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98 साल की उम्र में किया MA पास, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम...

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पटना : पढ़ाई लिखाई की कोई उम्र और समय सीमा नहीं होती इस तरह की बात अक्सर फिल्मों और कहानियों में सुनाई देती है लेकिन राजधानी पटना के एक 98 साल के बुजुर्ग ने इसे हकीकत में कर दिखाया। रिटायरमेंट के बाद पढ़ाई शुरू की और 98 साल की उम्र में स्नातकोत्तर कर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया है। उन्होंने आज से 83 साल पहले मैट्रिक की परीक्षा दी थी तो 69 साल पहले बैचलर ऑफ लॉ किया था। लेकिन रिटायरमेंट होने के बाद इनमें फिर से पढ़ाई करने की आस जगी और रिटायरमेंट के चार दशक बाद अर्थशास्त्र से स्नातकोत्तर की परीक्षा सेकंड डिवीज़न से पास करते हुए यह साबित कर दिया कि पढ़ाई करने की कोई उम्र और समय सीमा नहीं होती । जी हां हम बात कर रहे हैं राजधानी पटना के रहने वाले राजकुमार वैश्य की जिन्होंने बुढापे की उम्र में पढ़ाई कर एक मिसाल कायम किया है। आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें....

rajkumar Vaishya

अर्थशास्त्र में पास किया पीजी

अर्थशास्त्र में पास किया पीजी

आपको बताते चलें कि अपने बारे में बताते हुए राजकुमार का कहना है कि जब वह नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी में आज से 2 साल पहले अर्थशास्त्र से स्नातकोत्तर में नामांकन करने के लिए पहुंचे थे तो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने खुद उनके घर आकर उनका नामांकन किया था जहां आज उन्होंने द्वितीय श्रेणी से स्नातकोत्तर पास कर 98 साल की उम्र में एक मिसाल कायम किया और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाया है।

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रिटायरमेंट के बाद शुरू की पढ़ाई

रिटायरमेंट के बाद शुरू की पढ़ाई

आपको बताते चलें कि 1 अप्रैल 1920 को उत्तर प्रदेश के बरेली में जन्म लेने वाले राजकुमार वैश्य अपने पूरे परिवार के साथ पटना में ही रहते थे। सरकारी नौकरी करने के बाद जब वह रिटायर हुए तो अपने घर में अकेला रह रह कर बोर हो गए थे जिसके बाद उनके मन में फिर से दोबारा पढ़ने की इच्छा जगी और बेटी बहू की सहमति से उन्होंने दोबारा पढ़ाई शुरु किया। उनके बेटे और बहू दोनों सरकारी नौकरी से रिटायर हो चुके हैं जहां उनका बेटा संतोष कुमार बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में प्रोफ़ेसर थे तो बहु डॉक्टर भारती एस कुमार पटना विश्वविद्यालय के सोशल साइंस फैकल्टी में डीन रह चुकी हैं जो दो साल पहले रिटायर हो चुकी है। राजकुमार के पढ़ाई में बेटे बहू ने भी काफी योगदान दिया जिसके वजह से उन्होंने 98 साल की उम्र में आज एक मिसाल कायम किया है।

रोजाना करते थे 4-5 घंटे पढ़ाई

रोजाना करते थे 4-5 घंटे पढ़ाई

अपने पढ़ाई के बारे में उन्होंने बताया कि खाली समय में वह किताब पढ़ा करते थे और परीक्षा में पास होने के लिए रोजाना 4 से 5 घंटे की पढ़ाई की जिसके बाद वह सफल हुए। उन्होंने खुद परीक्षा सेंटर पर जाकर परीक्षा दिया जिस दौरान बहुत सारे लोग उन्हें देखने के लिए वहां मौजूद थे और कई तरह की बातें भी कर रहे थे। फिर भी वह किसी की बातों पर ध्यान दिए बगैर परीक्षा में लगे रहे और आज अपना नाम रिकॉर्ड में दर्ज करवाया है। उनके इस जुनून को देखते हुए एनओयू के रजिस्ट्रार डॉ. एसपी सिन्हा का कहना है कि राजकुमार जैसे विद्यार्थी शिक्षा से विमुख हो जाने वाले लोगों के लिए एक प्रेरणा है जिसे देख लोग फिर से पढ़ाई शुरू कर सकते हैं।

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English summary
Rajkumar Vaishh passed MA at the age of 98 Limca Book of Records
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