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IAS, IPS तो छोड़िए नीतीश कुमार ने तो दरोगा को भी बनवा दिया विधायक

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IAS, IPS तो छोड़िए नीतीश कुमार ने तो दरोगा को भी बनवा दिया विधायक

आइएएस और आइपीएस तो बड़ी बात हो गयी, नीतीश कुमार ने दारोगा तक को नेता बनाया है। मंगलवार को बिहार के डीजीपी पद से वीआरएस लेने वाले गुप्तेश्वर पांडेय के जदयू से चुनाव लड़ने की प्रबल संभवना है। नीतीश कुमार इसके पहले आइपीएस रहे मनोहर प्रसाद सिंह को विधायक बना चुके हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने अपने गृहजिले नालंदा के राजगीर सीट से एक पूर्व दारोगा रवि ज्योति को जदयू का टिकट दिया था। वे जीते भी। रवि ज्योति ने नीतीश की पार्टी से चुनाव लड़ने के लिए दारोगा पद से वीआरएस लिया था। गुप्तेश्वर पांडेय से पहले बिहार के तीन डीजीपी चुनाव में किस्मत आजमा चुके हैं, लेकिन उन्हें हार का समना करना पड़ा। वैसे गुप्तेश्वर पांडेय बड़ी-बड़ी बाते कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे किसी भी सीट से चुनाव जीत सकते हैं। उन्हें 14 जगहों से चुनाव लड़ने के लिए ऑफर मिल रहे है। ऐसे ऑफर तो आज तक बिहार के बड़े से बड़े नेता को नहीं मिले। तो क्या गुप्तेश्वर पांडेय बिहार में 'नेतागिरी’ का नया इतिहास लिखेंगे ?

तीन पूर्व डीजीपी जो हार गये चुनाव

तीन पूर्व डीजीपी जो हार गये चुनाव

बिहार के पूर्व डीजीपी रहे आर आर प्रसाद ने 2003 में बिहार विधान परिषद का चुनाव लड़ा था। लेकिन जीत नहीं पाये थे। डीपी ओझा बिहार के चर्चित डीजीपी रहे थे। राबड़ी देवी की सरकार ने उन्हें डीजीपी पद से अचानक हटा दिया था। उन्होंने राबड़ी सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए नौकरी से ही इस्तीफा दे दिया था। राबड़ी सरकार को चुनौती देने के कारण तब बिहार में उनकी बहुत चर्चा थी। इस लोकप्रियता को भुनाने के लिए वे राजनीति में उतरे। 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बेगूसराय से निर्दलीय चुनाव लड़ा। उनकी ऐसी दुर्गति हुई की जमानत जब्त हो गयी। पूर्व डीजीपी डीपी ओझा को केवल 5 हजार 780 वोट मिले। नीतीश के शुरुआती कार्यकाल में आशीष रंजन सिन्हा बिहार के डीजीपी थे। कहा जाता है कि नीतीश कुमार के स्वजातीय होने के कारण वे उनके करीब भी थे। उनमें भी प्रबल राजनीतिक महात्वाकांक्षा थी। वे पुलिस सेवा से रिटायर हुए तो जदयू की बजाय राजद में शामिल हो गये। 2014 के लोकसभा चुनाव में राजद और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे में नालंदा सीट कांग्रेस को मिल गयी। कुर्मी बहुत इस सीट पर आशीष रंजन सिन्हा की बहुत पहले से नजर थी। वे राजद से कांग्रेस में शिफ्ट हो गये। नालंदा से चुनाव लड़ा लेकिन तीसरे स्थान पर फिसल गये थे।

IPS जीते तो IAS हारे

IPS जीते तो IAS हारे

2010 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने आइपीएस अधिकारी रहे मनोहर प्रसाद सिंह को कटिहार के मनिहारी विधानसभा सीट पर जदयू का उम्मीदवार बनाया था। इस चुनाव में उन्हें जीत मिली और वे पुलिस अफसर से विधायक बन गये। मनोहर प्रसाद सिंह बिहार के पूर्व आइजी थे। ऐसा भी नहीं है कि नीतीश कुमार ने जिस अफसर के सिर पर हाथ रखा वह विधायक या सांसद बन ही गया। 2014 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने एक पूर्व आइएएस अधिकारी केपी रमैया को सासाराम से जदयू का उम्मीदवार बनाया था। रमैया तीसरे स्थान पर लुढ़क गये थे। रमैया जब बिहार महादलित मिशन में मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी थे तब उन पर बिना काम कराये भुगतान करने का आरोप लगा था। वे जनवरी 2014 से फरवरी 2014 तक इस पद पर थे। इस छोटे कार्यकाल में भी वे विवादित हो गये थे। कुछ दिनों के बाद उन्होंने आइएएस की नौकरी से वीआरएस ले लिया और जदयू में शामिल हो गये। नीतीश कुमार ने उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी से प्रत्याशी बना दिया था।

नीतीश की मेहरबानी से कई अफसर बने नेता

नीतीश की मेहरबानी से कई अफसर बने नेता

वैसे नीतीश कुमार ने अपनी मेहरबानी से कई अधिकारियों को राज्यसभा में भेज कर नेता बनाया है। इनमें सबसे प्रमुख नाम है आरसीपी सिंह। आरसीपी सिंह उत्तर प्रदेश कैडर आइएएस अधिकारी थे। नीतीश कुमार उनकी योग्यता और कार्यशैली से बहुत प्रभावित थे। नीतीश कुमार ने उन्हें अपना प्रिंसिपल सेक्रेटरी बनाया था। स्वजातीय और एक ही जिले से होने के कारण दोनों का एक दूसरे पर भरोसा बढ़ गया। आरसीपी सिंह ने आइएएस की नौकरी से वीआरएस ले लिया और नीतीश के साथ राजनीति करने लगे। नीतीश ने उन्हें राज्यसभा में भेज कर सांसद बनाया। इसी तरह पूर्व आइएएस अधिकारी एनके सिंह को भी नीतीश ने राज्यसभा में भेज कर नेता बनाया था। पवन कुमार वर्मा भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी थे। उन्हें भी नीतीश ने राज्यसभा सांसद बनाया था। नीतीश कुमार का सिविल सेवकों के प्रति एक मोह रहा है। जिससे प्रभावित हो जाते हैं उसको अपने साथ जोड़ने से हिचकते नहीं। बिहार के पूर्व मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह उनके पसंदीदा अफसर रहे हैं। 2018 में जब वे मुख्य सचिव पद से से रिटायर हुए तो नीतीश कुमार उन्हें मुख्यमंत्री के सलाहकार पद पर नियुक्त कर लिया। अब देखना है कि गुप्तेश्वर पांडेय की राजनीतिक डगर किस मंजिल पर पहुंच कर खत्म होती है।

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English summary
Nitish Kumar made MLA not only IAS and IPS but also a policeman
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