'प्यार' की तलाश में मादा भेड़िये ने पैदल किया 14000 KM का सफर, पहुंची कैलिफोर्निया और मिली मौत
नई दिल्ली। प्यार सिर्फ इंसानों में ही नहीं बल्कि जानवरों में भी होता है। इसका जीता जागता उदाहरण एक मादा भेड़िया है (वुल्फ) जो अपने प्यार की तलाश में करीब 14 हजार किलोमीटर की दूरी तय की, वो भी चलते-चलते। पिछले हफ्ते उसकी मौत हो गई। वैज्ञानिक इस वुल्फ (OR-54, वैज्ञानिकों ने दिया ये नाम) को उसके गले में लगे ट्रांसमिटर कॉलर से ट्रैक कर रहे थे। वैज्ञानिक इस बात की जांच कर रहे हैं कि इस मादा वुल्फ की मौत क्यों हुई। क्या मौत उसके इतने चलने के कारण कोई बीमारी से हुई है या फिर वो अपने साथी के वियोग में कमजोर हो गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, इस वुल्फ ने साथी की खोज में परिवार को अलविदा कहा, घर छोड़ा और कैलिफोर्निया राज्य की सीमा को पार किया।
रोज चलती थी 21 KM पैदल
अक्टूबर 2017 से जीपीएस-रेडियो कॉलर से ट्रैक हो रही यह मादा 2018 से एक दिन में औसतन 21 किलोमीटर की दूरी तय कर रही थी। उन्होंने पाया कि बीते दो वर्षों में ओआर-54 पहाड़ों और जंगलों में भटक गई थी। वो कभी-कभी खाने के लिए पशुओं को भी मार रही थी। खबरों की मानें तो इस मादा भेड़िये ने जनवरी 2018 के बाद करीब 9 देशों से गुजरी थी और वापस दो बार कैलिफोर्निया में वापस आई थी। यह मादा भेड़िया कुछ समय के लिए नेवादा में भी रूकी थी। वैज्ञानिकों की मानें तो एक भेड़िया औसत तौर पर अपने साथी को खोजने के लिए 50 से 100 मील की यात्रा करता है और कुछ सैकड़ों मील तक की यात्रा करते है। लेकिन इतना चल पाना असंभव है।
आम बात है वुल्फ का घर छोड़कर जाना
बायोलॉजिस्ट बताते हैं कि यंग वुल्फ का घर छोड़ना बेहद आम बात है। जब वुल्फ, डेढ़ से दो साल के हो जाते हैं तो वह साथी की खोज में निकल पड़ते हैं और अपना खुद का इलाका बनाते हैं। यहां तक OR-54 के पिता OR-7 ने भी ऑरेगन में बसने से पहले कई वर्षों तक साथी के लिए कैलिफोर्निया में समय बिताया था। हालांकि, OR-54 की कहानी उसके पिता की तरह नहीं रही। पिछले हफ्ते बुधवार को ‘शास्ता काउंटी' में उसकी लाश मिली। वह सिर्फ तीन साल की थी। कैलिफॉर्निया का ‘फिश और वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट' उसकी मौत की वजह का पता लगाने में जुट गया है। साथ ही, उन्होंने इस मामले में सूचना देने वाले को करीब 1 लाख 80 हजार रुपये का इनाम देने की घोषणा की है।
भेड़िये के बारे में कुछ रोचक तथ्य
भेड़िये पालतू कुत्तों के पूर्वज हैं। इनमें बड़ी मजबूत सामाजिक संरचना पाई जाती है। इतनी कि ये एक-दूसरे के लिए जान भी दे देते हैं। चेहरे के विशिष्ट भाव से एक-दूसरे से बात कर सकते हैं। मादा भेड़िये की औसत लंबाई नाक से पूंछ तक 4.5 से 6 फीट होती है। वहीं नर भेड़िये की औसत लंबाई 6.5 फीट तक हो सकती है। सबसे छोटे भेड़िये मध्य पूर्व में पाए जाते हैं, जिनका वजन मात्र 30 पाउंड होता है। सबसे बड़े भेड़िये कनाडा, अलास्का और सोवियत संघ में रहते हैं। उनका वजन 175 पाउंड तक हो सकता है। जंगली भेड़ियों का औसत जीवनकाल 6 से 8 वर्ष के मध्य होता है। हालांकि इनके जीवनकाल में काफी विविधता देखने को मिलती है। कई भेड़िये जल्दी मर जाते हैं, तो कुछ 13 वर्ष तक भी जीवित रह जाते हैं। कैद में भेड़ियों का जीवनकाल 17 वर्ष तक हो सकता है। भेड़िये की पूंछ सीधी होती है। कुत्तों की नस्लों की तरह उसकी पूंछ मुड़ी हुई नहीं होती। अन्य जानवरों के विपरीत भेड़िये अपने चेहरे पर विभिन्न प्रकार के विशिष्ट भाव ला सकते हैं। इसका उपयोग वे संप्रेषण और समूह में एकता बनाए रखने के लिए करते हैं। भेड़िया एक मांसाहारी जानवर है। एक भूखा भेड़िया अपनी एक ख़ुराक में 20 पाउंड मांस खा सकता है, जो मानव के लिए 100 हैम्बर्गर खाने जैसा है। भेड़िये अपने पंजों पर चलते हैं। इससे उन्हें रूकने और जल्दी मुड़ने में आसानी होती है। साथ ही उनके पंजों का निचला हिस्सा अधिक घर्षण से बच जाता है। भेड़ियों की सूंघने की क्षमता तीव्र होती है। ये अन्य जानवरों को एक मील (1.6 किलोमीटर) से भी अधिक दूरी से सूंघ सकते हैं। भेड़ियों में 200 मिलियन गंध कोशिकाएं होती हैं। वहीं इंसानों में महज़ 5 मिलियन गंध कोशिकाएं होती हैं। भेड़ियों की श्रवण शक्ति इंसानों से 20 गुना बेहतर होती है। ये जंगल में 6 मील दूर और खुले टुंड्रा में 10 मील दूर तक की आवाज सुन सकते हैं। भेड़िया तैरकर 8 मील (13 किलोमीटर) तक की दूरी आराम से तय कर सकते हैं। इनके पैर की उंगलियों के बीच की छोटी जालीदार संरचना होती है, जो तैरने में सहायक हैं। भेड़िये के जबड़े काफ़ी मजबूत होते हैं। इनका crushing pressure लगभग 1,500 पाउंड/वर्ग इंच का होता है, जो कुत्तों (750 पाउंड/वर्ग इंच) की तुलना में कहीं अधिक है। इनके जबड़े भी कुत्तों की तुलना में बड़े और अधिक खुले हुए होते हैं, जिसमें मौजूद 42 दांत मांस को काटने-चीरने के साथ ही हड्डियों को चबाने का काम भी बखूबी करते हैं।
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