बिहार में इस बार कौन सी पार्टी बनी है दागी विधायकों में 'बाहुबली'
पटना- बिहार में इस बार पदभार संभालने के दो घंटे के भीतर ही नीतीश कुमार के नए-नवेले शिक्षा मंत्री मेवा लाल चौधरी को भ्रष्टचार के आरोपों की वजह से इस्तीफा देना पड़ा है। हालांकि, उन्होंने अपनी सफाई में कहा है कि वह नहीं चाहते थे कि उनकी वजह से नई सरकार की छवि पर कोई आंच आए, इस लिए मंत्री पद छोड़ दिया है। लेकिन, हम आपको बताते हैं कि बिहार में इस बार जो कुल 243 विधायक चुनाव जीत कर आए हैं, उनमें से कितने दागी हैं और कौन सी पार्टी में सबसे ज्यादा आपराधिक छवि वाले विधायक चुनाव जीत कर आए हैं। हमारे पास कुल 241 विधायकों के आंकड़े हैं।
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चुनाव संबंधी विषयों का विश्लेषण करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर)के आंकड़ों को देखें तो सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी आरडेडी के 74 में से 60 फीसदी उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। जबकि, भारतीय जनता पार्टी के 73 में से 48 फीसदी विधायकों के खिलाफ गंभीर आपराधिक धाराओं में केस दर्ज हैं। राजद और भाजपा के 1-1 विधायक का आंकड़ा इसमें शामिल नहीं है। जबकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के 43 विधायकों में से 26 फीसदी विधायकों पर ऐसे ही मामले दर्ज हैं। इसी तरह 19 विधायकों वाली कांग्रेस के 58 फीसदी, भाकपा (माले) के 12 में से 67 फीसदी, असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के 5 विधायकों में 100 फीसदी, हिंदुस्तानी आमा मोर्चा (सेक्युलर) के 4 में से आधे विधायक, वीआईपी के 4 में से 3 विधायकों के खिलाफ किसी ना किसी गंभीर आपराधिक धाराओं के तहत केस चल रहे हैं। गंभीर आपराधिक मामलों का मतलब है कि इन सबके खिलाफ हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण या रेप जैसे संगीन आरोप हैं। इस तरह से इन 241 में से आधे से ज्यादा यानि 51 फीसदी विधायकों का आपराधिक रिकॉर्ड बहुत ही खराब है।
गौरतलब है कि ऊपर हमने जो भी 51 फीसदी वाले आंकड़े दिए हैं, वह सिर्फ उन विधायकों के हैं, जिनके खिलाफ अपराध की बड़ी धाराएं लगी हुई हैं। जबिक, सभी तरह के लंबित क्रिमिनल केसों की बात करें तो यह संख्या 68 फीसदी तक पहुंच जाती है। 2015 में ऐसे आपराधिक छवि वाले विधायकों की तादाद सिर्फ 58 फीसदी थी। इस बार राजद के 73 फीसदी और भाजपा के 64 फीसदी विजयी उम्मीदवारों के खिलाफ किसी ना किसी तरह के आपराधिक मामले दर्ज हैं।
ऊपर जिन विधायकों का जिक्र किया गया है वो सारे अपराधी छवि वाले लोग हैं। इनमें भ्रष्टाचार में शामिल विधायकों की बात नहीं की गई है। भ्रष्टाचार के मामलों से जुड़े दागी विधायकों की फेहरिस्त कोई छोटी नहीं है। पहला चर्चित नाम तो पूर्व शिक्षा मंत्री और तारापुर से जेडीयू विधायक मेवा लाल चौधरी का ही लिया जा सकता है, जिनपर बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर रहते हुए एसिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति और विश्वविद्यालय के भवन निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोप हैं और उसी के चलते उन्हें कुर्सी संभालने के दो घंटे के भीतर ही इस्तीफा देना पड़ा।
राजद ने उनके खिलाफ मोर्चा खोला था। इसके बाद अब सत्ताधारी एनडीए गठबंधन ने विपक्ष के खिलाफ पलटवार शुरू कर दिया है, क्योंकि खुद राजद के सीएम पद के उम्मीदवार रहे तेजस्वी यादव की छवि दागदार है और भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते ही उनकी 2017 में नीतीश सरकार में अनबन हुई थी,जिससे तत्कालीन महागठबंधन सरकार गिर गई थी। मेवा लाल के इस्तेफे के बाद एनडीए ने तेजस्वी से भी इस्तीफे की मांग शुरू कर दी है। ईटी से पार्टी नेता नीरज कुमार ने कहा है, 'मेवा लाल जी पर भ्रष्टाचार का आरोप है और मामला अदालती प्रक्रिया में है और उनके खिलाफ चार्ज फ्रेम नहीं हुआ है।' उन्होंने आगे कहा कि '(लेकिन,) तेजस्वी यादव धारा 420 के तहत चार्ज-शीटेड हैं और उन्हें भी नैतिक आधार पर आरजेडी विधायक दल के नेता पद से इस्तीफा देना चाहिए।'
उधर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी तेजस्वी यादव से इस्तीफे की मांग शुरू कर दी है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, " तेजस्वी यादव को भी इस्तीफ़ा देना चाहिये क्योंकि वो भ्रष्टाचार से जुड़े IRCTC घोटाले में न केवल चार्जशीटेड बल्कि ज़मानत पर हैं। कोविड के कारण ट्रायल रुका हुआ था । किसी भी दिन ट्रायल शुरू हो सकता है"