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बीकानेर में सेवानिवृत्त शिक्षक के ​परिवार ने मेडिकल कॉलेज को दान की उनकी देह

By आनंद आचार्य
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बीकानेर। देहदान को लेकर बीकानेर में एक शिक्षक ने अनूठी पहल की है। पुत्र ने अपने पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए उनके निधन के बाद उनकी देह को बीकानेर के मेडकिल कॉलेज को सौंपा है। अपने पिता की देह को सौंपने के बाद पुत्र व परिवार भावुक नजर आया। दरअसल, बीकानेर के डागा चोक निवासी बाल कृष्ण व्यास का निधन हो गया था। बाल किशन व्यास सेवानिवृत्त शिक्षक थे। सेवानिवृत्त शिक्षक के निधन के बाद उनके परिवार खासतौर से उनकी पत्नी ने देहदान करने की सकरात्मक पहल की है।

सेवानिवृत्त शिक्षक बाल किशन व्यास की देह दान

सेवानिवृत्त शिक्षक बाल किशन व्यास की देह दान

समाज में जागृति लाने और मेडिकल छात्रों के शोध को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बीकानेर के डागा चौक से सेवानिवृत्त शिक्षक बाल किशन व्यास की देह को दान करने के लिए उनके पुत्र मोहन व्यास, अपनी माता कृष्णा व्यास और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ अपने पिता की देह को मेडिकल कॉलेज पहुंचे। देह सौंपने के बाद पुत्र, पत्नी और परिवार के सदस्य भावुक नजर आए, जिससे माहौल गमगीन हो गया। इस अवसर पर पुत्र मनोज कुमार ने बताया की पापा तो चले गए लेकिन उनकी देह सदा उनके साथ रहेगी। उनके अंगों से आने वाली पीढ़ी कुछ सीखेगी।

मेडिकल कॉलेज में करते थे नौकरी

मेडिकल कॉलेज में करते थे नौकरी

मनोज व्यास ने बताया कि वे खुद मेडिकल कॉलेज में एनाटॉमी डिपार्टमेंट में पिछले 21 साल से काम कर रहे हैं और 2 साल पहले उनके पुत्र का भी एमबीबीएस में सिलेक्शन हो गया है। इस दौरान उन्होंने भी इस बात को महसूस किया कि मेडिकल कॉलेज में देहदान की दिक्कत मेडिकल छात्रों को होती है। बालकृष्ण व्यास की पत्नी कृष्णा व्यास ने बताया कि वे खुद प्रोग्रेसिव विचारधारा वाले परिवार से रही हैं। उनके पिता स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं और मध्य प्रदेश में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उनकी काफी भूमिका रही। जिसके चलते भी समाज सेवा से भी जुड़ी रही।

परिवार के सभी सदस्यों का समर्थन

परिवार के सभी सदस्यों का समर्थन

कृष्णा व्यास ने बताया कि उनके मन में देहदान को लेकर ख्याल आया और अपने पति से इस बारे में अपने विचार साझा किए तभी दोनों ने मिलकर इस बात का निर्णय किया कि देह दान करेंगे। कृष्णा कहती हैं कि आज जब मौका आया तो मैंने अपने परिवार के सदस्यों को यह इच्छा बताई और परिवार के सभी सदस्यों ने मेरी बात का समर्थन किया।

 मृत्यु भोज नहीं करने का निर्णय

मृत्यु भोज नहीं करने का निर्णय

कृष्णा व्यास के भाई जोधपुर के रहने वाले कॉमरेड गोपीकिशन ने भी अपनी बहन के निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि इसके अलावा सामाजिक कुरीतियों को त्याग करते हुए उनकी बहन ने मृत्यु भोज नहीं करने का जो निर्णय किया है, वह भी सराहनीय है। कृष्णा व्यास का पूरा परिवार उनके दोनों निर्णयों की खुले मन से तारीफ कर रहा है।

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English summary
family of a retired teacher in Bikaner donated his body to Medical College
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