राजस्थान में मशरूम की खेती से बदलेगी किसानों की तकदीर, बीकानेर कृषि विवि में बीज तैयार
बीकानेर। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की बर्फीली पहाड़ियों पर उगने वाले मशरूम की खेती अब पश्चिमी रेगिस्तानी इलाके में भी आसानी हाे सकेगी। बीकानेर के स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्विद्यालय में मशरूम केंद्र में इसके बीज तैयार हो रहे हैं। करीब 1 महीने में बीज तैयार होने के बाद यह किसानों को बीज उपलब्ध होंगे।
22 दिन में ये बीज पककर तैयार हो जाएंगे
बता दें कि सेंटर में रस्सी के साहरे प्लास्टिक बेग में गेहू का भूसा सहित अन्य चीजे डालकर इन बीजो को तैयार किया जा रहा है। लगभग 20 से 22 दिन में ये बीज पककर तैयार हो जाएंगे फिर किसानों को उपलब्ध करवा दिए जाएंगे। कृषि विश्वविद्यालय में मशरूम केंद्र के इंचार्ज डॉक्टर दाताराम ने बताया की ढींगरी मशरूम की खेती को लेकर विश्विद्यालय ने पहली बार ये काम शुरू किया है। प्रथम चरण के तहत ढींगरी मशरूम की फ्लोरिडा, आयस्टर, पिंक आयस्टर और सजोरकाजू आयस्टर किस्मों के 160 बैग लगाए गए हैं। लगभग 25 दिन बाद इनमें उत्पादन शुरू हो जाएगा।
मोटापा, मधुमेह, रक्तचाप तथा हृदय रोगियों के लिए लाभदायक
डॉ. दाताराम ने बताया कि फिलहाल हम बीज उत्पादन पर जोर दे रहे हैं, क्योंकि बीकानेर और आसपास के लोगों को इसका बीज आसानी से नहीं मिलता। ढींगरी मशरूम सुगंधित, मुलायम और पोषक तत्वों से भरपूर होता है। यह शाकाहारी लोगों के साथ-साथ मोटापा, मधुमेह, रक्तचाप तथा हृदय रोगियों के लिए लाभदायक होता है।
मशरूम बीज तैयार करने की इकाई लगाई
वहीं, विश्विद्यालय के जनसपर्क सूचना अधिकारी हरिशंकर आचार्य ने बताया क विश्विद्यालय क कुलपति प्रोफेसर आरपी सिंह की पहल पर मशरूम बीज तैयार करने की इकाई लगाई गयी है। केंद्र व राज्य सरकार द्वारा मरुस्थलीय क्षेत्रों में रहने वाले किसानों की आय में कैसे वृद्धि इसको लेकर भी यह सपना साकार होगा। विश्वविद्यालय में कम कीमत पर मशरूम के बीज मिलने से किसानों की आय वृद्धि होगी साथ साथ वह आत्मनिर्भर भी बनेगा।