इस महीने JDU में RLSP का हो सकता है विलय, उपेंद्र कुशवाहा ने कहा- हम कभी अलग हुए ही नहीं
पटना। बिहार की सियासत में इस महीने बड़ी राजनीतिक उलटफेर होने वाली है। उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ( रालोसपा ) का इसी महीने जदयू में विलय हो सकता है। पिछले कुछ समय से सियासी गलियारों में इस विलय को लेकर चर्चा चल रही है। अगर ऐसा होता है तो एक बार फिर से कुशवाहा अपनी पुरानी पार्टी में वापस करेंगे। कुशवाहा सोमवार को जदयू के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह के साथ कोरोना का टीका लगवाने के लिए अस्पताल पहुंचे। इस दौरान अपनी पार्टी का जदयू में विलय करने पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम जदयू से अलग ही कब थे। उन्होंने कहा कि जल्द ही पार्टी का जदयू में विलय होगा।
उपेंद्र ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही की थी। नीतीश कुमार ने उन्हें आगे भी बढ़ाया। हालांकि कई बार विचारों के मतभेद के चलते उपेंद्र ने पार्टी छोड़ी और फिर वापस भी आए। इससे पूर्व वे दो बार अलग गुए।
बता दें कि साल 2014 में एनडीए के तहत लोकसभा चुनाव लड़े और तीन सीटें जीतीं। उपेंद्र कुशवाहा मंत्री भी बने। लेकिन साल 2015 के बिहार विधानसभा चुननाव में उनकी पार्टी को टो सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। बाद में वे महागठबंधन का भी हिस्सा बने लेकिन साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने खुद को अलग कर लिया। फिर कई दलों का गठबंधन बनाकर विधानसभा चुनाव में उतरे, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।
बता दें कि साल 2004 में उपेंद्र कुशवाहा को विधानसभा में विपक्ष का नेता नीतीश कुमार ने बनाया था। साल 2005 में हुए फरवरी और अक्टूबर दोनों विधानसभा चुनाव उपेंद्र कुशवाहा हार गए। बाद में जदयू के प्रदेश का प्रधान महासचिव बनाए गए। इसके बाद कुशवाहा साल 2006 में शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए और इसके प्रदेश अध्यक्ष बने। फिर साल 2008 अक्टूबर में वे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से अलग हुए और फिर राष्ट्रीय समता पार्टी बनायी, जिसका जदयू में विलय हुआ।