8 घंटे सील डिब्बे में रहकर भी जिंदा बची नवजात, डॉक्टरों ने बताया था मृत
नई दिल्ली। कहते हैं 'जाको राखे साइयां मार सके न कोई'। ऐसा ही कुछ चैन्नई में हुआ जब 8 घंटे डिब्बे में बंद रही नवजात बच्ची जिंदा रह गई। इसे चमत्कार ही कहा जा सकता है। कमाल की बात ये है कि बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है। दरअसल यहां एक अस्पताल में बच्ची की जन्म हुआ तो डॉक्टरों ने उसे मृत करार दे दिया और थरमाकोल के डिब्बे में सील कर दिया और परिवार को दे दिया। लेकिन पूरे 8 घंटे बाद जब परिजन उसे अंतिम संस्कार के लिए ले जाने लगे तो वह अचानक रोने लगी।
प्री मेच्योर बच्ची को डॉक्टरों ने बताया था मृत
आंध्र प्रदेश की रहने वाली सुरेखा को 6 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। समान्य प्रसव से बच्ची प्री मेच्योर पैदा हुई थी और डॉक्टरों ने उसे मृत बताकर एक थरमाकोल के डिब्बे में सील करके सौंप दिया था। 8 घंटे बाद अंतिम संस्कार के लिए ले जाते हुए वह रोने लगी तो मालूम हुआ कि वह जिंदा है। इतना ही नहीं इसके बाद भी बच्ची को अस्पताल ले जाने में 3 घंटे लगे लेकिन वह जीवित रही। आज बच्ची तीन महीने की हो चुकी है और पूरी तरह स्वस्थ है।
जन्म के समय नहीं रोई, रुकी हुई थी घड़कन
जब बच्ची का जन्म हुआ तो वह आम नवजातों की तरह रोई नहीं और न ही उसकी धड़कन चल रही थी। ऐसे में डॉक्टरों ने उसे मृत मान लिया लेकिन जब बच्ची के परिजन कई घंटों बाद उसे लेकर लौटे तो डॉक्टर चकित रह गए और इसे चमताकार बताने लगे। इस पूरे केस पर वे रिसर्च कर रहे हैं।
डिब्बे से बाहर निकाली गई तो ऐसी थी बच्ची की हालत
बच्ची के जिंदा होने के बारे में जानते ही परिजन उसे अस्पताल ले आए। यहां मालूम हुआ कि उसका ब्लड प्रेशर लो है। पल्स धीमी चल रही है और सांस लेने में दिक्कत है। इसके अलावा उसके फेफड़े परिपक्व नहीं थे। उसके दिमाग के कई तरह के स्कैन किए गए हैं और अब वह स्वस्थ है। सुरेखा ने कहा कि बच्ची के इलाज के लिए उन्हें जमीन तक बेचनी पड़ी लेकिन वह खुश हैं कि बच्ची अब ठीक है।
यह भी पढ़ें- जानिए गुजरात की आनंद लोकसभा सीट के बारे में विस्तार से