विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का बिहार के इस जिले से रहा है खास ताल्लुक, जानिए
पटना, 23 जून 2022। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर पूरे देश में पक्ष और विपक्ष अपने उम्मीदवार को जिताने की हर मुमकिन कोशिश कर रहा है। एनडीए की तरफ़ द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित की गई हैं। वहीं विपक्ष की तरफ़ से यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया गया। राष्ट्रपति उम्मीदवारों की घोषणा होने के बाद अब लोग दोनो उम्मीदवारों के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं कि किनका कहां से ताल्लुक रहा है। इसी कड़ी में आज हम आपको विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार घोषित किए गए यशवंत सिन्हा के बारे में बताने जा रहे हैं।

यशवंत सिन्हा का नालंदा से है ख़ास ताल्लुक
यशवंत सिन्हा का भले ही नालंदा जिला जन्मस्थली या कर्मभूमि नहीं रहा, लेकिन यहां से उनका नाता बहुत पुराना है। नालंदा ज़िले में यशवंत सिन्हा का पैतृक घर आज भी मौजूद है। अस्थावां प्रखंड अंतर्गत ओंदा गांव जर्जर अवस्था मौजूद मकान उनके नालंदावासी होने की गवाही दे रहा है। यशवंत सिन्हा के रिश्तेदारों की मानें तो उनकी कभी भी यशवंत सिन्हा से मुलाक़ात हुई और ना ही कभी वो गांव आए। हमारे पूर्वज बताते थे कि यशवंत सिन्हा यहीं के निवासी है और अपने रिश्तेदार लगते हैं।

ओंदा गांव में मौजूद है पैतृक घर
यशवंत सिन्हा के रिश्तेदारों ने बताया कि पूर्वजों से मिली जानकारी के हिसाब से औंदा गांव में ही उनका पुश्तैनी मकान है। यशवंत सिन्हा योग्य व्यक्ति हैं उनको राष्ट्रपति बनने का मौक़ा मिलता है तो हमारे साथ साथ सभी देशवासियों के लिए गौरव की बात है। स्थानीय लोगों ने बताया की अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में यशवंत सिन्हा वित्त मंत्री थे और उनके ही कोशिश से बिहार शरीफ़ से शेखपुरा के लिए एक रेल लाइन बनाई जा रही है जो की ओंदा होते हुए गुजरी। वर्तमान में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उस वक्त रेल मंत्री थे। ये यशवंत सिन्हा की ही देन है कि उनके गांव ओंदा से रेल लाइन गुज़र रही है। गांव से जो रेल लाइन गुजर रही है उसका 75% काम पूरा हो चुका है।

बिहार में ही हुई है यशवंत सिन्हा की पैदाइश
बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी रह चुके यशवंत सिन्हा की पैदाइश बिहार में ही हुई है। 1984 में यशवंत सिन्हा ने प्रशासनिक सेवा छोड़ कर सियासत से जुड़ गए थे। जनता पार्टी में शामिल होकर उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री और समाजवादी दिग्गज कर्पूरी ठाकुर के प्रधान सचिव के रूप में भी यशवंत सिन्हा काम कर चुके हैं।

यशवंत सिन्हा के सियासी सफर की शुरुआत
1988 में यशवंत सिन्हा राज्यसभा के सदस्य बनाए गए। चंद्रशेखर सहित कई विपक्षी नेताओं ने 1989 के संसदीय चुनाव में कांग्रेस से मुकाबला करने के लिए जनता दल के गठन के लिए हाथ मिलाया। जिसके बाद में सशवंत सिन्हा ने अपने राजनीतिक गुरु की राह पर चलते हुए वी. पी. सिंह की सरकार को गिराने के लिए जनता दल को तोड़ दिया था। इस तरह से उन्होंने अपना सियासी सफर जारी रखा और आज राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर विपक्ष ने उनके नाम की घोषणा की है।
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