बिजनौर हिंसा केस: मारे गए सुलेमान और अनस को आरोपी बनाकर होगी जांच
बिजनौर। नागरिकता संशोधन कानून पर 20 दिसंबर को बिजनौर के नहटौर में भड़की हिंसा में 20 साल के मोहम्मद सुलेमान और 24 साल के मोहम्मद अनस की मौत हो गई थी। पुलिस ने स्वीकार किया था कि सुलेमान की मौत आत्मरक्षा में चलाई गई खाकी की गोली से हुई थी। इस मामले में मृतकों का परिवार एफआईआर दर्ज कराने के लिए संघर्ष कर रहा है वहीं पुलिस अब दंगे और हिंसा के केस में दोनों मृतकों के नाम आरोपियों के तौर पर दर्ज करने की तैयारी में है।
अनस और सुलेमान के नाम आरोपियों में शामिल!
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए नहटौर पुलिस स्टेशन एसएचओ सत्य प्रकाश सिंह ने कहा कि हिंसा के मामले में दर्ज किए गए एफआईआर में अनस और सुलेमान का नाम भी दर्ज किया जाएगा। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे अन्य लोगों के नाम भी एफआईआर में शामिल करने की तैयारी है। इस बारे में एसपी संजीव त्यागी ने कहा कि सुलेमान पहले दिन से ही इस मामले में आरोपी था लेकिन अनस के केस के बारे में उनको ज्यादा जानकारी नहीं थी।
शिकायत पत्र में पुलिस के खिलाफ आरोप
सुलेमान और अनस के परिजनों का कहना है कि एफआईआर दर्ज कराने के लिए शिकायत पत्र देने के लिए पुलिस ने उनको दो दिन का समय दिया था। दोनों के परिवार ने शिकायत पत्र पुलिस को दिया था। शिकायत में अनस के पिता ने नहटौर सिटी इन चार्ज आशीष तोमर, सिपाही मोहित और दो पुलिसकर्मियों पर बेटे पर हत्या करने का आरोप लगाया। वहीं अनस के भाई ने शिकायत में एसएचओ राजेश सोलंकी, सिटी इन चार्ज आशीष तोमर, सिपाही मोहित व तीन अन्य पुलिसकर्मियों पर गोली मारकर हत्या का आरोप लगाया।
परिजनों को नहीं दी गई एफआईआर कॉपी
अनस और सुलेमान के परिजनों का कहना है कि उनके शिकायत पत्र की कॉपी पर प्राप्ति का स्टांप लगाकर थाने से उनको दिया गया। परिजनों का कहना है कि पुलिस ने उनको एफआईआर की कॉपी नहीं दी है। इस बारे में एसएचओ का कहना है कि सुलेमान और अनस की मौत जांच के दायरे में है, फिलहाल वे आरोपी हैं इसलिए एफआईआर की कॉपी उनके परिजनों को नहीं दी गई।
अलग से नहीं होगी दोनों की मौत की जांच
परिजनों के मुतााबिक, 30 दिसंबर को बिजनौर एसपी और डीएम रमाकांत पांडे ने उनसे कहा कि अनस और सुलेमान की मौत मामले में अलग से एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी। इस केस को पहले लिखी गई एफआईआर में ही शामिल कर इनकी जांच की जाएगी। इससे पहले कानपुर पुलिस ने भी दर्ज एफआईआर में 13 घायल मुस्लिमों के नाम आरोपियों के तौर पर शामिल करने का फैसला किया था।