लोकडाउन में अनूठी सेवा: बीकानेर जेल में बंदी खुद का खाना बचाकर भर रहे 100 गरीबों का पेट
बीकानेर. बीकानेर केन्द्रीय कारागृह में हत्या, लूट, डकैती जैसी वारदातों को अंजाम देने वाले खतरनाक अपराधी, गैंगस्टर बंद हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण काल में इनके मन में भी मानवता और इंसानियत जागी है। बंदी अपने हिस्से की रोटी-सब्जी बचाकर जेल के पास रहने वाले 100 गरीब, मजबूर मजदूरों का पेट भर रहे हैं।
बता दें कि बीछवाल में बीकानेर केन्द्रीय कारागृह के पास एक कच्ची बस्ती है, जिसमें करीब 125 परिवारों के 300 से ज्यादा लोग रह रहें हैं। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। ये मजदूर वर्ग के हैं और रोजाना की दिहाड़ी कर अपना पेट भरते हैं।
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लॉकडाउन के चलते इन लोगों के सामने रोजी रोटी का बड़ा संकट खड़ा हो गया और भूखे मरने की नौबत आने लगी। ऐसे में बीकानेर सेंट्रल जेल के करीब 12 सौ बंदियों ने इन गरीबों का पेट भरने का जिम्मा उठाया है। बंदी जेल में मिलने वाले अपने रोजाना के भोजन में रोटी-सब्जी बचाते हैं। फिर बचा हुआ खाना जेल के पास स्थित इस कच्ची बस्ती में भेज दिया जाता है।
भोजन लेकर आने वाली जेल की गाड़ी देखते ही मजदूर और बच्चों के मुरझाए चेहरे खिल उठते हैं। रोजाना शाम को उनको वहीं खाना मिलता है, जो जेल में बंदियों के लिए तैयार किया जाता है। 50 दिन से यह सिलसिला जारी है।