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नीतीश कुमार के कैबिनेट विस्तार में क्या है भाजपा का सियासी दांव?

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नीतीश कुमार के कैबिनेट विस्तार में क्या है भाजपा का सियासी दांव?

पटना। नीतीश मंत्रिमंडल के विस्तार में भाजपा के भविष्य की राजनीति की झलक है। जिस शाहनवाज हुसैन को भाजपा ने विधानसभा चुनाव के पहले स्टार प्रचारक के लायक भी नहीं समझा था उसे अचानक बिहार की राजनीति में इतनी प्रमुखता से क्यों स्थापित कर दिया ? उन्हें आनन फानन में एमएलसी बना कर मंत्री भी बना दिया गया। इसी तरह जिस जनक राम का लोकसभा चुनाव में सीटिंग सांसद रहते हुए टिकट काट दिया था उन्हें अचानक मंत्री बना दिया गया। वह भी तब जब जनक राम किसी सदन के सदस्य भी नहीं हैं। आखिर भाजपा को ऐसा क्यों करना पड़ा ? महाराष्ट्र की प्रयोगशाला से निकले रसायनिक सूत्र को भाजपा बिहार में लागू नहीं कर पा रही थी। नीतीश कुमार की बराबरी में राजनीति करने के लिए भाजपा को पुराना ढर्रा बदलना पड़ा। नये चेहरों में योग्यता की तलाश शुरू हुई तो शाहनवाज हुसैन और जनक राम की रुठी हुई किस्मत चमक गयी।

दूर के राही

दूर के राही

शाहनवाज हुसैन को जब भाजपा ने बिहार विधानसभा चुनाव में स्टार प्रचारक नहीं बनाया था तब बहुत विवाद हुआ था। अच्छे वक्ता और भाजपा का मुस्लिम चेहरा होने की वजह से चुनाव में भाजपा को मदद मिल सकती थी। फिर भी उन्हें दरकिनार कर दिया गया था। वाजपेयी युग के स्टार को मोदी युग में नजरअंदाज किया जा रहा था। भाजपा को जब अपनी गलती का अहसास हुआ तो कुछ दिनों के बाद शाहनवाज को स्टार प्रचारक बनाया गया। विधानसभा चुनाव में जब भाजपा ने 74 सीटें जीत कर लंबी छलांग लगायी तो उसके मन में महाराष्ट्र मॉडल कुलबुलाने लगा। दूसरी सबसे बड़ी पार्टी से सिंगल लार्जेस्ट पार्टी बनने के लिए शाहनवाज हुसैन को मैदान में उतारा गया। नीतीश कुमार के लिए शॉफ्ट कॉर्नर रखने वाले सुशील मोदी को दिल्ली भेजा गया। बिहार में भाजपा का एक उदार मुस्लिम चेहरा अब संभावनाओं के नये द्वार खोलने की तैयारी में है। भाजपा अति पिछड़ी जाति की रेणु देवी को उपमुख्यमंत्री बना चुकी थी। अब उसे दलित राजनीति को साधना था। सो उसने जनक राम को मंत्री बना कर पहल कर दी। यानी भाजपा अतिपिछड़े, दलित और मुस्लिम वोटरों के साथ नयी पारी शुरू करना चाहती है।

पलड़ा को बराबर करने की कोशिश

पलड़ा को बराबर करने की कोशिश

बिहार में सुशील मोदी का मुनासिब रिप्लेसमेंट चाहिए था। सुशील मोदी जैसे योग्य और अनुभवी नेता की जगह को भरने के लिए उतना ही क्षमतावान नेता चाहिए था। माना जाता है तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी, सुशील मोदी के रिक्त स्थान को भरने में सक्षम नहीं थे। राजनीति का पलड़ा संतुलित करने के लिए शाहनवाज हुसैन को मंत्रिमंडल में लाया गया। अभी उनके जिम्मे उद्योग विभाग है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि आगे चल कर शाहनवाज हुसैन की भूमिका बढ़ने वाली है। वे केवल उद्योग विभाग तक सीमित नहीं रहेंगे। तब उनकी जिम्मेवारी भी बढ़ेगी। शाहनवाज हुसैन ने कम उम्र के बावजूद एक समय नीतीश कुमार के साथ बराबर की हैसियत में काम किया था। नीतीश कुमार जब वाजपेयी मंत्रिपरिषद में कैबिनेट मंत्री थे उस समय शाहनवाज हुसैन भी कैबिनेट मंत्री ही थे। शाहनवाज हुसैन की कार्यक्षमता को देख कर ही अटल बिहारी बाजपेयी ने उन्हें राज्य मंत्री से कैबिनेट मंत्री बनाया था। इसलिए एक मंत्री के रूप में उनकी क्षमता निर्विवाद है। नीतीश कुमार चाह कर भी कद्दावर शाहनवाज हुसैन की अनदेखी नहीं कर सकते।

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जनक राम को प्रोजेक्ट किया भाजपा ने

जनक राम को प्रोजेक्ट किया भाजपा ने

बिहार भाजपा की राजनीति में कई दलित चेहरे मौजूद हैं। ढाई महीना पहले जब नीतीश सरकार का गठन होना तब भाजपा के कामेश्वर चौपाल को डिप्टी सीएम बनाये जाने की खूब चर्चा चली थी। वे भाजपा के बड़े दलित नेता हैं। राम मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में पहली ईंट कामेश्वर चौपाल ने ही रखी थी। लेकिन आखिरी वक्त में उनका पत्ता कट गया। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और भाजपा के दलित नेता संजय पासवान एमएलसी हैं। वे भी मंत्री बनने की प्रतीक्षा में थे। लेकिन किस्मत का पिटारा खुला जनक राम का। जनक राम की उम्र अभी 47 साल है। वे रविदास समाज से आते हैं। राजनीति की शुरुआत उन्होंने मायावती की पार्टी से की। 2009 में बसपा के टिकट पर गोपालगंज से लोकसभा की चुनाव लड़ा। तीसरे नम्बर पर रहे। 2014 में उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली। मोदी लहर में सांसद भी बन गये। जनक राम जब सांसद बने तो भाजपा ने रविदास समुदाय में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए उनको आगे कर दिया। इतना ही नहीं मायावती के रविदास वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए भी जनक राम को उत्तर प्रदेश बुलाया गया था। भाजपा ने उन्हें नये दलित नेता के रूप में प्रमोट किया। वे 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के स्टार प्रचारक थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में जब उनका टिकट कट गया तब भी उन्होंने पार्टी (भाजपा) से कोई शिकायत नहीं की। उनकी योग्यता और निष्ठा देख कर भाजपा ने उन्हें मंत्री पद देकर भविष्य की राजनीति दिशा तय कर दी। तपे तपाये नेताओं की जगह अब भाजपा के नये क्षत्रप नये प्रतिमान गढ़ेंगे।

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English summary
What is the political bet of BJP in Nitish Kumar's Cabinet expansion in BIhar?
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