छत्तीसगढ़ के अचनकमार जंगल में में दिखा यह दुर्लभ काला जीव, क्या आपने कभी इसे देखा है?
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के वन विभाग के अधिकारियों ने सात साल बाद बिलासपुर जिले के अचनकमार टाइगर रिजर्व में एक दुर्लभ ब्लैक पैंथर देखा है। अचनकमार टाइगर रिजर्व के उप निदेशक विजया रात्रे ने कहा कि "हमने सात साल बाद पहली बार काले पैंथर को देखा। हालांकि, हमने सुरक्षा कारणों से इसके स्थान का खुलासा नहीं किया है, "। इससे पहले, छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में एक काला पैंथर देखा गया था।
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सात साल बाद दिखा है यह जानवर
कबिनी वन्यजीव अभयारण्य, डंडेली वन्यजीव अभयारण्य, भद्रा वन्यजीव अभयारण्य और शरावती वन्यजीव अभयारण्य राज्य में काले पैंथरों के निवास स्थान कहे जाते हैं। ब्लैक पैंथर कोई दूसरी प्रजाति नहीं है। साल 2018 में अचानकमार के जंगलों में ही लगे कैमरे में 4 काले तेंदुए दिखने की जानकारी मिलती है। गरियाबंद के जंगलों में भी काला तेंदुआ नजर आया था। अब अचानकमार में मिले काले पैंथर की चर्चा सोशल मीडिया में वायरल हो रही है।
बाघों की गणना के लिए लगाए गए ट्रैप कैमरे में हुआ रिकॉर्ड
वन्य प्राणियों को चाहने वाले इसे लेकर तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं। जंगल के अंदरूनी हिस्से में बाघ की गणना के लिए कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं। इसमें ही ब्लैक पैंथर की तस्वीर कैद हुई। रिजर्व के उप संचालक ने बताया कि तेन्दुए में मैलेनिन ज्यादा होने से वह काला दिखता है। काले चीते या काले तेंदुए, जिन्हें ब्लैक पैंथर भी कहा जाता है, किसी अलग प्रजाति से नहीं हैं।
जानिए किस वजह से उनका रंग होता है काला
वे सामान्य चीते ही होते हैं, बस अंतर इतना है कि काले चीते मेलानिस्म से ग्रसित होते हैं। मेलानिस्म एक उत्परिवर्तन यानी जीन में स्थाई बदलाव होना है, जिसके कारण इनके शरीर में सामान्य से अधिक मात्रा में गहरे काले धब्बे बनते हैं। इसके चलते दिन के उजाले में इनका फर बेहद काला दिखता है। लेकिन इसके बावजूद भी इनके चमकीले डार्क कोट के नीचे धब्बे होते हैं जो रात को इन्फ्रारेड किरणों में नजर आते हैं। मेलानिस्म, अल्बिनिस्म की विपरीत स्थिति है। क्या आप जानते हैं, काले चीते के जन्म के लिए, 2 काले चीते जरूरी नहीं हैं, पर दोनों में मेलानिस्म का जीन होना ज़रूरी है!
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