क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

चीन का मंगल मिशन: लॉन्च हुए तियानवेन-1 में क्या है ख़ास?

मंगल के सेहत की पड़ताल करना इस मिशन का आधा मक़सद ही है. यान के साथ संलग्न क्रूज़ शिप सात रिमोट सेंसिंग उपकरणों के ज़रिए पूरे ग्रह का अध्ययन भी करेगा.

By जोनाथन एमस
Google Oneindia News
चीन का अंतरिक्ष यान
AFP
चीन का अंतरिक्ष यान

चीन ने कोरोना वायरस महामारी के बीच मंगल ग्रह पर अपना पहला रॉकेट लॉन्च कर दिया है.

सुरक्षात्मक आवरण से घिरे छह पहियों वाले इस रोबोट को चीन के स्थानीय समयानुसार 12:40 बजे (भारतीय समय- 10:10 बजे) वेनचांग अतंरिक्ष केंद्र से 'लॉन्ग मार्च-5’ रॉकेट के ज़रिए पृथ्वी से छोड़ा गया.

उम्मीद जताई जा रही है कि ये फ़रवरी तक मंगल ग्रह की कक्षा के क़रीब पहुँच जाएगा.

इस मिशन को 'तियानवेन-1’ या 'क्वेश्चन्स टू हेवेन’ (स्वर्ग से सवाल) कहा जा रहा है. ये रोवर अगले दो-तीन महीनों तक सतह पर लैंड करने की कोशिश नहीं करेगा.

'वेट ऐंड सी’ की इस रणनीति को अमरीका ने 1970 में सफलतापूर्वक लागू किया था.

इससे चीनी इंजीनियरों को रोवर के लैंड करने से पहले ये पता करने में मदद मिलेगी कि मंगल पर स्थितियाँ कैसी हैं. इससे किसी तरह से हादसे या नाकामी को रोका जा सकेगा.

कैसा है चीनी यान तियानवेन-1?

तियानवन-1 का एक मॉडल
Reuters
तियानवन-1 का एक मॉडल

तियानवेन-1 को मंगल के इक्वेटर के ठीक उत्तर में 'यूटोपिया इंपैक्ट बेसिन’ के पास उतारने का लक्ष्य रखा गया है. यह रोवर यहाँ के वातावरण का अध्ययन करेगा.

तियानवेन-1 की रूपरेखा नासा के 2000 के दशक के 'स्पिरिट ऐंड अपॉर्च्युनिटी’ यान से मिलती-जुलती है.

इसका भार 240 किलोग्राम के लगभग है और इसमें आसानी से मोड़े जा सकने वाले सोलर पैनल लगे हुए हैं.

इसके एक लंबा खंबा है, जिस पर एक कैमरा लगा हुआ है. इससे तस्वीरे खींचने और यान को नैविगेट करने में मदद मिलती है.

इसके अलावा इसमें पाँच अन्य उपकरण लगे हैं, जिनसे मंगल पर मौजूद पत्थरों का विश्लेषण करने और यहाँ पानी या बर्फ की तलाश करने में मदद मिलेगी.

ये भी पढ़िएः

क्या है इस मिशन का मक़सद?

आर्टवर्क/सांकेतिक तस्वीर
Reuters
आर्टवर्क/सांकेतिक तस्वीर

हालाँकि मंगल के सेहत की पड़ताल करना इस मिशन का आधा मक़सद ही है. यान के साथ संलग्न क्रूज़ शिप सात रिमोट सेंसिंग उपकरणों के ज़रिए पूरे ग्रह का अध्ययन भी करेगा.

मंगल ग्रह के अध्ययन के लिए भेजे गए लगभग आधे उपक्रम विफल रहे हैं. इससे पहले 2011 में भी चीन ने मंगल पर एक सैटेलाइट लॉन्च करने की कोशिश की थी लेकिन उसका ये प्रयास नाकाम रहा था.

अब तक सिर्फ़ अमरीका ही मंगल पर लंबे समय वाले उपक्रम में सफल रहा है.

इसलिए चीन का यह अभियान बेहद महात्वाकांक्षी माना जा रहा है. हालाँकि इससे पहले चीन पिछले साल चांद पर दुनिया में सबसे पहले सॉफ़्ट लैंडिंग कराने वाला देश बना था.

सतह पर रुकने और अपनी एंट्री स्पीड कम करने के लिए तियानवेन-1 में एक कैप्सूल, पैराशूट और रेट्रो-रॉकेट का इस्तेमाल करेगा. अगर सब कुछ ठीक रहा, तो लैंडिंग मैकेनिज़म इसे मंगल की सतह पर उतरने के लिए एक रैंप देगा.

चीनी वैज्ञानिक चाहते हैं कि यान मंगल पर कम से कम 90 दिन रहे. मंगल ग्रह पर एक दिन 24 घंटे और 39 मिनट का होता है.

पिछले 11 दिनों में चीन का तियानवेन-1 मंगल ग्रह पर दुनिया का तीसरा मिशन है.

इससे पहले सोमवार को संयुक्त अरब अमीरात ने मंगल पर अपनी 'होप सैटेलाइट’ लॉन्च की थी और अब से कुछ हफ़्तों बाद अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा मंगल पर अपना अत्याधुनिक यान 'पर्सिवियरेंस’ भेजने की तैयारी में है.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
China's Mars Mission: What is special in Tianwen-1 launched?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X