सुशांत केस : बिहार पुलिस का ‘ऑटो वाला फोटो’ सुपर हिट, कर्तव्यनिष्ठता के कायल हुए लोग
कभी-कभी कमजोरी ही इंसान का ताकत बन जाती है। सुशांत केस की जांच में बिहार पुलिस को महाराष्ट्र पुलिस से सहयोग नहीं मिल रहा। लाचारी में बिहार पुलिस को जांच के लिए ऑटो रिक्शा में जाना पड़ा। ऑटो में सवार बिहार पुलिस की यह तस्वीर मीडिया में छा गयी। इस तस्वीर से मुम्बई में बिहार पुलिस को साधनहीन और कमतर समझा जाने लगा। लेकिन बिहार में ठीक इसके उलट प्रतिक्रिया हुई। बिहार के लोगों को ये तस्वीर ऐसी भायी कि उन्होंने पुलिस को लेकर अपने तमाम पुराने शिकवे-गिले भुला दिये। कोरोना संकट के बीच जान की परवाह किये बिना जिस तरह बिहार पुलिस एक्शन पैक्ड इंवेस्टिगेशन कर रही है, वह लोगों के दिलों को छू गया। जब बिहार पुलिस को अपनी जांच के लिए ऑटो की सवारी जरूरी लगी तो उसने इससे भी गुरेज न किया। न कोरोना का खौफ न प्रतिष्ठा का सवाल। सुशांत सिंह राजपूत केस से जुड़े सबूत के लिए वह निकल पड़ी ऑटो रिक्शा पर। कम हैसियत का प्रतीक ऑटो रिक्शा अब बिहार पुलिस के लिए कर्मठता और कर्तव्यनिष्ठता का प्रमाण बन गया है। ऑटो रिक्शा वाली तस्वीर ट्वीटर पर टॉप ट्रेंड में है। सोशल मीडिया में लोग बिहार पुलिस की इस 'कमिटमेंट’ की जमकर तारीफ कर रहे हैं।
बिहार पुलिस को समर्थन
सुशांत केस में मुम्बई पुलिस के असहयोग और ठाकरे सरकार के रवैये से यह मामला बिहार बनाम महाराष्ट्र की लड़ाई में तब्दील हो रहा है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है, "मुम्बई पुलिस इस मामले की जांच के लिए पूरी तरह सक्षम है। उसकी क्षमता पर सवाल उठाना उसका अपमान होगा। अगर किसी का पास कोई ठोस सबूत हैं तो वह दे। हम निष्पक्ष जांच कर दोषियों को सजा देंगे। लेकिन मेहरबानी कर इस मामले को बिहार बनाम महाराष्ट्र का मुद्दा न बनाएं।" तो क्या बिहार पुलिस की जांच महाराष्ट्र को अपमानजनक लग रही है ? सवाल निष्पक्ष जांच का होना चाहिए न कि निजी प्रतिष्ठा का। लेकिन मुम्बई पुलिस ने जिस तरह से बिहार पुलिस के साथ अपमानजनक व्यवहार किया है उससे बिहार के लोगों में गहरी नाराजगी है। बिहार के लोग खुल कर अपने राज्य की पुलिस के समर्थन में आ गये हैं। बिहारवासियों को लग रहा है कि बिहार पुलिस जिस मुस्तैदी से सुशांत केस की जांच कर रही है उससे मामले का भंडाफोड़ हो जाएगा। बिहार पुलिस के अफसरों का मानना है कि जांच में अभी तक जो सबूत मिले हैं उससे एक बड़ा धमाका होने वाला है।
जुकाम की दवा खा कर कर रहे जांच
इस बात की चर्चा है कि मुम्बई में सुशांत मामले की जांच कर रही बिहार पुलिस की चार सदस्यीय टीम में से दो अफसरों की तबीयत खराब हो गयी है। पानी बदलने के कारण उनको सर्दी जुकाम की तकलीफ बतायी जा रही है। कोरोना संकट के दौर में साधारण सर्दी भी डर का कारण बन जाती है। उन्हें डॉक्टर से दिखाया गया है। तबीयत खऱाब होने के बाद भी ये पुलिस अधिकारी आराम नहीं कर रहे। वे दवा खा कर तफ्तीश में जुटे हैं। बिहार के लोग अपनी पुलिस की इस कर्तव्यनिष्ठता और जांबाजी के मुरीद हो गये हैं। कोरोना का तांडव सबसे अधिक महाराष्ट्र में ही है। अकेले मुम्बई में करीब 90 हजार कोरोना मरीज हैं। इस भयावह स्थिति के बीच अगर बिहार पुलिस के अफसर इंसाफ के लिए दिनरात मेहनत कर रहे हैं तो यह गर्व का विषय है। बिहार पुलिस के लिए सुशांत केस एक बड़ा ‘असाइनमेंट' बन गया है। वह ‘मिशन मुम्बई' को एक बड़े मौके में तब्दील करना चाहती है ताकि उसकी योग्यता और क्षमता से पूरा देश परिचित हो सके।
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मुम्बई पुलिस से नाराजगी क्यों ?
मुम्बई पुलिस के असहयोग पर मचे बवाल के बीच मीडिया में एक वीडियो क्लीप दिखायी जा रही है जिसमें बिहार पुलिस की जांच टीम को जबरन पुलिस वैन में बैठाया जा रहा है। मुम्बई पुलिस का एक मुलाजिम बिहार के अफसर को ठेल कर वैन में बैठा रहा है। मीडिया के लोगों ने जब बिहार पुलिस के अफसरों से बात करनी चाही तो उन्हें रोक दिया गया। इस मामले में अब सफाई दी जा रही है कि मुम्बई पुलिस दरअसल बिहार के अफसरों को मीडिया से बचाने के लिए सुरक्षित वैन में बैठा रही थी। लेकिन इस दृश्य से बिहार के लोग नाखुश हैं। उन्हें अपने जांबाज अफसरों के साथ हुई यह घटना शर्मनाक लगी है। बिहार पुलिस को मुम्बई में गाड़ी की सुविधा नहीं देने से पुलिस महकमा भी नाखुश है। बिहार के डीपीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने मुम्बई पुलिस को गाड़ी मुहैया कराने के लिए बात की है। जांच की रफ्तार को देखते हुए अब कुछ बड़े अफसर भी मुम्बई जाने वाले हैं ताकि इंवेस्टिगेशन जल्द से जल्द मुक्कम हो सके।