ाबले बहुत ज़्याद है.
लेकिन, टैम्पून और सैनिटरी पैड से अलग मेन्स्ट्रुअल कप को बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है और ये क़रीब 10 साल तक चल सकता है.
इसके अलावा इसे पर्यावरण के लिहाज से भी बेहतर विकल्प माना जाता है.
शोधकर्ताओं का मानना है कि मेन्स्ट्रुअल कप के इस्तेमाल से इंफेक्शन कम किये जा सकते हैं. खासकर कि जिन जगहों पर पानी और शौचालय की समस्या हो.