मंगल ग्रह पर मिला हरियाणा के आकार का 'जलाशय', मार्स पर वैज्ञानिकों ने खोजे पानी के गुप्त स्रोत
नई दिल्ली, 15 दिसंबर: साइंटिस्ट ने मंगल ग्रह पर पानी का स्रोत खोज लिया है। मंगल के ऊपर मंडराने वाले ट्रेस गैस ऑर्बिटर (टीजीओ) ने ग्रह के दिल कहे जाने वाले 'डायनामिक कैनियन सिस्टम' में पर्याप्त मात्रा में पानी खोजा है। वैलेस मेरिनरिस में देखा गया पानी, मंगल की सतह के नीचे छिपे हुए वैलेस मेरिनरिस में पानी के होने का पता चला है। छिपा हुआ जलाशय लगभग 45,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक के आकार का है, जो लगभग हरियाणा राज्य के आकार के करीब है।

अंतरिक्ष यान मंगल की मिट्टी के सबसे ऊपरी मीटर में हाइड्रोजन की मैपिंग कर रहा था
नई खोज ने खगोलविदों को ग्रह पर ध्रुवीय क्षेत्रों के अलावा पानी की तलाश करने के लिए एक और स्थान प्रदान की है। जहां पानी बर्फ के रूप में पाया जाता है। अंतरिक्ष यान मंगल की मिट्टी के सबसे ऊपरी मीटर में हाइड्रोजन की मैपिंग कर रहा था। तभी रासायनिक अवशेषों में पानी की मात्रा का मापन किया गया। अत्यधिक तापमान के कारण मंगल ग्रह की भूमध्य रेखा पर पानी की बर्फ नहीं पाई गई है, जिससे यह इतनी ठंडक नहीं हो पाती है, जो पानी की बर्फ स्थिर रख सके।

धूल भरी परत के एक मीटर नीचे पानी के संकेत मिले
ऑर्बिटर ने मिट्टी में धूल के कणों को कवर करने वाली बर्फ के रूप में सतह के पानी को डिटेक्ट किया है। ये पानी मंगल के निचले अक्षांशों पर खनिजों में मिला है। पानी की मात्रा की बात करें तो ग्रह के इस हिस्से में जल मौजूदगी बेहद ही कम पाई गई है। रूसी विज्ञान अकादमी के अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान ने के साइंटिस्ट इगोर मित्रोफानोव एक बयान में कहा है कि, टीजीओ के जरिए हम इस धूल भरी परत के एक मीटर नीचे देख सकते हैं।
उन्होंने बताया कि, टीजीओ के जरिए हमें पता चल पाएगा कि, मंगल की सतह के नीचे वास्तव में क्या चल रहा है और, महत्वपूर्ण रूप से, पानी से भरपूर 'जलाशय' का पता लगाने की कोशिश करेंगे, जिसे पिछले उपकरणों से पता नहीं लगाया जा सकता था। उन्होंने आगे कहा कि, अंतरिक्ष यान में फाइन रेजोल्यूशन एपिथर्मल न्यूट्रॉन डिटेक्टर (FREND) टेलीस्कोप द्वारा इसकी खोज की गई है।

जल-समृद्ध क्षेत्र नीदरलैंड के आकार के बराबर
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बुधवार को कहा कि जल-समृद्ध क्षेत्र नीदरलैंड के आकार के बराबर का है। और कैंडोर कैओस की गहरी घाटियों के साथ ओवरलैप करता है, जो घाटी प्रणाली का हिस्सा है। जो मंगल ग्रह पर हमारी पानी की खोज को आशान्वित करता है। वैज्ञानिकों ने मई 2018 से फरवरी 2021 तक FREND द्वारा प्रकाश के बजाय न्यूट्रॉन का पता लगाने वाले अवलोकनों का विश्लेषण किया।

इस तरकीब से वैज्ञानिक लगा रहे हैं पता
इस खोज के सह-लेखक एलेक्सी माल्खोव ने कहा कि, न्यूट्रॉन तब उत्पन्न होते हैं जब अत्यधिक ऊर्जावान कण, जिन्हें गांगेय ब्रह्मांडीय किरणों के रूप में जाना जाता है, मंगल पर टकराते हैं। उन्होंने बताया कि, सुखी मिट्टी की तुलना में गीली मिट्टी में अधिक न्यूट्रॉन का उत्सर्जन होता है। और इसलिए हम यह पता लगा सकते हैं कि उस मिट्टी में कितना पानी है जो न्यूट्रॉन को उत्सर्जित कर रहे हैं।
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भविष्य के मिशनों के लिए अत्यधिक फायदेमंद हो सकती है ये खोज
टीम का कहना है कि ऑर्बिटर द्वारा देखा गया यह पानी बर्फ या पानी के रूप में हो सकता है जो रासायनिक रूप से मिट्टी में अन्य खनिजों से जुड़ा होता है। हालांकि, अन्य अवलोकन हमें बताते हैं कि मंगल के इस हिस्से में पाए जाने वाले खनिजों में आमतौर पर केवल कुछ प्रतिशत पानी होता है, जो इन नई खोज की अपेक्षा बहुत कम है। मंगल ग्रह पर निचले अक्षांशों में उतरने की मिशन योजना के साथ, ग्रह पर पानी के इस तरह के भंडार का पता लगाना भविष्य के मिशनों के लिए अत्यधिक फायदेमंद हो सकता है।