Independence Day पर कश्मीर में तिरंगे को सलामी देगी राजस्थान की बेटी Tanushree, जानिए कौन हैं ये
बीकानेर। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और कश्मीर व लद्दाख़ को अलग-अलग केन्द्र शासित राज्य बनाए जाने के बाद पहला स्वतंत्रता दिवस समारोह गुरुवार को मनाया जाएगा। Independence Day 2019 की समारोह की खास बात यह है कि कश्मीर में होने वाले स्वतंत्रता समारोह में बीएसएफ की टुकड़ी का नेतृत्व देश की सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की पहली महिला अफसर तनुश्री पारीक करेगी। राजस्थान की यह बेटी तिरंगे को सलामी भी देगी।
समुद्रतल से करीब 13000 फीट की ऊंचाई पर स्थित कुपवाड़ में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर तैनात तनुश्री बीएसएफ में महिला अधिकारियों के पहले बैच 2014 की अधिकारी हैं। मूलरूप से राजस्थान के बीकानेर की रहने वाली हैं। बीकानेर जिले की सीमा भारत-पाकिस्तान इंटरनेशनल बॉर्डर से लगती है। राजस्थान के बॉर्डर एरिया की बेटी तनुश्री की इस कामयाबी पूरी प्रदेश को गर्व हो रहा है।
बीएसएफ में कमांडेंट हैं तनुश्री
मंगलवार को जब श्रीनगर के शेरे कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में स्वतंत्रता दिवस समारोह 2019 की फुल ड्रेस रिहर्सल हुई तो राजस्थान के बेटी तनुश्री सबके आकर्षण का केंद्र थीं। उत्तरी कश्मीर में जिला कुपवाड़ा में एलओसी पर तैनात तनुश्री बीएसएफ की एक कंपनी को बतौर सहायक कमांडेंट कमान कर रही हैं।
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तनुश्री ने खुद चुनी एलओसी
मीडिया से बातचीत के दौरान तनुश्री ने कहा कि उन्हें जबरन कश्मीर नहीं भेजा गया है। उनके पास किसी दूसरे हिस्से में तैनात होने के विकल्प थे, लेकिन खुद तनुश्री ने कश्मीर चुना। एलओसी और कश्मीर के भीतरी हालात में ड्यूटी को लेकर क्या सोचती हैं तो उन्होंने कहा कि एलओसी पर मेरा दुश्मन मेरे सामने खड़ा है।
बार्डर पर जब आप तैनात होते हो तो आपको पता है कि दुश्मन कहां है और कहां से आएगा, लेकिन जब आप कश्मीर के भीतरी हिस्सों में या देश के किसी अन्य हिस्से में कानून व्यवस्था की स्थिति की ड्यूटी में शामिल होंगे तो दुश्मन आपके चारों तरफ ही होगा। आपको ज्यादा सावधान रहना है।
परिजन बनाना चाहते थे इंजीनियर
महिला एवं जेंडर मुद्दे पर शोध कर चुकी तनुश्री अपने स्कूल जीवन में एनसीसी कैडेट रह चुकी हैं। माता-पिता ने उन्हें इंजीनियर बनाने का सपना बुना था, लेकिन बीकानेर (पाकिस्तान के साथ सटा) में पैदा होने वाली तनुश्री सीमा प्रहरी बनना चाहती थी। उसके जुनून को देखते हुए उसके परिजनों ने भी उसके मिशन को पूरा करने में मदद की।