बिजनौर 'फर्जी' केस: 'बेटे को छोड़ने के बदले पुलिस ने मेरा साइन लिया, मुझे नहीं पता कि वो कैसा कागज था'
बिजनौर। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ यूपी में हुए हिंसकर विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों के बवाल के साथ-साथ पुलिस बर्बरता की कई खबरें सामने आईं। अब बिजनौर के नगीना पुलिस का एक कारनामा सामने आया है जिसमें बताया जा रहा है कि पुलिस ने 250 से ज्यादा लोगों के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज कर लिया। दरअसल जिस तहरीर के आधार पर पुलिस ने केस दर्ज किया है, उस तहरीर पर साइन करने वाले को ही नहीं पता कि ऐसा कोई केस उसने दर्ज कराया है।
पुलिस ने दर्ज किया फर्जी मुकदमा!
नागरिकता संशोधन कानून पर उत्तर प्रदेश के बिजनौर में 20 दिसंबर को हिंसक प्रदर्शन हुए थे जिसमें दो की मौत हो गई थी। इस प्रदर्शन के बाद पुलिसिया कार्रवाई में 48 साल के तौकीर अहमद के नाबालिग बेटे को भी नगीना पुलिस ने पकड़ा था। 28 दिसंबर को तौकीर अपने बेटे को पुलिस हिरासत से छुड़ाकर लाए। तौकीर का कहना है कि रिहाई से पहले पुलिस ने एक कागज पर उसके हस्ताक्षर लिए थे। अब दस दिन बाद उनको झटका तब लगा जब उनको पता चला कि उनके शिकायत पत्र के आधार पर नगीना पुलिस ने 250 से ज्यादा लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया।
पुलिस ने कहा, तौकीर ने साइन किया था
एसपी देहात विश्वजीत श्रीवास्तव के मुताबिक, पुलिस ने शिकायत पत्र मिलने के बाद ही केस दर्ज किया था। उस शिकायत पत्र पर तौकीर ने साइन किए थे। इस केस की जांच एसआईटी कर रही है लेकिन तौकीर ने अब तक पुलिस से संपर्क नहीं किया है।
तौकीर ने कहा, मैंने नहीं दी कोई शिकायत
इस बारे में तौकीर का कहना है कि उसे ही नहीं मालूम कि उसने कोई शिकायत पत्र पुलिस को दिया था। एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए तौकीर ने कहा- मेरे बेटे और कुछ अन्य युवकों को 20 दिसंबर को विरोध प्रदर्शन के बाद पुलिस ने हिरासत में लिया था। मैं ज्यादा पढ़-लिख नहीं सकता, सिर्फ साइन करना जानता हूं। मैंने पुलिस को बताया कि मेरा बेटा नाबालिग है तो उसकी रिहाई के बदले पुलिस ने एक कागज पर साइन करने को कहा। मैंने साइन कर दिया। मुझे पता नहीं कि उस कागज में क्या लिखा था?
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