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एयरफोर्स से रिटायर होने के बाद इस 'खास खेती' से 15 लाख रुपए कमा रहे ओमप्रकाश बिश्नोई

By आनंद आचार्य
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बीकानेर। 'जय जवान-जय किसान' की झलक एक साथ देखनी हो तो राजस्थान के बीकानेर जिले के खाजूवाला चले आइए। यहां के ओमप्रकाश बिश्नोई ने पहले भारतीय वायुसेना ज्वाइन कर देश सेवा की और फिर रिटायरमेंट के बाद किसान बन गए। अब खेती से छप्परफाड़ कमाई कर रहे हैं।

30 बीघा जमीन को 'सोना' बनाने की कहानी

30 बीघा जमीन को 'सोना' बनाने की कहानी

वन इंडिया हिंदी से खास बातचीत में ओमप्रकाश बिश्नोई ने इंडियन एयरफोर्स में सेवाएं देने से लेकर राजस्थान के धोरों में जैतून की खेती करने तक का पूरा सफर बयां किया। बिश्नोई ने बताया कि उन्होंने डेढ़ किलोमीटर दूर से पानी लाकर अपनी बंजर पड़ी 30 बीघा जमीन को 'सोना' बना दिया है।

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ओमप्रकाश बिश्नोई का जीवन परिचय

ओमप्रकाश बिश्नोई का जीवन परिचय

ओमप्रकाश बिश्नोई बीकानेर के खाजुवाला इलाके चक आठ एसएसएम गांव के रहने वाले थे। ये भारतीय वायुसेना में सीनियर नॉन कमिशनड ऑफिसर के पद कार्यरत थे। वर्ष 1988 में रिटायर हो गए और फिर ओरिएंटल इंश्योरेंस कम्पनी ज्वाइन की। वर्ष 2015 में वहां से भी रिटायर हो गए। फिर इन्होंने गांव में बंजर पड़ी जमीन की सुध ली।

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 चारों तरफ जंगल से घिरी थी जमीन

चारों तरफ जंगल से घिरी थी जमीन

रिटायरमेंट के बाद ओमप्रकाश बिश्नोई ने तय कि वे अपनी तीस बीघा जमीन में जैतून की खेती करेंगे। समस्या यह थी कि जमीन के तारों तरफ जंगल और मिट्टी के टीले थे। जमीन भी उबड़-खाबड़ थी। सिंचाई का कोई साधन नहीं था। पहले जमीन को समतल किया। फिर नलकूप करवाया, मगर यहां की जमीन से पानी खारा निकला, जिससे खेती करना संभव नहीं था। ऐसे में खेत से डेढ़ किलोमीटर दूर चक 7 एसएसएम गांव के जगदीश प्रसाद चौहान के खेत में नलकूप करवाकर पाइप के जरिए पानी अपने खेत में लेकर आए।

जयपुर से लाए जैतून के पौधे

जयपुर से लाए जैतून के पौधे

ओमप्रकाश बिश्नोई ने बताया कि जमीन को खेती लायक बनाने और पानी की उपलब्धता होने के बाद जयपुर से जैतून के करीब 35 सौ पौधे लेकर आए। तीस बीघा जमीन में सात-सात फीट की दूरी पर पौधे लगाए और फिर बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति से पानी देना शुरू किया। सार-संभाल के लिए दो व्यक्ति भी रखे। पूरी प्रक्रिया करीब दस लाख रुपए खर्च हुए।

पांचवीं साल होने लगी कमाई

पांचवीं साल होने लगी कमाई

ओमप्रकाश बिश्नोई बताते हैं कि जैतून के पौधे कई दशक तक जीवित रहते हैं। शुरुआत के पांच साल तक इनसे कोई कमाई नहीं होती है। वर्ष 2015 में लगाए पौधों से अब 2020 में कमाई शुरू हो गई। लूणकरणसर स्थित जैतून रिफाइनरी में हमारे यहां से माल जाने लगा है। अब उम्मीद है कि तीस बीघा में खड़े जैतून के पोधों से हर साल 15 लाख की कमाई हो सकती है।

क्या काम आता है जैतून

क्या काम आता है जैतून

जैतून के पौधे के बेर से थोड़े आकार के फल लगते हैं, जिनमें तेल निकलता है। ऑलिव ऑयल काफी उपयोग में लिया जाता है। इसमें कुछ ऐसे यौगिक होते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में मददगार साबित हो सकते हैं। यह कब्‍ज में काफी फायदेमंद है, क्योंकि इसमें प्रचुर मात्रा में मोनोअनसैचुरेटेड फैट होता है। जैतून का तेल विटामिन-ई, विटामिन के, आयरन, ओमेगा-3 व 6 फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। मधुमेह के मरीजों के लिए भी लाभकारी है।

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English summary
Omprakash Bishnoi earning Rs 15 lakh from jaitun ki Kheti in Khajuwala Bikaner
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