तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर ने शूटर दादिओं से कैसे सीखी चाल ढाल?
कहते हैं सपने देखने की कोई उम्र नहीं होती, इस कहावत को सच कर दिखाया उत्तरप्रदेश में बागपत के जोहरी गांव में रहने वाली तोमर परिवार की बहू चन्द्रो और प्रकाशी तोमर ने. इन्होंने हमेशा ही अपने घर का काम किआ, अपने पतिओं की सेवा की, खेत जोता और ज़्यादा कुछ ख़ास कर नहीं पाईं. लेकिन अपनी पोती का डर दूर करने गयी चंद्रो दादी ने जब पिस्तौल उठायी तब उनकी ज़िंदगी बदल गयी.
कहते हैं सपने देखने की कोई उम्र नहीं होती, इस कहावत को सच कर दिखाया उत्तरप्रदेश में बागपत के जोहरी गांव में रहने वाली तोमर परिवार की बहू चन्द्रो और प्रकाशी तोमर ने.
इन्होंने हमेशा ही अपने घर का काम किआ, अपने पतिओं की सेवा की, खेत जोता और ज़्यादा कुछ ख़ास कर नहीं पाईं. लेकिन अपनी पोती का डर दूर करने गयी चंद्रो दादी ने जब पिस्तौल उठायी तब उनकी ज़िंदगी बदल गयी.
अब उनकी ज़िंदगी पर फ़िल्म भी बन गई है.
25 अक्तूबर को रिलीज़ होने वाली फ़िल्म 'सांड की आँख' में चंद्रो तोमर का किरदार निभा रही हैं भूमि पेडनेकर और प्रकाशी तोमर का किरदार निभा रही हैं तापसी पन्नू.
बीबीसी से ख़ास बातचीत की बागपत की शूटर दादी चंद्रो और प्रकाशी तोमर ने.
चंद्रो तोमर की पोती शूटिंग रेंज के माहौल से घबरा गयी और रोने लगी थीं तब अपनी पोती को रोते देख उसका डर दूर करने के लिए चंद्रो तोमर ने पिस्तौल उठाई और कहा ''देख बेटी डरने की ज़रूरत नहीं है, मैं चलाके दिखाती हूँ और तब मेरा पहला ही निशाना टारगेट पर लगा, सबने कहा दादी तूने तो कमाल कर दिया.'' शायद इसी वाक्य ने उनकी ज़िंदगी बदल दी.
प्रकाशी तोमर से जब पूछा गया कि कैसे उन्होंने अपने घर गृहस्थी को साइड रख कर पिस्तौल हाथ में उठा लिया, तब उनका जवाब था, ''हमने तो अपने बच्चों का एडमिशन कराना था, हम तो बस उनके साथ जाया करते थे. 1 -2 दिन हो गए थे बैठ कर देखते थे, कैसे पिस्तौल भरते हैं, कैसे शूट करते हैं. फिर अचानक मुझे भी शौक़ चढ़ा सोचा एक बार मैं भी चला के देखूं. मेरा पहला ही छर्रा टारगेट पर लग गया तो सबने कहा दादी तू रोज़ प्रैक्टिस किया कर, तू बड़ी अच्छी है इसमें.''
बॉलीवुड रैपर बादशाह ने क्यों माँगी माफ़ी?
इरफ़ान पठान और हरभजन सिंह अब फ़िल्मों में करने जा रहे हैं डेब्यू
तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर स्टारर फ़िल्म इस दीवाली रिलीज़ होने वाली है.
फ़िल्म में तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर ने अपनी उम्र से बड़ी महिलाओं का किरदार निभाया है. फ़िल्म का निर्देशन तुषार हिरानंदानी ने किया है.
प्रकाशी तोमर से जब पूछा गया कि उनकी इतनी अच्छी सेहत का राज़ क्या है?
इसप वो कहती हैं, ''हम घर का खाना खाते हैं जैसे दाल चावल. बस खाने के बाद मीठा चाहिए होता है, जब घर होते हैं तो गुड़ शक्कर और जब बाहर होटल में होते हैं तो गुलाब जामुन और दूध. दूध के बिना हमसे रहा नहीं जाता.''
सांड कि आँख फ़िल्म के ट्रेलर में दिखाया गया है कि दोनों शूटर दादिओं ने अपना पहनावा नहीं छोड़ा.
इस पर चंद्रो तोमर कहती हैं, ''हमें अपनी बोली पर, अपनी पहनावे पर गर्व है, हमने अपना पहनावा कभी नहीं छोड़ा, हमने किसी की परवाह नहीं की. बस काम करने की लगन होनी चाहिए, हिम्मत करे इंसान तो सहायता करे भगवान.''
शूटर दादियों ने तापसी और भूमि को अपनी चाल ढाल कैसे सिखाई, इस सवाल के जवाब में चंद्रो तोमर कहती हैं, ''हाँ मैं और प्रकाशी को वो बात करते दिखाया करती थीं, हमने उनको हमारी बोली बोलना सिखाया, तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर ने हमारे किरदारों को ख़ूब अच्छे से निभाया है.''
तापसी और भूमि के साथ उनका वक़्त कैसा गुज़रा, ये पूछे जाने पर प्रकाशी तोमर का कहना था, ''दोनों बच्चों का व्यवहार बहुत अच्छा रहा. दो-ढाई महीने वो हमारे साथ ही रहीं थीं. तापसी और भूमि दोनों हमारे ही घर रहा करती थीं. ख़ूब अच्छा वक़्त गुज़रा हम सबका.''
कनाडा में सिख आख़िर कैसे बने किंगमेकर
ये देवरानी और जेठानी की जोड़ी आपको सगी बहनों से कम नहीं लगेगी, चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर दोनों ने इस बात का दावा किया है कि उन दोनों के बीच कभी नोक झोक नहीं हुई, वो हमेशा प्यार से रहीं और उनके घर में सभी बहुएं और बच्चे सब प्यार से रहते हैं.
7/10 समाज में प्रचलित मान्यताओं को तोड़कर महिला सशक्तिकरण का संदेश देने वाली फिल्म ‘सांड़ की आंख’ को कैबिनेट ने टैक्स फ्री करने का फैसला किया है।#UPCabinet
— Government of UP (@UPGovt) 22 October 2019
सांड कि आँख फ़िल्म को रिलीज़ से पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार ने टैक्स फ्री कर दिया है.