भूपेश सरकार को हाईकोर्ट से झटका,अदालत ने सुनाया मीसाबंदियों के हक में फैसला
बिलासपुर ,25 जनवरी। छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार को मीसाबंदियों की पेंशन रोके जाने के मामले में तगड़ा झटका लगा है । बिलासपुर हाईकोर्ट ने मीसाबंदियों के हक़ में निर्णय लेते हुए मीसाबंदियों को पेंशन की सुविधा देने का आदेश सुनाया है। मंगलवार को चीफ़ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने मीसाबंदियों को अपने निर्णय से बड़ी राहत दी है। इससे पहले सिंगल बेंच ने भी मीसाबंदियों को राहत दी थी और उनके हक में फैसला सुनाया था,जिसके खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार ने डबल बेंच में अपील की थी।

बीते दिनों मामले में बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था । गौरतलब है कि तीस से ज्यादा मीसाबंदियों ने अदालत में पेंशन की मांग को लेकर याचिका लगाई थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि छत्तीसगढ़ में भाजपा शासन काल मे इन मीसाबंदियों को पेंशन की सुविधा दी जा रही थी ,लेकिन सरकार बदलने के बाद इसे बंद कर दिया गया था ,जिसके खिलाफ मीसाबंदियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ शासन के 2020 में जारी नोटिफिकेशन कोरद्द करते हुए 2008 के सम्मान निधि अब फिर से लागू के आदेश दिए हैं । छत्तीसगढ़ सरकार ने भौतिक सत्यापन और समीक्षा के नाम पर 2019 से मीसाबंदियों के पेंशन पर रोक लगा दी थी ।
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रमन सरकार में शुरू की गई थी मीसाबंदियों को पेंशन योजना
छत्तीसगढ़ में मीसाबंदियों को पेंशन की शुरुआत रमन सरकार के कार्यकाल में लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि नियम 2008 के माध्यम से हुई थी। मीसाबंदी की मृत्यु पर विधवा को सम्मान निधि की आधी राशि राज्य सरकार देती थी। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनने के बाद 28 जनवरी 2019 से मीसाबंदियों के दी जाने वाली राशि बंद कर दी गई थी। जिसके बाद याचिकाकर्ताओं ने बघेल सरकार के फैसले को न्यायालय में चुनौती देते हुए इसे लागू किए जाने की याचना की थी। सुनवाई के बाद न्यायालय ने अपने फैसले में माना कि बीते एक दशक तक जिस पेंशन का फायदा याचिकाकर्ताओं को प्राप्त हुआ, उसे अचानक इस प्रकार बंद किया जाना अन्यायपूर्ण है।
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कौन हैं मीसाबंदी ?
इंदिरा गांधी सरकार के समय देश में 1975 में लगे आपातकाल के दौरान कानून मीसा लागू किया गया था। इस कानून का विरोध करके जेल जाने वाले लोगो को मीसाबंदी कहा जाता है। आपातकाल के दौरान मीसा कानून का विरोध करने के कारण उन्हें लोकतंत्र सेनानियों का दर्जा भी दिया गया था, लेकिन कई गैरभाजपा शासित राज्यों में मीसाबंदियों की पेंशन रोक दी गई हैं ।