बिहार न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

बिहार में 19 विधायकों वाली कांग्रेस की नींद क्यों उड़ी हुई है

Google Oneindia News

पटना- बिहार में कांग्रेस के बदतर प्रदर्शन की वजह से पार्टी में अंदर से ही सवाल उठ रहे हैं। ऊपर से सिर्फ 19 विधायकों के जीतने और सत्ताधारी गठबंधन के बहुत ही कम बहुमत से सरकार बनाने की वजह से उनकी टूट का खतरा अलग मंडराने लगा है। यानि अब पार्टी के कर्ताधर्ताओं को यह समझ नहीं आ रहा है कि वह पहले चुनाव में पार्टी की भद पिटने की वजहों का पता लगाएं या फिर विधायकों को एकजुट रखने का इंतजाम करें। पार्टी की हार पर बिहार चुनाव की जिम्मेदारी संभाल रहे एआईसीसी के अधिकारियों की ओर ही पार्टी के लोग उंगलियां उठा चुके हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक वह ये सोच रहे हैं कि इसके लिए कुछ प्रतिनिधियों को अभी पटना भेज दें या फिर छठ पूजा के बाद नव-निर्वाचित विधायकों को बैठक के लिए दिल्ली बुला लें।

Recommended Video

Kapil Sibal ने फिर उठाया Congress में नेतृत्व का सवाल, कहा- गंभीर नहीं पार्टी | वनइंडिया हिंदी
Why is the Congress with 19 MLAs in Bihar sleepless

पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने अंदर ही अंदर जारी मंथन को लेकर कहा है, 'हमें मालूम है की बीजेपी और जेडीयू दोनों हमारे कुछ एमएलए को साधने में लगे हुए हैं। कुछ आंतरिक मुद्दे भी हैं। छठ के बाद कुछ लोगों को पटना भेजा जाएगा या यहीं पर हमारे विधायकों की एक बैठक बुलाई जाएगी।' उन्होंने ये भी कहा कि 'हमें नई विधानसभा के पहले सत्र की कार्यसूची को ध्यान में रखकर अपनी कार्यसूची बनानी होगी।' सूत्रों के मुताबिक कुछ वरिष्ठ नेताओं को राज्य में पार्टी के लोगों से पहले ही वहां पैदा हो रहे संकट की फीडबैक मिल चुकी है। पिछले शुक्रवार को पटना के सदाकत आश्रम में पार्टी विधायक दल के नेता की नियुक्ति को लेकर जिस तरह से कुछ गुटों के समर्थक भिड़े थे, वह पार्टी के अंदर मची खलबली का एक संकेत भर है। गौरतलब है कि सीएलपी लीडर के तौर पर अजीत शर्मा की नियुक्ति के खिलाफ विजय शंकर दुबे और सिद्धार्थ सौरव के समर्थकों ने खुला विरोध कर दिया था और ये वीडियो वायरल भी हुए थे।

बिहार में एनडीए को सरकार सुरक्षित रखने के लिए कुछ और विधायकों की आवश्यकता पड़ सकती है। कांग्रेस के लोगों को भी पता है कि अगर जेडीयू अपना आंकड़ा 43 से बेहतर करना चाहेगा तो उसकी नजर भी कांग्रेस के ही विधायकों पर अटकेगी। इसी तरह विधानसभा में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए भाजपा भी स्थिति मजबूत करना चाहेगी। यानि दोनों सत्ताधारी गठबंधनों की नजर कांग्रेसी विधायकों पर पड़ सकती है। इस डर को बिहार के एक कांग्रेस नेता ने जाहिर भी किया है, '23 नवंबर को जब विधायक शपथ ले लेंगे, सिर्फ दो ही चीजें मायनें रखेंगी- बीजेपी या जेडीयू कब साधने की कोशिश शुरू करते हैं और यह थोक में करते हैं या खुदरा दल-बदल करवाते हैं।'

2017 में जब नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग होकर वापस एनडीए में आ गए थे, उसके बाद उनकी पार्टी ने कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी समेत कुछ विधायकों को अपने पाले में कर लिया था। अशोक चौधरी को इस बार भी मंत्री बनाया गया है। जानकारी के मुताबिक उस दौर में कांग्रेस के कुछ नेता जो जदयू में आने की डील कर चुके थे, लेकिन बाद में रुक गए थे, उनमें से कुछ इस बार भी विधायक बने हैं।

गौरतलब है कि कांग्रेस में नेतृत्व की कमजोरी पर पहले ही सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर ग्रुप 23 के नेता खलबली मचा चुके हैं। बिहार हार के बाद वह सवाल फिर से उठाए जा रहे हैं। कपिल सिब्बल ने पार्टी हित में फिर से आंतरिक चुनाव की प्रक्रिया अपनाने की पैरवी की है। तारीख अनवर और पीएल पुनिया जैसे नेता बिहार की हार के लिए पार्टी को ही जिम्मेदार ठहरा चुके हैं। उधर सहयोगी राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी राहुल गांधी को लेकर अपनी भड़ास निकाल चुके हैं। इन सब बातों से सांगठनिक तौर पर अंदर ही अंदर हिली हुई कांग्रेस के विधायकों का मन अगर डोलना शुरू हुआ तो उन्हें रोकना निश्चित ही पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।

इसे भी पढ़ें- क्यों हुआ नीतीश कुमार की नई कैबिनेट से मुसलमानों का पत्ता साफइसे भी पढ़ें- क्यों हुआ नीतीश कुमार की नई कैबिनेट से मुसलमानों का पत्ता साफ

Comments
English summary
By winning only 19 out of 70 seats in Bihar elections, Congress is feeling the danger of losing the MLA
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X